Sunday 11 August 2024

कोंदा भैरा के गोठ-23

कोंदा भैरा के गोठ-23

-हमन भले ए गुनत रहिथन जी भैरा के धर्म ल नास्तिक किसम के लोगन मन ले खतरा हे कहिके, जे मन न देवी देवता के बात ल मानंय, न कोनो किसम के मंदिर देवाला या पाप पुण्य के गोठ ल.. फेर मोला जनाथे के धर्म ल असल खतरा धर्म के ठेकेदार मन ले हे, जे मन लोगन ल अंते-तंते गोठ म भरमावत अउ भटकावत रहिथें.
   -तोर कहना महूं ल वाजिब जनाथे जी कोंदा.. अभी जैन मुनि नरेश कुमार ह घलो अइसने कहिन हें. इहाँ के पटवा भवन म उन श्रद्धालु मनला संबोधित करत कहिन के धर्म के मूल विनम्रता हे. धर्म हमला व्यक्ति ले मुक्ति डहार ले जाथे. फेर आज जइसे तिजोरी म धराय धन ल चोरहा ले जादा ओकर रखवार ले खतरा जनाथे, ठउका अइसने च नास्तिक मन ले जादा धार्मिकता के चद्दर ओढ़े धर्म के ठेकादार मनले धर्म ल जादा खतरा हे.
   -सही आय जी हमला ढोंगी पाखंडी अउ सच्चा संत महात्मा के अंतर ल समझे बर लागही, तभे धर्म के उज्जर रद्दा म आगू बढ़ पाबो.
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-गणेश-दुर्गा के पंडाल सजावत बेरा तीर-तखार के पेड़ मनला घलो पेंटिंग कर डारत रेहे हावन ना जी भैरा.. अब अइसन मनले बॉंचे बर लागही संगी आवास एवं पर्यावरण विभाग ह आदेश निकाले हे.
   -हव जी कोंदा.. अब एती-तेती के पेड़ मनला नइ पोतन, फेर अइसन काबर संगी? 
   -विशेषज्ञ मन के कहना हे के पेंट पोते ले पेड़ ह आक्सीजन अउ कार्बन डाइऑक्साइड के आदान-प्रदान नइ कर पावय काबर ते पेड़ ह अपन छाला म बने छोटे छोटे छेदरा मन के माध्यम ले ही अइसन करथे, जे ह पेंट के पोताय ले तोपा जाथे. एकर ले वो पेड़ के मरे के संभावना घलो बाढ़ जाथे, काबर ते पेंट के जहरीला रसायन मन घलो पेड़ म निंग जाथे.
   -खैर.. हमन तो कभू कभार ही पेड़ ल पोत परथन जी फेर सरकारी विभाग वाले मन तो फलाना-ढेकाना के आयोजन के नॉव म चारों मुड़ा पोतते च रहिथें
   -हव.. अभी सिरपुर महोत्सव म सड़क के दूनों मुड़ा के पेड़ मनला चुकता पोत डारे रिहिन हें, उही ल देख के एक पर्यावरण प्रेमी के शिकायत म ए आदेश ल निकाले गे हवय.
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-आज कतकों बछर ले पेरावत न्यायिक प्रक्रिया ल देखबे त पहिली हमर सियान मन कोनो भरोसा के मनखे ले मध्यस्थता करवा के निर्णय करवा लेवत रिहिन हें, तेने ह बने रिहिसे तइसे लागथे जी भैरा.
   -हव सही आय जी कोंदा.. आज के अदालती चक्कर म मनखे के पूरा जिनगी के संगे-संग धन-दौलत सबे खप जाथे, तभो न्याय नइ मिल पावय.
   -हव जी.. हमर देश के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ह घलो अभी लोक अदालत सप्ताह के मौका म अइसने काहत रिहिन हें. उन काहत रिहिन हें के लोक अदालत म कतकों बेरा के चलत मामला ला सौहार्दपूर्ण तरीका ले निपटा सकथन. 
   -हमर इहाँ मध्यस्थता के माध्यम ले मामला ल निपटाय के प्रक्रिया तो तइहा जुग ले चलत हे जी.. भगवान राम ह बालिपुत्र अंगद ल रावण जगा भेजे रिहिसे नहीं आपसी समझौता ले मामला निपटाए बर.. ठउका अइसने भगवान‌ कृष्ण ह घलो कौरव पाण्डव के बीच युद्ध के पहिली पॉंच गाँव के मॉंग रखत मामला निपटाय के कोशिश करे रिहिसे नहीं. ए बात अलग आय के आगू वाले मन युद्ध ल ही समाधान के रद्दा चुन डारे रिहिन हें.
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-आरक्षण के नॉव म बंगलादेश म तख्तापलट होगे जी भैरा.
   -हव जी कोंदा.. फेर उहाँ के आरक्षण के मापदंड अउ हमर देश के आरक्षण के मापदंड अलग हे.
   -हाँ ए बात तो हे, उहाँ 1971 के बंगलादेश के आजादी के आन्दोलन म जे मन भाग लिए रिहिन हें, उंकर परिवार ल आरक्षण मिलत रिहिसे, फेर हमर इहाँ तो ए ह जाति के आधार म हावय.
   -कुछू के आधार म होवय संगी, फेर मोला जनाथे के एकर लाभ ह पात्र मनखे मन ले जादा अपात्र मनला मिल जाथे.
   -सही आय जी.. अब देखना हमर असन गतमरहा लोगन के परिवार ल आज तक न तो रोजगार म अउ न राजनीति के क्षेत्र म कोनो किसम के लाभ मिले हे, फेर जेकर मन के देंह-पॉंव ह पहिलीच ले रोठ-डांठ हे, ते मन आरक्षण के लाभ म अउ  भोगावत हें.
   -एकरे सेती तो अभी इहाँ के सुप्रीम कोर्ट ह आरक्षण म उप वर्गीकरण के बात कहे हे, तेमा सही म सबोच पात्र लोगन ल एकर लाभ मिल सकय. 
    -फेर राजनीति वाले मन तो वोकरो विरोध म जुरियाय असन जनावत हें जी!
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-अभी हरियाणा के स्कूल शिक्षा निदेशालय ह एक आदेश निकाले हे जी भैरा.. जेकर मुताबिक अवइया स्वतंत्रता दिवस ले उहाँ के जम्मो स्कूल मन म लइका मनला एक-दूसर ल अभिवादन करत बेरा गुड मॉर्निंग के बलदा 'जय हिंद' कहे बर लागही.
   -ए तो बढ़िया बात आय जी कोंदा.. मोर तो मानना हे के अइसन आदेश पूरा देश खातिर निकलना चाही, तेमा लइका मन के मन म नान्हे उमर ले ही देश भक्ति अउ राष्ट्रीय एकता के भाव पनपय. 
   -हव जी सही आय.. आज के जाति, धर्म अउ बोली-भाखा के नॉव म घर-फोरवा राजनीति के दुष्प्रभाव ले लइका मनला बचाय बर ए ह कारगर साबित होही.
   -सही आय जी.. नेताजी सुभाषचंद्र बोस के आजादी के आन्दोलन के बेरा म दिए गे ए नारा 'जय हिंद' ल जइसे आजादी के बाद हमर सशस्त्र बल मन द्वारा सलामी खातिर अपनाए गे हवय ठउका अइसने स्कूल के लइका मन के संगे-संग उहाँ जम्मो लोगन अभिवादन खातिर अपना लेवय.
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-हमर छत्तीसगढ़ म जंगली हाथी मन के उत्पात के अब तो रोजेच खबर आवत रहिथे जी भैरा.
   -हव जी कोंदा.. आज 12 अगस्त के विश्व हाथी दिवस के बेरा म एक पर्यावरण प्रेमी ह एकर बारे म बतावत रिहिसे के एकर खातिर जंगल म कमतियावत दाना पानी के संगे-संग विभाग के जिम्मेदार मन घलो कारण हें. वो विशेषज्ञ के कहना हे के नर हाथी ल जब 10 ले 15 बछर के हो जाथे, त उनला वोकर खुद के परिवार ले बरपेली अलग कर के दूसर समूह या आने जंगल म छोड़ दिए जाथे, सिरिफ ए सेती के एकेच खून ले वंशवृद्धि झन हो सकय.. अइसन बेरा म वोकर संग कतकों किसम के जोर जबर्दस्ती घलो करे जाथे.
   -वाह भई... अपन परिवार ले बिछड़ के फेर वो हाथी कइसे करत होही? 
   -तैं खुदे गुन हमन कहूँ अपन परिवार के 10-15 बछर के लइका ल अलग कर देबो त वो जीए बर का-का करही? भइगे.. हाथी मन के घलो एती-तेती भटके अउ रार मचाए के इहू ह एक बड़का कारण आय.
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-राखी के मयारुक परब लकठियाथे तहाँ ले नवा-नवा जिनिस के राखी देखे ले मिल जाथे जी भैरा.
   -हव जी कोंदा.. हमर छत्तीसगढ़ ल धान के कटोरा कहे जाथे, एकरे प्रतीक स्वरूप अभी एक धान कलाकार ह धान के दाना मनला सुग्घर असन सजा के राखी बनाय हे.
   -राजिम के एक नोनी ह तो इहाँ के साग-भाजी मन के बीजा मनला सुग्घर असन सजा के राखी बनावत रिहिसे, फेर ए सबले मयारुक अउ भावविभोर करइया बात ए आय संगी के राजनांदगाँव के अभिलाषा दिव्यांग विद्यालय के लइका मन देश के सीमा म तैनात जवान मन बर हर बछर राखी बना के भेजथें.
    -अच्छा..! 
   -हव जी पाछू 17 बछर ले इहाँ के लइका मन जे मन कोनो अस्थि बाधित हे, त कोनो दृष्टि बाधित हे.. कोनो कोनो के बौद्धिक विकास ही बने असन नइ हो पाए हे, तभो ए मन लगन अउ उत्साह के साथ राखी बनाय म भीड़े रहिथें. आठवीं के छात्रा साक्षी जेकर एक हाथ नइए, बताइस के वोहा एक हाथ ले राखी बनावय त सूत ह बिछल जावय, फेर धीरे धीरे अभ्यास करे ले अब 15-20 मिनट म एक राखी बना डारथे.
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-हमर पुरखा मन के चलाए परंपरा मन आज वैज्ञानिक रूप ले घलो वाजिब जनाथे जी भैरा.
   -वोमन अपन लंबा अनुभव के आधार म परंपरा मन ल चलाए हावंय जी कोंदा त कइसे नइ वाजिब जनाहीं? 
   -हव जी.. अब देखना हमर इहाँ एक पिता के संतान मन के आपस म बर-बिहाव नइ होवय.
   -हव नइ होवय.. भलुक अपन लहू के सग नता मनले घलो दुरिहा म बिहाव के परंपरा हे.. आज ए ह वैज्ञानिक रूप ले घलो वाजिब सिद्ध होगे हवय.. एके खून ले वंशवृद्धि करे म सिकलिन जइसन कतकों किसम के बीमारी के खतरा बाढ़ जाथे. तेकरे सेती हमर वन विभाग के अधिकारी मन घलो एकर चेत करथें, उहू मन जंगल के हाथी जइसन जानवर के नर ल 10-15 बछर के होइस, तहाँ ले वोकर परिवार ले अंते लेग के छोड़ देथे, तेमा एक खून ले वंशवृद्धि झन हो सकय. 
   -हव जी.. अइसने बेर्रा लइका मनला कइसे गोंहगोंह ले भोगावत हे काहत घलो सुने हावन ना? 
   -हौ.. आज इहू प्रमाणित होगे हावय, बेर्रा माने आज जे मनला हमन शंकर नस्ल कहिथन, वो मन सामान्य मन के मुकाबला जादा अउ जल्दी भोगाथे.
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-राजधानी रायपुर के हिरदय म बसे जयस्तंभ ल तो तैं जानते होबे जी भैरा? 
   -हव.. जानबे कइसे नहीं जी कोंदा.. हमर छत्तीसगढ़ के पहला शहीद वीर नारायण सिंह ल 10 दिसम्बर 1857 के इही जगा फॉंसी दिए गे रिहिसे.
   -हव सही आय.. एकरे सेती ए ठउर ल पूरा छत्तीसगढ़ ह गरब के साथ सुरता करथे अउ जानथे घलो.. फेर का तैं इहू जानथस के रायपुर म दू अउ जयस्तंभ हे? 
   -एकर जानबा तो अभी हमला नइहे संगी! 
   -असल म आजादी के गौरव के सुरता कराए बर रायपुर म तीन जगा जयस्तंभ के स्थापना करे गे रिहिसे, जेमा के लाखेनगर अउ खम्हारडीह म स्थापित करे गे आजादी के प्रतीक स्तंभ मनला उंकर मूल ठउर ले घुंचा के आन जगा मढ़ा दिए गे हवय, जिहां आज न तो कोनो जावय न उनला देखय.
   - अच्छा..! 
   -हव.. इतिहासकार डॉ. रमेन्द्रनाथ मिश्रा जी के कहना हे, के लाखेनगर अउ खम्हारडीह दूनों जगा के जयस्तंभ ल शहर के विकास के नॉव म आने जगा मढ़ा दिए गे हवय उनला उंकर मूल जगा म वापस लान के स्थापित करे जाना चाही.
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-छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग कार्यालय के स्थापना दिवस कार्यक्रम म ए बछर कोरी भर अकन के पुरती छत्तीसगढ़ी किताब मन के विमोचन होइस हे काहत रिहिन हें जी भैरा.
   -ठउका सुने हावस जी कोंदा.. अब छत्तीसगढ़ी भाखा म इहाँ के पारंपरिक विधा मन के संगे-संग आने भाखा मन के प्रचलित शैली अउ विधा मन म घलो लिखे जावत हे.
   -हव जी महूं ल आरो जनाय हे.. काली के स्थापना दिवस कार्यक्रम के बेरा मोला चारों मुड़ा ले आए छत्तीसगढ़ी के मयारुक मन दर्जन भर के पुरती किताब भेंट करीन हें.. उन सबो ला देख-पढ़ के मोला गजब निक अउ गरब जनाइस.. सबले बड़का बात ए आय संगी के वो जम्मो किताब मन के विधा अउ विषय सब अलगेच-अलग रिहिसे.. उन सबो ल पढ़ के अब भरोसा जागत हे के छत्तीसगढ़ी म घलो आने समृद्ध भाखा मन बरोबर पढ़े, गुने अउ सहेजे के लाइक साहित्य आवत हे अउ आवत रइही.. एक दिन छत्तीसगढ़ी घलो पूरा दुनिया म पॉंखी लगा के अपन सोर बगराही.
   -बगराही का.. बगरे के जोम बने माढ़गे हे.
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-आज 20 अगस्त के रेडियो प्रसारण दिवस के सेती मोला सुरता आवत हे जी भैरा.. अब मनोरंजन के कतकों साधन आगे हवय तभो रेडियो सुनई ह अभो निक जनाथे ना? 
   -सिरतोन आय जी कोंदा.. जइसे समाचार मन के सोर-खबर ले खातिर कतकों न्यूज़ चैनल आगे हवय, तभो अखबार ल पढ़े बिन मन नइ मानय तइसे केहे कस. 
   -हव जी.. मोला तब के सुरता हे संगी जब हमर गाँव म पारा भर म सिरिफ हमरे घर भर रेडियो रिहिसे. संझौती बेरा जब बॉंस गीत आवय, त रेडियो ल घर ले हेर के बाहिर के कुआँ पार म मढ़ावन, तहाँ ले पारा भर के लोगन जुरिया के सुनंय.
   -अइसने मोला अपन  पहला कविता प्रसारण के सुरता हे संगी.. वो बखत अभी असन कविता मनला रिकार्डिंग कर के नइ राखत रिहिन हें. तब जीवंत प्रसारण होवय. बरसाती भइया, बिसाहू भइया मन संग चौपाल कार्यक्रम म मोला बइठारे रिहिन हें, एती ले हमन बोलत जावन.. वोती लोगन ल रेडियो म सुनावत जावय, बाद म मोर पहला कहानी 'ढेंकी' के प्रसारण होइस, त वोला पहिली रिकॉर्ड करे गे रिहिसे.
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-मेडिकल क्रांति के चकाचौंध म भले हम अपन देशी चिकित्सा के फायदा ल बिसरत जावत हन जी भैरा, फेर आजो कहूँ वोला आजमा लेबे त हजारों रुपिया के दवई ह बिरथा जनाथे.
    -सिरतोन आय जी कोंदा.. अब देख ले पंदरही आगू मैं ह कोला बारी तनि जावत बेरा बिछल के गिर परे रेहेंव.. मेडिकल स्टोर ले डाॅक्टर के कहे मुताबिक कतकों असन गोली-दवई खाएंव.. का-का क्रीम मलहम कहिन तेनो ल बोथेंव, फेर पीरा ह जस के तस जी.
   -अच्छा.. एको कनिक उरकत नइ रिहिसे कहिदे.
   -कहाँ पाबे संगी.. आखिर म अपन डोकरी दाई के देशी तरीका के जोम जमाएंव.. अच्छा बड़का असन एक ठ गोंदली ल कुचर के कपड़ा म लपेट के दू ठन पुतका बनाएंव अउ तावा म सरसों तेल ल बने कड़का के चटा-चट जरे असन सेकेंव, तब जा के एदे हेलमेल बरोबर रेंगे पावत हौं.
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-बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन ल एक आगर चार कोरी बछर होय के बाद घलो काम करतेच रेहे के सेती कतकों झन हुदरे असन प्रश्न पूछ डारथें जी भैरा.
   -काम तो लोगन ल जिनगी के आखिरी साँस तक करतेच रहना चाही जी कोंदा एमा पूछे सरेखे के का बात हे.
   -हव जी सही आय लोगन ल जिनगी भर अपन काम बुता म सक्रिय रहना चाही.. अमिताभ बच्चन ह अइसन प्रश्न पूछइया मनला अपन ब्लाॉग म जवाब घलो अइसनेच दिए हें, उन लिखे हें- काम करव अउ वोकर कारण ल खुद जान जावौ.
   -एकदम सिरतोन लिखे हे जी.. वो सरलग अपन काम म सक्रिय रहिथे तेकरे सेती आज तक स्वस्थ अउ टन्नक जनाथे, उहू कहूँ आने जॉंगरचोट्टा मन बरोबर काम बुता बर अलाली करतीस, त खटिया सेवई म ही वोकर जिनगी पहावत रहितीस अउ खटिया म ही पच के सिरा जातीस.
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