ऐसा कर दो कोई करिश्मा, बचपन वापस आ जाए
जीवन चक्र घुमा दो मेरा, शाम, सवेरा हो जाए.....
मां की लोरी फिर कानों में, गंूज रही है सांझ-सवेरे
दादी किस्से सुना रही है, बाल सखाओं को घेरे
फिर आंगन में हाथों के बल, धमा-चौकड़ी हो जाए...
स्कूल के दिन फिर ललचाते, अक्षर-अक्षर मुझे बुलाते
दोहे और पहाड़े गाते, जाने क्या-क्या राग सुनाते
ऐसा कर दो कोई गुरुजी, छड़ी फिर से चमकाए....
मुझे बुलाती हैं वो गलियां, जहां कभी कंचा खेला
जीवन की पगदंडी पकड़ी, और देखा इंसा का रेला
ऐसा कर दो कोई उस पथ पर, कदम मेरा फिर चल जाए...
सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 080853-05931, 098269-92811
ईमेल - sushilbhole2@gmail.com
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