सबके नीयत तंग दिखथे....
हमर तिरंगा के अब कइसे आने-आने रंग दिखथे
कोनो ककरो संग दिखथे त कोनो ककरो अंग दिखथे
कइसे होगे इनकर बांटा मोला तो अंग- भंग दिखथे
लोकतंत्र के वोट बैंक म अब सबके नीयत तंग दिखथे
*सुशील भोले*
(धर्म और संप्रदाय के नाम पर हो रही राजनीति पर चार लाईन..)
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