*मनखे मनखे एक समान* का जयघोष करने वाले महान संत गुरुघासीदास जी की जन्म भूमि, तप भूमि एवं कर्म भूमि में एक साथ जाने का अद्भुत संयोग रविवार 2 अगस्त 2015 को बना। अवसर था अखिल भारतीय गुरु घासीदास साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डा. जे. आर. सोनी एवं मिनी माता फाउंडेशन के रामशरण टंडन के संयुक्त संयोजन में गिरौदपुरी, छाता पहाड़ एवं पंचकुंड की यात्रा।
सतनाम धर्म के संस्थापक गुरू घासीदास जी का जन्म 18 दिसंबर सन् 1756 को एक कृषक परिवार में महानदी के किनारे बसे गिरौदपुरी ग्राम में हुआ था। उन्होंने दलित-शोषित और उपेक्षित वर्ग के लोगों को अाध्यात्मिक शक्ति के साथ जोड़ने का वंदनीय प्रयास किया। उन्होंने अपनी जन्म भूमि से कुछ ही दूरी पर घनघोर जंगल के बीच बसे छाता पहाड़ पर साधना की और आत्मज्ञान प्राप्त किया। आज लाखों और करोड़ों की संश्या में उनके अनुयायी इन पुण्य स्थलों का दर्षन कर अपने आप को धन्य समझते हैं। फाल्गुम माह में यहां पर विशेष मेला का आयोजन होता है, जिसमें देश-विदेश से लोग लाखों की संख्या में दर्शन लाभ हेतु आते हैं। और अपनी मनोकामना पूर्ण कर आनंदित हो अपने-अपने घरों को वापस लौट जाते हैं।
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