जुड़वास परब...
छत्तीसगढ़ के संस्कृति म कृषि अउ ऋषि संस्कृति के अद्भुत मेल देखे बर मिलथे. हमर इहाँ एक डहर जिहां विशुद्ध आध्यात्मिक संस्कृति के दर्शन होथे, उहें दूसर डहर आरूग खेती किसानी अउ प्रकृति ले जुड़े परब-तिहार मन के घलोक दर्शन होथे.
जुड़वास या माता पहुंचनी परब ह घलो अइसने समिलहा संस्कृति के दर्शन कराथे. चइत, बइसाख अउ जेठ के उसनत गरमी के बाद जब अगास म अंकरस के बादर उमड़त-घुमड़त असाढ़ के आए के आरो देथे, तब इहाँ के गाँव गाँव म जुड़वास के परब मनाए जाथे.
असाढ़ महीना के अमावस्या के या फेर सोमवार या बिरस्पत के दिन बइगा के अगुवाई म गाँव के शीतला मंदिर मन म गाँव के जम्मो मनखे चांउर-दार, तेल अउ हरदी धर के जाथें, माता म चघाथें, अउ संग म सेउक मन जुड़वास जस के गायन वादन करथें.
ए बात वैज्ञानिक रूप ले प्रमाणित हे, तेल अउ हरदी के कई किसम के आयुर्वेदिक महत्व हे, लोगन जब तेल हरदी धरे शीतला माता के मंदिर जाथें, त पूरा गाँव के वातावरण म प्रभाव बगर जाथे, जे ह कई किसम के रोग राई ले बचाव करथे.
असाढ़ आगे बरखा लेके ए महीना आय खास
गाँव बस्ती के शीतला देवी झोंक लेवव जुड़वास
तेल हरदी धर सुमिरत हावन तोला करत जोहार
रोग-राई अउ महामारी ले बचा अब तुंहरे हे आस
-सुशील भोले-9826992811
संजय नगर, रायपुर
Read latest news latest news latest news latest news latest news latest news latest news This
ReplyDeleteदोआब किसे कहते हैं Doab kise kahate hai
ReplyDelete