Wednesday, 29 June 2022

अध्यात्म अउ साहित्य पुरोधा सुशील भोले

आध्यात्मिकता अउ छत्तीसगढ़ी साहित्य के पुरोधा:-
०२ जुलाई के 'श्री सुशील कुमार वर्मा "भोले जी "जी के जन्म दिन शुभकामना" विशेष

छत्तीसगढ़ की पावन धरा म जन्मे अद्भुत प्रतिभा के धनी,कुशाग्र बुद्धि ,दूरद्रष्टा,छत्तीसगढ़ के मयारू माटी म रंगे रतन बेटा, छ ग राज के उजागर करईया,छ ग राज के कला सँस्कृति,साहित्य,स्वाभिमान अउ अस्मिता के लाज बचईया,रखवारी करईया,छत्तीसगढ़ीहा मन के अधिकार खातिर सरलग आवाज उठईया,आध्यात्म चिंतन के पुरोधा
वरिष्ठ साहित्यकार,पत्रकार,स्तम्भकार, साहित्य के पुरोधा,श्री सुशील कुमार वर्मा जी के जनम ०२ जून सन १९६१ म शुभ लगन के पावन बेला म भाठापारा शहर थाना-धरसीवां,जिला-रायपुर (छ ग) म
इनकर  पिता स्व. श्री रामचन्द्र  वर्मा जी,माता स्व.श्रीमती उर्मिला देवी वर्मा जी,के घर म दूसर संतान के रूप म जनम होइस।
श्री भोले जी मन चार भाई अउ दू बहिन रिसे।जेमा भोले जी दूसर पाठ के रिहीन।श्री भोले के पिता श्री प्राथमिक शाला म गुरुजी रिहीन जेकर शिक्षा सँस्कार सरलग मिलत रिहीस।अउ एकर से भोले जी ल अड़बड़ लाभ मिलिस।उकर प्रतिभा हर फरी-फरी दिखे लागिस।
तभे तो कहे गे हे-
"बिरवान के होत चिकने पात।"
"पूत के पाँव पलना म दिख जाथे।"

अइसे माने जाथे की प्रतिभा हर कोनो चीज के मोहताज नई होवय।प्रतिभा ल मात्र अउ मात्र अवसर,समय,स्थान,के दरकार होथे।भले ही कतको विकट परिस्थिति होय।ओहर अवसर पाके अँकुरित हो ही जाथे।अउ ओहर एक विशाल बरगद कस बड़े होके आसपास के मन ल भी अपन सुग्घर छइहाँ प्रदान करथे।

श्री शुशील कुमार वर्मा "भोले जी" के परिवार:-
सम्मानीय श्री भोले जी के धरम पत्नी श्रीमती वसन्ती देवी वर्मा जी अउ इनकर पुत्री रत्न के रूप म तीन संतान हावे जेमा-
१.श्री मती नेहा वर्मा-पति श्री रविन्द्र वर्मा
२.श्री मती वंदना वर्मा-पति श्री अजयकांत वर्मा
३.श्री मती ममता वर्मा-पति श्री वेंकेटेश वर्मा जी हैं।

श्री भोले जी के शिक्षा-दीक्षा:-
आपमन के शिक्षा दीक्षा अपन जनम स्थान भठापारा म ४ थी के शिक्षा ल प्राप्त करिन।७वीं तक नगरगांव म अउ ८वीं ले 11वीं तक के शिक्षा रायपुर म प्राप्त करिन।एकर बाद अपन रुचि,अनुसार  प्रिंटिंग प्रेस लाइन वाला ट्रेंड म आई टी आई के कोर्स ल पास करिन।अउ फिर प्रेस लाइन म आके एक कुशल कंपोजीटर के रूप सेवा ल शुरू करिन।

श्री भोले जी के प्रेस लाईन अउ साहित्यिक यात्रा:-
श्री भोले जी सबसे पहिली दैनिक अग्रदूत समाचार पत्र म साहित्यिक यात्रा ल शुरू करिन,इनकर गज्जब के प्रतिभा ल देख के सरकारी प्रेस म इमन ल नौकरी मिलगे।अउ इहाँ कुछ दिन सेवा करिन,लेकिन इमन ल अपन माटी अपन राज के मया हर खिंच लिस।अउ सन १९८३-८४ म स्वयं के  कविता,कहानी के प्रकाशन होइस।एखर बाद तो आज ले सरलग श्री भोले जी के साहित्य साधना,सेवा हर चलत हावय।जेखर लाभ ल हम सब्बो ल प्राप्त होवत हावय।इही दौरान म आप दैनिक अग्रदूत,दैनिक तरुण छत्तीसगढ़,म सहसम्पादक के रूप म सेवा देहे लगीन।अउ इही सब समाचार,पत्र,पत्रिका, के सेवा करत-करत स्वयं के प्रिंटिंग प्रेस के संचालन शुरू करदिन।
जेहर मासिक समाचार पत्र "मयारू माटी" के रुप म स्थापित होइस।अउ इहाँ ल साहित्यिक समाचार पत्र के प्रकाशन तो होबे करिस,इहाँ ल ऑडियो गीत कैसेट रिकॉर्डिंग भी होय लगिस।जेला श्री भोले जी ह एक सुग्घर स्टूडियो के रूप म आकार दिन।
श्री भोले जी के सुग्घर कविता कहिनी आलेख:-
१.छितका कुरिया(काव्य संग्रह१९८८)
२.दरस के साथ(लंबी कविता १९८९)
३. जिनगी के रंग ( गीत व भजन संग्रह १९९५)
४.ढेंकी (कहिनी संकलन २००६)
५.आखर अँजोर (छ ग की सँस्कृति पर
    आधारित आलेख  २००६)
     दूसरा संस्करण (२०१७)
६.भोले के गोले(काव्य संग्रह २०१५)
७.सब ओखरे संतान (चार गोड़िया मन के संकलन २०२१-२२)
८.सुरता के संसार(संस्मरण मन के संकलन २०२१-२२)
श्री भोले जी के कॉलम लेखन-
१.तरकश अउ तीर (दै.नवभास्कर १९९०)
२.आखर अँजोर(दै. तरुण छ ग २००६-०७)
३.डहर चलैती(दै.अमृत सन्देश २००९)
४.गुड़ी के गोठ(साप्ता. इतवारी २०१०से २०१५ तक)
५.बेंदरा बिनास(साप्ता.छ ग सेवक८८-८९)
६.किस्सा कलयुगी हनुमान के(मयारू माटी ८८-८९)
अन्य लेखन-
१.प्रदेश एवम राष्ट्रीय स्तर के अनेक पत्र-पत्रिकाओं में लेख कविता कहानी समीक्षा साक्षातकार आदि का नियमित रूप से प्रकाशन।
२."लहर" एवम "फूल बगिया" ऑडियो कैसेट में गीत लेखन एवम गायन।
३.अनेक सांस्कृतिक मंचों द्वारा गीत एवम भजन गायन।
श्री भोले जी के सम्पादन अउ प्रकाशन:-
१.मयारू माटी
(छत्तीसगढ़ी भाखा साहित्य के पहिली सम्पूर्ण पत्रिका प्रकाशन ०९ दिसम्बर १९८७)

श्री भोले जी के सहसम्पादन-
1.दैनिक अग्रदूत
2.दैनिक तरुण छत्तीसगढ़
3.दैनिक अमृत सन्देश
4.दैनिक छत्तीसगढ़ इतवारी अखबार
5.जय छत्तीसगढ़ अस्मिता(मासिक)
6.अनेक साहित्यिक सामाजिक पत्र-पत्रिकाएँ

श्री भोले जी के आध्यात्मिक जीवन:-
श्री भोले जी के जिंनगी ह आध्यात्मिकता से ओत-प्रोत रिसे।जेखर कठिन तप ,धियान, साधना ह सरलग १९९४ ले २००८ तक १४ बच्छर तक चलिस।ए साधना ले श्री भोले जी ल आध्यात्मिक रहस्य,अउ आत्मज्ञान,के प्रप्ति होइस।एखरे सेती ओहर हमेशा कथे कि-
"साहित्य ल,जिनगी ल,आध्यात्म के दृष्टि से देखे जाना चाही।"
ओहर आगे कथें-
"बिना आध्यात्म के जिनगी ल मुक्ति नई मिलय।"

श्री भोले जी ल सम्मान बड़ाई:-
१. छ ग राज भाषा आयोग दुवारा
   (राज भाषा सम्मान २०१०)
२. अनगिन सामाजिक,धार्मिक,साहित्यिक
   संस्था समिति दुवारा सम्मान
३. भारत सरकार
    साहित्य अकादमी दुवारा सम्मान
    गुजराती एउ छत्तीसगढ़ी भाषा २०१७
     के सम्मेलन में भागीदारी

श्री भोले जी के लक्ष्य अउ हार्दिक इच्छा:-
श्री भोले जी के हार्दिक इच्छा ए हावय की हमर छत्तीसगढ़ राज के मूल आदि धर्म एवम सँस्कृति  के इहाँ स्थापना अउ,पुनर्जीवित होवय।ए सम्बन्ध म ओहर कहिथें-
"हमर जो मूल तत्व हे, ओला इहाँ भुला दिए गे हे।जो भी हमन आज समझत हवन, जानत हवन  ओहर  हमर सँस्कृति के अंग नोहय।ओ हर उत्तर भारत ले आए हे।जेला हमर ऊपर थोप दिए गे हे।ओ सब ल हटा के हमर अपन सँस्कृति के रक्षा करना हे, अउ ओकर प्रचार-प्रसार करना हे।"

श्री भोले जी के साहित्य सेवा व छ ग निर्माण म महती भूमिका अउ ओकर उपेक्षा:-
श्री भोले जी ह छ ग के निर्माण म महती भूमिका निभाए हावय।जेहर एकर अस्मिता,मान सम्मान ल ,आरुग अँजोर रखे ख़ातिर अपन आप ल समर्पित कर दिन।श्री भोले जी ह भली-भांति जान गे रिसे की छ ग के सँस्कृति ह कईसे म बाँचही।अउ इहाँ के असल पुरखा, कोन हर आय।ए सबो ल जान के श्री भोले जी हर अपन बात ल छ ग भाखा साहित्य के माध्यम से दमदारी के साथ उठाए लगीन।श्री भोले जी जब अपन मासिक "अखबार मयारू माटी" के शुरुवात करिन त सबसे पहिली इही अखबार म छतीसगढ़ी भाखा के उपयोग करिन।अउ हमर छत्तीसगढ़ी भाखा के कोठी ल अपन पोगरी राज के विकास ल समृद्ध करे के बात करिन।अउ ए परन करिन कि वह आजीवन छत्तीसगढ़ी भाखा के उपयोग करही,अउ अपन राज के बोली भाखा के चिन्हारी करवाही।पर दुख के बात एहर आय की अतका कुछ करे के बाद म भी श्री भोले जी के साहित्य सेवा अउ छ ग राज के लिए ओकर संघर्ष ,सेवा ल भुला दिए गिस।जबकि ओहर एखर असल सम्मान अउ पुरस्कार के लाईक रिहीन।मैं शासन म बइठे मुखिया मन ल ल ए बिनती करत हाँव की इनकर आरो लेवय।जेखर ओहर लायक हे।श्री भोले जी एक निम्न मध्यम परिवार ले रिसे आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न नई रिसे फिर भी ओहर अपन जिनगी के गाड़ी ल साहित्य सेवा करत अपन पूरा परिवार के पालन पोषण करत रिहीन।अईसनहे समय म श्री भोले जी अपन आप ल आध्यात्म के तरफ ध्यान साधना म लगा दिन।अउ आर्थिक स्थिति हर कमज़ोर होगे।अईसे कमज़ोर स्थिति म "दुब्बर बर दु आषाढ़ होगे।" अउ सन २४ अक्टूबर २०१८ के दिन श्री भोले जी ल अचानक लकवा के पक्छा घात अपन चपेट म ले लिस।अउ ए प्रकार से श्री भोले जी शारीरिक रूप से कमजोर होगिन।

श्री भोले जी के मोती बानी अउ बानगी:-

१.श्रम के महिमा के सुग्घर गान-
   पत्थर-पत्थर बोल रहा है,
   मन की आंखें खोल रहा है,
  तेरे श्रम का हर-एक पल,
   इतिहास बन बोल रहा है।।

हर मंदिर का देव तुम्हारे,
श्रम को शीश झुकाता है,
चट्टानों से सृजित होकर,
जो अब पूजा जाता है,
तेरी महिमा गा-गा कर,
शिखर क्षितिज पर डोल रहा है।।

२.चलो आज फिर दीप जलादें
   श्रम के सभी ठिकानों पर..

३.दुख पीरा के सँगवारी-
जा रे मोर गीत तय खदर बन जाबे
  बिना घर के मनखे बर तय घर बन जाबे

४.मया के सुग्घर सन्देश
मोर अँगना म आबे चिरइयाँ
    मया के गीत सुनाबे..

५.माता सेवा के गुहार
मोतियन चउँक पुराएँव जोहार दाई
     डेहरी म दिया जलाएँव..

६.सार एउ असल के सन्देश
सुशील भोले के गुण लेवा ये
    आय मोती बानी,
    सार सार म सबो सार हे
    नोहय कथा-कहानी।।

सम्मानीय श्री भोले जी के साहित्यिक यात्रा अद्भुत हावय जेमा कोई दु राय नइए।यखर लेखनी हर अईसे कोनो क्षेत्र म नइये गेहे जेमा नई चले होही।ओकर बारे म कतको लिखबो बोलबो बहुत कम आय।ओकर बारे म लिखना "जइसे सुरुज ल दीया झलकाना आय।"
श्री भोले जी हर हमर छत्तीसगढ़ी साहित्य के जीता जागता एक महाकाव्य आय।जेहर छ ग के लिए,स्वाभिमान के लिए,अस्मिता के लिए,इहाँ के मूल आदि धर्म के लिए आपन आप ल समर्पित कर दिन हे।एकर योगदान ल कभु भुलाए नई जा सके।
उनकर ०२ जून के जन्म दिवस म ओला हमर छत्तीसगढ़ी भाखा साहित्य के तरफ ले बहुत बहुत हार्दिक शुभकामना हे। उकर सुखमय,स्वस्थ जिनगी के कामना करत हाँव।इही शुभकामना के साथ उकर साहित्य के सेवा सरलग चलत राहय,हमर भाखा,अउ राज पोठ होवत राहय।

शुभकामना संदेश
अशोक पटेल "आशु"

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