Sunday, 24 November 2024

कोंदा भैरा के गोठ-27

कोंदा भैरा के गोठ-27

-अपन धरम-पंथ के लोगन मन के बीच बिहाव करना ही ह बने जनाथे जी भैरा.
   -बने जनाथे घलो अउ बने जिनगी भर खटाथे घलो जी  कोंदा.
   -हव जी सही आय.. बिलासपुर के विकास चंद्रा संग एक मसीही समाज के नोनी ह मया बंधना के सेती हिंदू रीति ले बिहाव तो करे रिहिसे, फेर वो ह हिंदू परंपरा के कभू सम्मान नइ करत रिहिसे अउ ते अउ अपन पति संग पूजा पाठ घलो म नइ संघरत रिहिसे उल्टा चर्च जवई करत रिहिसे, तेकरे सेती विकास ह फेमिली कोर्ट ले वोला तलाक़ दिए रिहिसे.
   -बने करिस.. भई जेन माईलोगिन ह अपन आदमी के धरम परंपरा के कारज म संघरत नइ रिहिसे वोला तो तलाक़ देना ही चाही.
   -हव.. फेर वो माईलोगिन ह फेमिली कोर्ट के फैसला ल हाईकोर्ट म चुनौती दे रिहिसे, त हाईकोर्ट ह घलो फेमिली कोर्ट के फैसला ल सही बतावत कहिस- पति संग सहधर्मिणी के कर्तव्य पूरा नइ करना ह धार्मिक मान्यता के अपमान अउ मानसिक क्रूरता आय.

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-गौरा-ईसरदेव परब के बेरा म काली काँसी डोरी वाला सोंटा मरवाए नहीं जी भैरा? 
   -इहू पूछे के बात आय जी कोंदा.. हर बछर मैं गौरा-ईसरदेव के आशीर्वाद पाए बर सोंटा मरवाथौं.
   -बहुत बढ़िया.. वइसे ए ह आय तो हमर पुरखा मन के बनाए एक परंपरा ही, फेर ए ह वैज्ञानिक दृष्टि ले घलो बड़ महत्तम के होथे.
   -अच्छा.. अइसे का जी? 
   -हहो.. ए सोंटा ल काँसी के काँदी (सुक्खा पैरा) के डोरी ल बने पाँच दिन तक तेल म बोर के राखे जाथे, जेकर हाथ म सटाक ले परे ले हमर नस के सफेद रक्त कोशिका  (white blood cells) मन ह सक्रिय हो जाथें.. सफेद रक्त कोशिका मन के सक्रिय होय ले करीब पचास किसम के बीमारी मन अपने अपन ठीक हो जाथें.. ए सोंटा के माध्यम ले शरीर ल मिले एक्यूप्रेशर के क्रिया ले कैंसर के लक्षण कहूँ जनावत होही त उहू ल ए सफेद रक्त कोशिका मन खतम कर देथें.
   -वाह भई.. तब तो अब मैं ह हर बछर अपन घर के लइका मनला घलो सोंटा मरवाए बर कइहौं.

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-हमर देश म तइहा जुग ले गाय ल महतारी बरोबर मानत आवत हावन‌ जी भैरा तभो ले अब इहाँ 'कत्लखाना' मन के संख्या म होवत बढ़ोत्तरी ह भारी ताज्जुब बरोबर जनाथे.
   -हव जी कोंदा.. पहिली गाँव के कोनो घर अइसन नइ राहत रिहिसे जिहाँ एको ठन गाय गरुवा नइ राहत रिहिस‌ होही, फेर अब टेक्टर अउ हार्वेस्टर जइसन मशीन ले खेती होय के सेती बने असन किसान घर घलो गाय गरुवा दिखे ले नइ धरय. 
   -हव जी.. ए ह देश म होवत धार्मिक सांस्कृतिक अउ औद्योगिक बदलाव के सेती घलो होही तइसे जनाथे.
   -कुछू होवय, फेर इहाँ अभी कोनो कोनो संत महात्मा मन गाय ल राष्ट्रमाता घोषित करे के माँग करथें ना, ते ह मोला वाजिब जनाथे.
   -गाय के महत्ता ल तो अफ्रीकी देश सूडान के मुंदरी आदिवासी मन ठउका जानथें, उहाँ एला सबले बड़े धन अउ खजाना माने जाथे.
   -अच्छा..! 
   -हव.. एकरे सेती गाय के रखवारी बर वोमन‌ खाँध म एके 47 जइसन हथियार टाँग के किंजरत रहिथें.

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-धर्म खातिर आस्था ह बहुते सुग्घर बात आय जी भैरा, फेर एकर नॉव ले बगराए जाने वाला अफवाह ल समझना अउ बाँचना घलो जरूरी होथे.
   -सही आय जी कोंदा.. कतकों अफवाह ह बिन मुड़ी पूछी के होथे तभो लोगन वोमा झपाए परथें.
   -हव जी.. अभी वृंदावन के बाँकेबिहारी मंदिर ले खबर आए हे- उहाँ हाथी के मुँह ले टपकत पानी ल लोगन भगवान के चरणामृत आय कहिके पीये बर लुलुवावत झपाय परत हें.
   -वाह भई..! 
   -हव.. फेर उहाँ मंदिर म सेवा करइया आशीष गोस्वामी ह बताइस के असल म वो पानी ह मंदिर म लगे एसी अउ सफाई आदि ले निकलने वाला पानी आय. 
   -भाग भइगे..! 
   -राजस्थान पत्रिका म छपे ए खबर ह वायरल होवत हमन ल चेतावत हे, के कोनो ह कौवा कान ल लेगे कहि दिस त अपन कान ल टमड़े बिन कौवा के पाछू नइ भागना चाही.

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-छत्तीसगढ़ी म एक कहावत हे- 'बेर्रा अबड़ भोगावत हे' एकर मतलब समझथस जी भैरा? 
   -कोन जनी जी कोंदा.. रोगहा.. बेर्रा ल हम गारी होही कहिके भर समझथन! 
   -दू अलग अलग प्रजाति के जिनिस ले सिरजे जिनिस ल 'संकरनस्ल' कहिथन न उही आय.. बेर्रा.
   -अच्छा.. जेकर दाई अलगे अउ ददा अलगे जात समाज के होथे तइसने? 
‌  -हव.. अब ठउका समझे.. अउ ए संकरनस्ल के जिनिस मन उत्ताधुर्रा बाढ़थें.. उही ल हमर सियान मन 'बेर्रा अबड़ भोगावत हे' काहँय.. अब इहाँ के राजनीति म अइसने बेर्रा मन के संख्या म भारी बढ़ोत्तरी आवत हे, ए मन खाथे-पीथें तो इहाँ के अन्न-जल ल फेर गुन गाथें अनगँइहा मन के.
   -अच्छा.. अभी भिलाई के विधायक ह कुरूद के तरिया के नॉव ल अनगँइहा गायिका के नॉव म धर दिए हे तइसने.. जबकि वो तरिया के नॉव ह नगर पालिक निगम के रिकॉर्ड म पहिली ले पंथी सम्राट देवदास बंजारे के नॉव म दर्ज‌ हे.
   -हव संगी.. हमन ल अब अइसने बेर्रा किसम के राजनीतिक मन ले इहाँ के परब-तिहार, नदिया-तरिया, गाँव-गँवई जइसन सबो चिन्हारी ल बँचा के राखे बर लागही, तभे छत्तीसगढ़ ह छत्तीसगढ़ रहि पाही नहीं ते इहू ह परदेशियागढ़ बन जाही.

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-रायपुर के दादाबाड़ी म चलत प्रवचन के श्रृंखला म विराग मुनि जी कहिन जी भैरा के आज सबो झन अपने मान्यता ल ही सबो के ऊपर थोपना चाहत हें, उनला लागथे के उहिच भर सही हे अउ बाकी सब गलत हें.
  -ए बात तो महूंँ ल वाजिब जनाथे जी कोंदा.. जतका धरम-पंथ के संत मनला सुन ले सब अपनेच ल श्रेष्ठ कहिथें अउ आने मनला कमजोरहा.
   -विराग मुनि जी कहिन के आज हम कहाँ ले कहाँ पहुँच गे हावन.. हमर देश म विद्या ल कभू बेचे नइ जावत रिहिसे.. अन्न देवई या काकरो ईलाज खातिर मदद करई ल सेवा अउ पुन्य परसाद माने जावत रिहिसे, फेर आज इही तीनों ह सबले बड़े कारोबार बनगे हे.
   -सिरतोन आय संगी.. धरम-करम के परिभाषा अंते-तंते जनाथे.
   -हव.. वो मन के कहना हे के आज के कतकों संत मन तो भगवान के भक्ति उपासना ल छोड़ के अपने भक्त बनाय म मगन रहिथें.. संत समाज म घलो विकृति आगे हवय.
   -सही आय.. काकर ल मानन अउ काकर ल नहीं तइसे होगे हावय.

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-हरदेव लाला मंदिर म काली छत्तीसगढ़ी चिन्हारी मन के 'उजियार' देखे ले गे रेहे नहीं जी भैरा? 
   -हव.. अइसन सुग्घर उदिम मन म तो मैं कइसनो कर के पहुँची जथौं जी कोंदा.. लइका मन के सुग्घर सुग्घर चित्रकारी, कलाकारी अउ कविता पाठ ल देख सुन के मन गदगद होगे रिहिसे.
   -होबेच करही जी, फेर मोला लागथे के अब हमन ल  पंडवानी या भरथरी जइसन अनगँइहा मन के गाथा के बलदा हमर आरंग के राजा मोरध्वज के वो गाथा ल गाना चाही, जेन ह अपन बेटा ल आरा म दू फाँकी चीर के भगवान के आगू म मढ़ा दिए रिहिसे.
   -हव जी.. भगवान कृष्ण ह जइसे इंद्रदेव के पूजा परंपरा ल बंद करवा के अपन तीर के गोवर्धन पूजा के परंपरा चालू करवाए रिहिसे तइसने.
   -हव.. हमूं मनला अइसने करे बर लागही, अंते तंते के लोगन अउ पात्र मन के गाथा ल छोड़ के अपन इहाँ के गौरव मनला दुनिया भर बगराए के उदिम करना चाही.
   -मैं तो इहू कहिथौं संगी के हमला अइसन जम्मो आयोजन मनला मनोरंजन के संग ज्ञान अउ जनजागरण के माध्यम घलो बनाना चाही.

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-अब तो हमरो इहाँ चार लइका बियाय बर जोर देवत हें जी भैरा.. कइसे करबे तैं ह? 
   -कोन ह अइसन काहत हे जी कोंदा? 
   -दूसर धरम-पंथ वाले मन के बाढ़त जनसंख्या ल देखत हमरो धरम के रखवार मन अइसने करे बर काहत हें जी.
   -वइसे सुने म अइसन गोठ ह बड़ा निक बानी के जनाथे ना, फेर जेकर घर-परिवार हे चोरो-बोरो लोग-लइका हे, ते मन जानथें के उँकर मन के सम्मान जनक शिक्षा अउ भरन-पोसन खातिर कतका मरे-खपे ल परथे.
   -सही आय जी.. डिड़वा मनखे जेकर लोग न लइका परिवार के व्यवस्था कइसे होही तेकर चिंता न फिकर.. वइसन मन का जानहीं चार लइका बियाय ले कइसे का हो जाही तेला? 
   -तभो ले ए गोठ ऊपर चिंतन होना चाही अइसे लागथे मोला.
   -चितन तो सबो गोठ ऊपर होना चाही के वोकर मन के पाले-पोसे के जिम्मेदारी कोन लेही या फेर वो मनला कीरा-मकोरा बरोबर जिनगी जीए बर ढकेल दिए जाही?

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-हमर शहर म तो अभी ले बिन पँखा के सूते-बसे नइ सकन तभो ले काली जेठौनी परब म भुर्री तापे के नेंग ल करे हावन जी भैरा.
   -गरमी ह तो हमरो कोती थिरावन नहीं काहत हे जी कोंदा तभो ले हमूँ मन जुन्ना सूपा, झेंझरी मनला बार के आगी तापे हावन.
   -पहिली के बेरा म जेठौनी के आवत ले जाड़ ह बनेच दँदोरे ले धर ले राहय तभो सियान मन भुर्री बारे अउ तापे खातिर जेठौनी के शुभ परब के अगोरा करँय.
   -हव जी.. जइसे गरमी के मौसम म अक्ती परब ले ही नवा करसी म पानी पीए के शुरुआत करथन तइसने गढ़न.
   -सही आय जी.. जाड़ होवय चाहे गरमी फेर उन दूनों ले राहत पाए के शुरुआत खातिर शुभ परब के अगोरा करे जावय इही ह आज हमर परंपरा बनगे हावय.

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-बिन गुरु के काकरो उद्धार नइ होय काहत रिहिसे जी भैरा.. गाँव के मंडल ह. 
   -बने तो काहत रिहिसे जी कोंदा.. हर मनखे ल अपन जिनगी म एक आध्यात्मिक गुरु जरूर बनाना चाही, काबर ते पूजा-उपासना के फल तो ऊपर वाला ही देथे, फेर वोला गुरु के माध्यम ले ही देथे.
   -अच्छा.. अउ गुरु बनाए बिन पूजा उपासना करत रहिबे तभो फल नइ देवय? 
   -देथे.. फेर अधूरा देथे.. विधिवत गुरु बनाए के पाछू ही पूरा देथे.
   -एकरे सेती तो महूँ ह थथमराए असन होगे हौं.. काला गुरु बनावौं अउ काला नहीं, काबर ते आजकाल रंग-रंग के गुरु देखब म आथे.
   -ऊपर के चकाचक अउ रूप-रंग भर ल देखबे ते अलहन हो जाथे.. वोकर कर्म अउ जीवन दर्शन ल घलो देखना चाही.. आजकाल वंश परंपरा के रूप म फलाना ह गुरु के बेटा आय कहिके घलो नइ अभरना चाही.
   -हव जी बने काहत हस.. तभे तो सियान मन 'गुरु बनावौ जान के अउ पानी पीयौ छान के' काहँय.
   -हव.. फेर आजकाल तो सिधवा बरोबर चोला खाप के हुँड़रा भेड़िया मन घलो किंजरत रहिथें.. अइसन मनला कहूँ गलती म गुरु बना परबे त वो तोला कुकरी चोरा के खवई ल घलो पुन्न के कारज बता देही.

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-राजनीति के अगास म 'बँटोगे तो कटोगे' नारा ह गजब चलत हे जी भैरा.
   -नारा भर के चले ले का होथे जी कोंदा.. नारा लगइया मन के चाल-चरित्तर म घलो तो वइसन दिखना चाही.
   -हव जी सिरतोन आय.. हमर इहाँ तो मंदिर-देवाला तक म भेदभाव देखे ले मिलथे.. वीआईपी मन बर खुसरे के आने रद्दा अउ आम लोगन बर आने.
    -वाह.. आजकाल तो टिकट घलो मिले लगे हे.. अतका के टिकट म एती ले अउ वतका के टिकट म वोती ले.. अब तहीं बता अइसन भेदभाव ले कोनो भी समाज ह एक हो सकथे? मोला तो सिख समाज के वो दृश्य गजब मनभावन लागथे संगी, जिहाँ गुरुद्वारा मन म बड़े बड़े वीआईपी मन घलो लोगन के जूठा बर्तन अउ जूता के सफाई करत रहिथें.
   -अरे अतके ल कहिथस.. जब ज्ञानी जैलसिंह जी राष्ट्रपति रिहिन हें तब उनला तनखैया घोषित कर के स्वर्णमंदिर म जूता साफ करे के आदेश दिए गे रिहिसे.. अउ सिरतोन म संगी जैलसिंह जी वो आदेश के पालन करे रिहिन हें.. अब तैं बता तोर समाज म अइसन संभव हे? 
   -कहाँ पाबे संगी? 
   -हांँ.. जब तक ऊँच-नीच छोटे बड़े के मानसिकता ल पोंस के राखबे, तब तक भइगे नारा भर लगावत रहिबे.. एक नइ हो सकस.

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-देश सेवा खातिर फौज म ही जाना जरूरी नइए जी भैरा.. हम जिहाँ रहिथन उहेंच ले देश सेवा के रद्दा निकाल सकथन. 
   -हाँ ए बात ल तो महूँ मानथौं जी कोंदा.. काबर ते देश सेवा के कतकों रूप हो सकथे.
   -सही आय.. हमर रायपुर के फाफाडीह चौक म एक होटल हे- नीलकंठ रेस्टोरेंट.. इहाँ फौजी मन के विशेष रूप ले सम्मान करे जाथे.
   -अच्छा.. वो कइसे? 
   -इहाँ जे फौजी ह वर्दी पहिन के जाथे वोला पचास प्रतिशत छूट म भोजन करवाए जाथे, अउ कोनो फौजी ह सिविल ड्रेस म चल देथे त वोला पचीस प्रतिशत छूट दिए जाथे.
   -वाह भई..! 
   -रेस्टोरेंट के संचालक मनीष बताथे- वोकर सियान के संगे-संग उन तीनों भाई एनसीसी कैडेट रहें हें, तेकर सेती देश सेवा म जाए के बहुत इच्छा रिहिसे, फेर पारिवारिक ज़िम्मेदारी के सेती फौज म जा नइ पाईन, एकरे सेती देश सेवा खातिर फौजी भाई मनला विशेष छूट के साथ भोजन करवाए के बुता करत हावन.. वो बताथे के उँकर रेस्टोरेंट म रोज 10-15 फौजी आ जाथें.. कभू कोनो शहीद के माता पिता आ जाथें त उनला नि:शुल्क भोजन करवाए जाथे.

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-छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस अवइया हे जी भैरा.
   -हव जी कोंदा.. 28 नवंबर के हर बछर मनाथन न.. इही दिन बछर 2007 म छत्तीसगढ़ विधानसभा म छत्तीसगढ़ी ल राजभाषा के रूप म मान्यता देवइया विधेयक ह सर्वसम्मति ले पास होए रिहिसे, तेकरे सेती जम्मो भाखा प्रेमी मन ए दिन ल छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के रूप म मनाथन.
   -हव बने कहे.. फेर तैं जानथस संगी हमर सरकार ह आजतक छत्तीसगढ़ी ल राजभाषा के रूप म मनाए खातिर विधिवत शासकीय परिपत्र जारी नइ करे हे.
   -डॉ. रमन सिंह जी मुख्यमंत्री रिहिन हें तब तो हर बछर छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस मनाए के घोषणा करे रिहिन हें ना? 
   -हव करे रिहिन हें ना, फेर वो ह आजतक सिरिफ घोषणा ही बन के रहिगे हे.. एकर संबंध म शासन द्वारा विधिवत परिपत्र जारी नइ करे गे हे, एकरे सेती हमर इहाँ के जम्मो शासकीय संस्थान मन म छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस मनाए नइ जाय.
   -वाह भई.. सरकार ल ए डहार चेत करना चाही अउ "हमन बनाए हावन त हमींच मन सँवारबो" के नारा ल सच साबित करत तुरते परिपत्र जारी कर के जम्मो शासकीय संस्थान मन म छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस मनाए के ठोसहा बुता करना चाही.

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-किन्नर मनला सुप्रीम कोर्ट ह जब तृतीय लिंग के रूप म स्वतंत्र चिन्हारी दिए रिहिसे तब मैं रायपुर के किन्नर मन संग भेंट कर के एक लंबा लेख अउ उँकर पीरा ल रेखांकित करत गीत लिखे रहेंव जी भैरा- "घर म रहि के घलो मैं बिरान होगेंव, कइसे बहिनी-भाई बर घलो आन होगेंव.'
  - किन्नर मन के जीवन तो होथेच पीरा के खदान जी कोंदा.
   -सही कहे संगी, फेर अभी बलौदाबाजार जगा के एक खदान म मिले किन्नर काजल के हत्या अउ लाश ले संबंधित खबर ह मोला झकझोर डरिस.
   -वो कइसे? 
   -खबर म बताए गे हवय- रायपुर के जोरा बस्ती म किन्नर मन के मठ हे, जिहाँ के मुखिया बने बर या कहिन उहाँ के वर्चस्व खातिर निशा अउ तपस्या नॉव के किन्नर मन काजल नॉव के किन्नर ल सुपारी दे के मरवा दिस.
   -वाह भई..! किन्नर मठ के वर्चस्व खातिर सुपारी..? 
   -हव जी.. उहू म 12 लाख रुपिया के सुपारी! बलौदाबाजार पुलिस ह ए पूरा मामला के खुलासा करे हे, जेमा दूनों किन्नर संग तीन झन सुपारी लेवइया मनला गिरफ्तार करे हे.
   -बाप रे.. अइसन किन्नर मन ले संवेदनशील होय के बलदा सचेत रहे के जरूरत जनावत हे.

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-अब के लइका मन तो भइगे चिरई पिला कस होगे हें जी भैरा.. पाँखी ह थोक-बहुत जामे अस होइस तहाँ ले कुँदरा ले उड़िया जाथें.
   -ठउका कहे जी कोंदा.. पढ़ा-लिखा के बर-बिहाव करे तहाँ ले नौकरी के ओढ़र म शहर के रद्दा धर लेथें.
   -हव भई.. दाई-ददा मन इहाँ घिलरत हन.. केपकेप करत बिदागरी के रद्दा जोहत हन, फेर हमर मन के देखइया-जतनइया कोनोच नइए.. कभू-कभार उन हमर सुध ले बर आ घलो जथें, त भइगे पहुना बरोबर.. बिहनिया आईन अउ संझा चले गेईन.. रतिहा तक ल नइ बिलमयँ.
   -ए ह अब हमरे भर मन के बात नइ रहिगे हे जी संगी पूरा बस्ती उजार परत हे.. सबोच गाँव के.. इहाँ गाँव के गौंटिया मंडल मन बरोबर सुग्घर जिनगी ल छोड़ के शहर के धुर्रा धुँगिया म बिट्टाए बर लुलुआए परे हें.
   -सही कहे संगी.. शहर के चकाचौंध ह दुरिहा ले देखत भर के आय.. तीर म जाबे त जानबे कतका मुश्किल हे उहाँ जिनगी जीना, फेर ए परलोखिया मनला कोन समझावय.

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-हमर देवी देवता मन म कालभैरव ही अइसे देवता आय जी भैरा जेला मंद-मउहा के भोग लगाए जाथे.
   -हाँ ए बात तो हे जी कोंदा बताए जाथे के ए ह शिव जी के पाँचवा अवतार आय जे ह देवी के रक्षा खातिर अवतार लिए रिहिन हें.. बताथें के वोमन युद्ध के मैदान म रहिथें.. भोलेनाथ ह कालभैरव जी ल कोतवाल घलो नियुक्त करे रिहिन हें, तेकर सेती ए मन हर देवी मंदिर म बिराजे रहिथें.
   -अच्छा..! 
   -हव.. वइसे तो जम्मो जगा के मंदिर मन म कालभैरव जी ल मंद के ही भोग लगथे, फेर हमर छत्तीसगढ़ के रतनपुर महामाया मंदिर म अगहन महिना के अँधियारी पाख के आठे के दिन सात्विक भोग लगाए जाथे.
   -अच्छा.. वो काबर? 
   -ए दिन इँकर जयंती होथे, तेकरे सेती इनला ए दिन बाल स्वरूप मान के सात्विक भोग लगाए जाथे. बाकी दिन आने मंदिर मन असन मंद के भोग लगथे.. असल म कालभैरव ल तामसिक देवता माने जाथे जे ह युद्ध के मैदान म रहिथे.. एकरे सेती इनला मंद जइसे तामसिक भोग चढ़ाए जाथे.

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-हमर परब तिहार, देवता-धामी अउ उपास-धास सबो ह बेटी माई मन के ही भरोसा बाँचे रहिगे हे जी भैरा.
   -ए बात ल तो सिरतोन कहे जी कोंदा.. उहू म वो बेटी माई मन ए सबला माने जाने म अगुवा हें, जेकर मन के नेरवा ह गाँव-गँवई म गड़े हे, शहरिया चोला ओढ़े मन म एमा थोरिक कमी देखे जाथे.
   -सिरतोन कहे संगी, फेर कभू-कभू मैं इहू गुनथौं के ए मनला हमर देश के संविधान ह उनला उँकर अधिकार अउ सुरक्षा खातिर कतका अकन व्यवस्था करे हे, तेकरो जानकारी रहिथे ते नहीं? 
   -हाँ.. इहू ह बड़ जरूरी बात आय.. आज सबो वर्ग अउ ठउर के बेटी माई मनला एकर खँचित जानबा होना चाही.. उँकर दाई-ददा, भाई-बंद सबो ल ए डहार चेत करना चाही, काबर ते जतका जरूरी हमर परब-संस्कृति के बढ़वार हे, वतकेच जरूरी महतारी बेटी मन के सुरक्षा अउ अधिकार घलो हे.
   -हव जी आज 26 नवंबर के संविधान दिवस के बेरा म आवव परन करीन के हमन ए मुड़ा म ठोसहा कारज करबोन.. काबर ते बेटी माई मन सम्मान के साथ रइहीं, तभे हमर परब-संस्कृति घलो सम्मान जनक स्थिति म बाँचे रहि पाही.
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