ये बैरी, दिन आगे हावय बरसात के
चंदा लुकागे आधा रात के, कइसे खवावौं दूध-भात के....
कोन दिशा ले आथे बिलवा रे बादर
अइसे घपटथे जइसे सबले हे आगर
फेर पानी रितोथे जुड़वास के.....
जेठ-बइसाख ठउका जुगजुग ले दिखय
खेलत चंदैनी संग मुच-मुच करय
तभो बेरा निकालय मुलाकात के.....
खेती-किसानी तो गदबद ले मात गे हे
धनहा मन परी सहीं सुघ्घर सज गे हे
फेर मोर होगे बिरहा बिना बात के.....
सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
मो.नं. 098269 92811
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