आज भाद्रपद कृष्ण पक्ष छठ को समूचे छत्तीसगढ़ में कमर छठ का पर्व उत्साह पूर्ण माहौल में मनाया जा रहा। यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के ज्येष्ठपुत्र कार्तिकेय के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
कमर छठ संस्कृत भाषा के कुमार षष्ठ का छत्तीसगढ़ी अपभ्रंश है। आप लोगों को तो ज्ञात ही होगा कि समूचे देवमंडल में केवल कार्तिकेय को ही कुमार कहा जाता है। इसीलिए माताएं इस दिन सगरी बनाकर भगवान शिव और पार्वती की पूजा करती हैं और उनके पुत्र (कार्तिकेय) के समान श्रेष्ठ पुत्र (संतान) की कामना करती हैं।
ज्ञात रहे कि छत्तीसगढ़ की मूल संस्कृति, जिसे मैं आदि धर्म कहता हूं वह सृष्टिकाल, युग निर्धारण की दृष्टि से कहें तो सतयुग की संस्कृति है, जिसे उसके मूल रूप में लोगों को समझाने के लिए हमें फिर से प्रयास करने की आवश्यकता है, क्योंकि कुछ लोग यहां के मूल धर्म और संस्कृति को अन्य प्रदेशों से लाये गये ग्रंथों और संस्कृति के साथ घालमेल कर लिखने और हमारी मूल पहचान को समाप्त करने की कोशिश कर रहे हैं।
सुशील भोले
संस्थापक, आदि धर्म सभा
No comments:
Post a Comment