सवाल इस बात का नहीं है कि सांईं भगवान हैं या नहीं हैं। सवाल इस बात का है कि समूचे भारतीय जनमानस की आस्था का निर्धारक कौन है? क्या कुछ मुट्ठी भर साधु-संत या शंकराचार्य?
जहां तक मेरा मानना है, हर व्यक्ति अपनी आस्था का स्वयं निर्धारक होता है। आप क्या कहते हैं..?
*सुशील भोले*
जहां तक मेरा मानना है, हर व्यक्ति अपनी आस्था का स्वयं निर्धारक होता है। आप क्या कहते हैं..?
*सुशील भोले*
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