छत्तीसगढ़ राज्य के स्थापना दिवस पर दिये जाने वाले राज्य अलंकरणों में साहित्य के क्षेत्र में दिये जाने वाला पं. सुन्दरलाल शर्मा सम्मान के संदर्भ में मैंने (सुशील भोलेे) मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को एक पत्र लिखकर इसे छत्तीसगढ़ी भाषा-साहित्य के लिए कार्य करने वाले साहित्यकारों को ही प्रदान करने अथवा छत्तीसगढ़ी भाषा-साहित्य के लिए स्वतंत्र रूप से कोई अन्य अलंकरण प्रदान करने के संबंध में लिखा था। क्योंकि सुंदरलाल शर्मा अलंकरण को यहां ऐसे भी व्यक्तियों को भी प्रदान किया जा रहा है, जिन लोगों का यहां की भाषा, संस्कृति अथवा अस्मिता से दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है।
मेरे इस पत्र के संदर्भ में श्री जे.एन. अवस्थी अवर सचिव छत्तीसगढ़ शासन, संस्कृति विभाग के माध्यम से संचालक, संस्कृति एवं पुरातत्व को पत्र क्र. 619/टीएल 30/सं./2014 दिनांक 27-12-2014 के माध्यम से इस विषय पर संबंधित आवेदक एवं विभाग को जानकारी सुनिश्चित कराने के लिए कहा गया है।
मित्रों, किसी भी राज्य का अलंकरण वहां की भाषा, संस्कृति और अस्मिता पर आधारित कार्य करने के लिए होता है। लेकिन इस प्रदेश में ऐसे लोगों को सम्मानित किया जा रहा है, जिनका यहां की भाषा, संस्कृति और अस्मिता से दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं होता है। हमारा किसी भी व्यक्ति से व्यक्तिगत कोई विरोध नहीं है, लेकिन यहां की जनभाषा के लिए कार्य करने वालों के मुंह से निवाला छीनकर अन्य लोगों को यह सम्मान दिया जायेगा तो निश्चित रूप से उसका विरोध किया जायेगा।
आप सभी से अनुरोध है कि मेरी इस लड़ाई में सहभागी बनकर यहां की जनभाषा छत्तीसगढ़ी को स्वतंत्र रूप से सम्मानित करने के लिए आवाज बुलंद करें।
धन्यवाद,
आपका
सुशील भोले
म.नं. 54-191, डॉ. बघेल गली,
संजय नगर (टिकरापारा) रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 080853-05931, 098269-92811
ईमेल - sushilbhole2@gmail.com
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मेरे फेसबुक में इस पर टिप्पणियां...
मेरे इस पत्र के संदर्भ में श्री जे.एन. अवस्थी अवर सचिव छत्तीसगढ़ शासन, संस्कृति विभाग के माध्यम से संचालक, संस्कृति एवं पुरातत्व को पत्र क्र. 619/टीएल 30/सं./2014 दिनांक 27-12-2014 के माध्यम से इस विषय पर संबंधित आवेदक एवं विभाग को जानकारी सुनिश्चित कराने के लिए कहा गया है।
मित्रों, किसी भी राज्य का अलंकरण वहां की भाषा, संस्कृति और अस्मिता पर आधारित कार्य करने के लिए होता है। लेकिन इस प्रदेश में ऐसे लोगों को सम्मानित किया जा रहा है, जिनका यहां की भाषा, संस्कृति और अस्मिता से दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं होता है। हमारा किसी भी व्यक्ति से व्यक्तिगत कोई विरोध नहीं है, लेकिन यहां की जनभाषा के लिए कार्य करने वालों के मुंह से निवाला छीनकर अन्य लोगों को यह सम्मान दिया जायेगा तो निश्चित रूप से उसका विरोध किया जायेगा।
आप सभी से अनुरोध है कि मेरी इस लड़ाई में सहभागी बनकर यहां की जनभाषा छत्तीसगढ़ी को स्वतंत्र रूप से सम्मानित करने के लिए आवाज बुलंद करें।
धन्यवाद,
आपका
सुशील भोले
म.नं. 54-191, डॉ. बघेल गली,
संजय नगर (टिकरापारा) रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 080853-05931, 098269-92811
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एकदम सही कहत हस ग , सुशील भाई ! जे मन छत्तीसगढी बोले नइ जानय ते मन कतको झन ल पंडित सुन्दर लाल शर्मा सम्मान मिल गय हावय अऊ जे मन ए सम्मान के हकदार हावयँ ते मन ल , विशेष करके बहिनी मन ल ए सम्मान हर अब कभू नइ मिल सकय ,तइसे लागत हे , काबर के जूरी म न एको झन छत्तीसगढिया रहयँ न एको झन बहिनी रहयँ -' भइगे अँधरा बॉहटय रेवडी ' सरिख तो आय ग ! ज़ूरी म कभू बहिनी - मन काबर नइ रहि सकयँ तेनो आश्चर्य के बात ए । एदे नरेद्र भाई हर बहिनी - मन ल ओकर हक़ देहे के पक्ष - धर हे एती बिचारी बहिनी मन आज तक पं. सुन्दरलाल शर्मा सम्मान के 1% नइ पाए हें । एहर बहुत अपमान - जनक बात ए । अब ऐसे सोंचत हौं के मंत्री भाई मन ल नमस्ते करे बर लागही । हमर हक़ ह हमला कब मिलही भगवाने जानय !
ReplyDeleteधन्यवाद दीदी..
ReplyDeleteआपके कहना सही हे.. हमर दीदी-बहिनी मनला घलोक पुरस्कार मिलना चाही...
छत्तीसगढ़ी खातिर स्वतंत्र रूप ले पुरस्कार चालू करना चाही..