"जोहार" अउ "जय जोहार"
एक कहावत हे- अड़हा बइद परान घातका। माने अड़हा कहूं बइद ह होगे, त मरीज के मरे बिहान हे। ठउका इही किसम कहूं जे मन भाखा खातिर कारज करत हें, अउ उहू मनला भाखा अउ ओकर ले जुड़े परंपरा अउ संस्कृति के समझ नइए त उहू भाखा के मरे बिहान कस हे।
अभी जे मन हमर भाखा के नाव म एती-वोती कूदत हें, वोमा के कतकों जब मोर संग भेंट होथे, त कहि परथें-"जय जोहार" भोले जी। मैं अतका म टमड़ डारथंव के भाखा के नाव म बिल्लस खेलइया ए लोगन के भाखा अउ संस्कृति के संबंध म कतका ज्ञान हे।
अरे भई, जोहार संबोधन खातिर पूर्ण शब्द आय वोला ककरो पंदोली के जरूरत नइए। जइसे- नमस्कार या प्रणाम ल ककरो जरूरत नइ परय। जोहार के मतलब ही नमस्कार या प्रणाम करना होथे। जइसे हम जय नमस्कार या जय प्रणाम नइ काहन वइसने जय जोहार कहे के भी जरूरत नइए। अभिवादन खातिर सिरिफ "जोहार" कहना काफी हे।
गांव म परंपरा हे- जब देवारी पइत पहाटिया मन मड़ई उठाए के समय सबले पहिली गांव के गंउटिया या सियान ल पहिली सम्मान दे के परंपरा निभाथें, त उन कहिथें- चलव गा पहिली दाऊ ल, मंडल ल, या सरपंच ल जोहार लेथन, तेकर पाछू दइहान या अउ कोनो आयोजन ठउर कोती जाबो।
-सुशील भोले
आदि धर्म जागृति संस्थान, रायपुर
मो. 9826992811
Thursday, 6 December 2018
जोहार अउ जय जोहार
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment