बड़े जतन म बनथे संगी अपन घर सुग्घर निरमल छइयां होथे अपन बर दूसर के कतकों महल हो फेर होथे दूसर स्वाभिमान इहें जागथे होथे गुजर बसर -सुशील भोले 9826992811
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