Friday 23 August 2019

आधा शीशी या गाभिन...?

आधा शीशी अउ गाभिन...
संगी हो काली जुवर "अवतरे हे या जमने हे" शब्द के छत्तीसगढ़ी भाखा म उपयोग के संबंध म जानेंन, आज "पांव भारी, आधा शीशी हे, या फेर गाभिन हे" शब्द के उपयोग कइसे होथे, तेकर उप्पर चरचा करबोन।
हिन्दी भाखा म ऊपर के जम्मो शब्द मन ल गर्भावस्था के सूचक शब्द कहे जा सकथे। फेर छत्तीसगढ़ी म एकर उपयोग अलग- अलग संदर्भ म करे जाथे।
जइसे कोनो मनखे ह अपन बहू खातिर ए अवस्था के जानकारी देना चाहथे, त कहिथे- हमर बहू ह भारी पांव हे गा, या आधा शीशी हे जी, या फेर पेट म हवय घलो कहि सकथे। फेर अपन बहू खातिर "गाभिन हे" शब्द के उपयोग नइ करय। ठउका इही किसम, जब वो अपन घर के गाय या भइंस के इही अवस्था के जानकारी देथे, त वोकर बर "गाभिन" शब्द के उपयोग करथे, के हमर गाय गाभिन हे गा। वो ह गाय खातिर पेट म हे, आधा शीशी हे या पांव भारी हे शब्द के उपयोग नइ करय। अउ इही अवस्था के जानकारी जब फसल खातिर देना होथे, त कहिथन- धान ह "पोठरियागे" हे गा या "पोठरीपान" धर ले हे।
ए हमर भाखा के शब्द भंडार अउ वोकर उपयोग करे के विविधता के बहुत सुघ्घर उदाहरण आय। एकर ले हमर भाखा के समृद्धि के घलो जानबा मिलथे, जेकर उचित उपयोग के संग वोकर बढ़वार के जोखा घलो हमला करना हे। जय हो राजभाखा छत्तीसगढ़ी... जय हो महतारी भाखा छत्तीसगढ़ी...
-सुशील भोले

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