Sunday, 30 August 2020

नवा खाई परब....

नवाखाई परब...
अपन मेहनत ले उपजाए खरीफ फसल ल अपन ईष्ट देव ल समर्पित करे के परब आय "नवाखाई परब"। फेर ये परब ल अलग- अलग वर्ग के मन अलग- अलग तिथि म मनाथें। ये ह हमर संस्कृति के विविधता के ठउका चिन्हारी आय, के एकेच ठन परब ल अलग- अलग संदर्भ या अलग- अलग तिथि म घलो मना लेथन, जबकि परब मनाए के उद्देश्य एके होथे।
छत्तीसगढ़ म " नवाखाई परब " ल घलो अइसने अलग- अलग बेरा म मनाथें। इहाँ उत्कल संस्कृति जीने वाले मन जे उड़िसा सीमा क्षेत्र के रहइया आयं, उन एला भादो महीना के अंजोरी पाख के ऋषि पंचमी के दिन मनाथें। इहाँ के गोंडवाना के संस्कृति ल जीने वाला मन ए परब ल कुंवार महीना के अंजोरी पाख म दशहरा तिथि के आसपास अष्टमी या नवमी के मनाथें। जबकि इही "नवाखाई परब" ल इहाँ के मैदानी भाग म रहइया सामान्य वर्ग अउ ओबीसी के लोगन मन कातिक अमावस्या के मनाए जाने वाला देवारी परब बखत "अन्नकूट" के रूप म मनाथें।
ये हमर संस्कृति के विविधता के एक अच्छा उदाहरण आय, के एके ठन परब ल हमन अलग- अलग बेरा म मना लेथन, फेर ए सबके उद्देश्य एके आय अपन नवा फसल ल अपन ईष्ट ल समर्पित करना। अइसने बहुत अकन परब हे, जेकर संदर्भ अलग- अलग वर्ग के मन अलग- अलग बताथें या मानथें। तेकर सेती कहिथंव, के ए बाहिर ले दिखत अलगाव के नाम म लड़े-झगरे के बदला सबके सम्मान करत एक-दूसर ल सहयोग करना चाही।
-सुशील भोले
आदि धर्म जागृति संस्थान रायपुर
मो. 9826992811

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