31 मई जयंती म सुरता//
छत्तीसगढ़ी मंच के पहला कवयित्री डाॅ. निरूपमा शर्मा
छत्तीसगढ़ी कवि सम्मेलन के मंच म सबले पहिली कवयित्री के रूप म अपन उपस्थिति देवइया डाॅ. निरूपमा शर्मा जी के घर अउ मोर घर एके पारा म दू कदम के फासला म रिहिसे फेर दीदी संग मोर चिन्हारी तब होइस, जब मैं सन् 1983 ले रायपुर के साहित्यिक गतिविधि मन संघरे लगेंव. खासकर के छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति के साप्ताहिक गोष्ठी जेन पुरानी बस्ती के टिल्लू चौक के देवबती सोनकर धरमशाला म होवय. तब हमन दूनों अमीनपारा म राहन. मैं नवदुर्गा चौक म अउ दीदी हमर आगू के गली म. उंकर ठीक तीन घर के आड़ म डॉ. सुखदेव राम साहू जी घलो राहत रिहिन, तेकर सेती जब कभू मैं उंकर घर बइठे-उठे बर जावंव, त दूनों घर सरलग हमावत आवंव.
महतारी सुरूजकुंवर अउ सियान बागेश्वर गोस्वामी घर 31 मई 1944 के जनमे निरूपमा दीदी हमन ल अपन सग छोटे भाई बरोबर मया करय. एक बेर सावन के महीना म वोमन हमन ला अपन मइके घुमाए बर घलो लेगे रिहिन हें. तब रायपुर ले हमन दीदी संग शोभादेवी शर्मा, डॉ. सुखदेव राम साहू, सुशील यदु अउ मैं कवर्धा म उंकर घर गये रेहेन. सावन के महीना फेर उप्पर ले सोमवार घलो तेकर सेती भोरमदेव मंदिर के दर्शन करे बर घलो चलदे रेहेन. तब कवर्धा के कवि संगी कौशल साहू 'लक्ष्य' ह हमन ल रायपुर ले पांच साहित्यकार आए हें कहिके हमर मनके सम्मान म एक कवि गोष्ठी के आयोजन कर डारे रिहिसे. हमन उहाँ जानेन के दीदी के मइके म कबीर साहेब ल जबर माने जाथे. दीदी बताए रिहिन हें- कबीर साहेब जब छत्तीसगढ़ भ्रमण म आए रिहिन हें, तब हमर ए घर म घलो पधारे रिहिन हें, एकरे सेती उहाँ कबीर जी के खड़ाऊ माढ़े हवय, जेकर उंकर बड़े भैया सेवादार हें, उही मन वोकर सेवा करथें. वो डहार के जम्मो कबीर पंथी मन मिलके उहाँ हर बछर विशेष कार्यक्रम के आयोजन करथें. दीदी बताए रिहिन हें, ए कवर्धा वाले कबीर चौंरा ह दामाखेड़ा वाले कबीर आश्रम ले अलग हे. इहाँ के जम्मो देखरेख अउ व्यवस्था इहाँ अलग से करे जाथे.
निरूपमा दीदी के लेखन संसार बहुतेच बड़े हे. उंकर छत्तीसगढ़ी म लिखे पहला कविता संकलन पतरेंगी ले लेके हिन्दी अउ छत्तीसगढ़ी के- बूंदों का सागर, रितु बरनन, हमर चिन्हारी, दत्तात्रेय के चौबीस गुरु, मूल्यजनक पुराख्यान, इंद्रधनुषी छत्तीसगढ़, चिंतन के बिंदु/विचार के हीरा, दाई खेलन दे, छत्तीसगढ़ का ददरिया ( इहाँ ए जानना जरूरी हे, ए कृति ह दीदी के शोध ग्रंथ आय, जिनमा उन पीएचडी करे रिहिन हें), सामयिक गीत. इंकर छोड़े एक अउ संकलन छपे के अगोरा म रिहिसे- जिनगी के रूप.
निरूपमा दीदी के जतका सुग्घर लेखनी रिहिसे वतकेच सुग्घर उंकर आवाज अउ प्रस्तुति घलो रिहिसे. उंकर एक गीत बहुत लोकप्रिय होए रिहिसे-
मंझली तोर बहुरिया ममादाई, मंझली तोर बहुरिया ह वो
रांधे-गढ़े के नइए ठिकाना, मांजथे पइरी अउ बिछिया ममादाई...
मइके के बड़ई म चलावथे चरखा, अड़बड़ हावय चटरही
कांदी लूवथे, पीयथें पसिया, मइके म संझा बिहनिया ममादाई...
लाली कोर लुगरा अउ गहना पहिर के मटकथे अंगना दुवारी
भुइयां म सुत के सरग के हे सपना देखत हवै अपनसुर्री
मुंह ल फुलोथे अउ नखरा देखाथे आथे जब ओकर नंगरिहा ममादाई...
ननंद देरानी के चारी ला करके दिन रात झगरा लड़ाथे
एकर ओकर बद्दी ल सुनसुन के मन ह घलो बगियाथे
अइसन पतोहिया के आगी लगे गुन म तहीं हस रद्दा बतइया ममादाई...
ए गीत ल हमन कवि सम्मेलन के मंच म तो सुनबेच करन, आकाशवाणी ले घलो संगीतबद्ध सुने ले मिलय. निरूपमा दीदी एक हास्य कवि के रचना 'नोनी बेंदरी' जेमा एक किसम ले महिला मनके उपहास उड़ाए के कोशिश करे गे रिहिसे, वोकर जवाब म घलो एक रचना लिखे रिहिन हें- 'टूरा बेंदरा'. ए दूनों रचना मन के ऊपर तब गजब चर्चा होए रिहिसे. दीदी संग तो हमन कवि गोष्ठी, कवि सम्मेलन के संगे-संग आकाशवाणी म घलो कतकों बेर संगति करत राहन. हमर मन के छत्तीसगढ़ी मासिक पत्रिका 'मयारु माटी' म उन शुरू ले जुड़े रिहिन. 'मयारु माटी' के हर अंक म दीदी के कविता, कहानी या लेख आदि रहिबे करय.
निरूपमा दीदी छत्तीसगढ़ के महिला साहित्यकार मनला एक मंच म लाए खातिर घलो जबर बुता करे रिहिन हें. वोमन एकर खातिर एक किताब 'छत्तीसगढ़ की महिला साहित्यकार' छपवाए घलो रिहिन हें. मोरो जगा बहुत झन के नाम, पता अउ संपर्क नंबर मांगे रिहिन हें. उन काहयं- तैं प्रेस लाईन के मनखे अस तेकर सेती तोर जगा गजब झन के नाम पता रहिथे. ए किताब के छपवाए म मैं दीदी ल प्रूफ रिडिंग आदि के घलो सहयोग करे रेहेंव. उंकर एक दू अउ किताब मन म घलो.
एक बात मैं ए जगा विशेष रूप ले कहना चाहथौं. निरूपमा दीदी के कवि सम्मेलन के मंच म जेन गरिमापूर्ण उपस्थिति अउ प्रस्तुति हमन देखे रेहेन, आज के मंच म वो कोनो मेर देखब म नइ आवय. आज तो कवि सम्मेलन के मंच ह गम्मत के रूप धारण करत दिखथे, जे हा बहुत चिंता अउ दुख के बात आय. वरिष्ठ मनला एती चेत करना चाही.
निरूपमा दीदी ल 5 सितम्बर 2001 के राष्ट्रपति द्वारा मिले शिक्षक सम्मान सहित हिन्दी अउ छत्तीसगढ़ी भाषा, साहित्य अउ सामाजिक काम खातिर गजब सम्मान मिले हे. पं. रविशंकर वि. वि. रायपुर ह एक छात्रा ल छत्तीसगढ़ के पहला महिला साहित्यकार के रूप म एमफिल के उपाधि घलो दिए हे. वोमन प्राथमिक ले लेके उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के पाठ्यक्रम निर्धारण अउ पाठ्य विषय वस्तु के विषय समिति के मानद सदस्या घलो रहे हें.
जिनगी के हर क्षेत्र म सफलता अउ सम्मान के शिखर ल अमरत 78 बछर के उमर म 7 जून 2022 के उन ए नश्वर दुनिया ले बिरादरी ले लेइन. उंकर सुरता ल पैलगी जोहार.
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811
Sunday, 17 July 2022
छत्तीसगढ़ी मंच के पहला कवयित्री डाॅ. निरूपमा शर्मा
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