गेंड़ी प्रसंग...
हमर छत्तीसगढ़ म हरेली एक अइसे परब आय, जेला लइका मन गजब उत्साह के साथ अगोरा करथें. काबर ते ए दिन वोमन ल बांस के बने गेंड़ी म चघे अउ नंगत किंजरे के अवसर मिलथे. एकरे सेती लइका मन ए हरेली परब ल 'गेंड़ी परब' के रूप म घलो चिन्हारी करथें.
वइसे तो ए परब म गेंड़ी काबर बनाए जाथे, एकर ए परब ले संबंधित का महत्व हे, ए बात कोनो ठोस कारण नइ मालूम होवय. अउ ते अउ एकर कोनो आध्यात्मिक कारण घलो समझ म नइ आवय. फेर चेतलग सियान मन के कहना हे, एला चम्मास के गहीर बरसा के सेती किचिर-काचर माते चिखला ले लइका मनला बचा के रेंगाए खातिर बनाए गे होही. तेमा वोमन चिखला-पानी ल नाहकत घलो स्कूल, कोनो तरिया या अपन संगी-साथी मन संग मेल-भेंट करे बर आसानी के साथ जा सकय. एकरे सेती ए हरेली परब के बहाना गेंड़ी बनाए के नेंग ल घलो कर दिए जाथे.
ठउका अइसने एकर विसर्जन खातिर घलो कोनो अलग से परब नइ मनाए जाय, तभो ले एला नरबोद परब के दिन टोर-टुरा के विसर्जित कर दिए जाथे. ए नरबोद परब ल वनांचल क्षेत्र म बहुतायत म मनाए जाथे. ए परब ल 'पोरा तिहार' के बिहान दिन मनाए जाथे.
ए नरबोद परब म सबो गाँव वाले मन पोरा के दिन के बांचे रोटी-पीठा अउ घर म जतका सदस्य होथे, वो सबो के नाव ले जुन्ना खटिया के डोरी ल गांठ बांध के, घर के जम्मो परेशानी-समस्या, रोग-राई, खाज-खजरी ल प्रतीक स्वरूप एक ठन पोतका म बांध के सकलाथें. गांव के बइगा ह सांहड़ा देव के पूजा-पाठ करथे. तहाँ ले सबो गाँव वाले मन संग सियार म पहुँचा देथे. ए तिहार म हरेली के दिन बनाए गेंड़ी ल घलो टोर-टुरा के सरोय के परंपरा ल पूरा करे जाथे. गेंड़ी ल गांव के सियार म एक पेंड़ जगा सात भांवर गोल घूम के टोरे जाथे. बइगा ह इही जगा हूम-धूप देके सबो गाँव भर के लाए पोतका मनला बार के रोग-राई ल छोड़ देथे.
एकर बाद लइका मन गाँव के सबो रोग-राई, बीमारी-परेशानी, दुख-दरद ल ले जा रे नरबोद कहिके चिल्लावत सियार म नहका देथे. बाद म बेलवा डारा, कर्रा डारा ल खेत, घर, बारी-बखरी, कोठार आदि म खोंचे जाथे. एकर मानता हे, के एकर ले जम्मो किसम के परेशानी दुरिहा रहिथे.
आज गेंड़ी ह प्रतियोगिता के संगे-संग कला के प्रदर्शन के रूप घलो धर लिए हे, एकरे सेती अब एला बारो महीना कोनो न कोनो रूप म देखे जा सकथे.
अभी हमर छत्तीसगढ़ सरकार ह हरेली के दिन सबो स्कूल मन म लइका मन खातिर गेंड़ी दौड़ के प्रतियोगिता आयोजित करे बर आदेश निकाले हे, तेनो ह गजब सहराय के लाइक हे. काबर ते एकर माध्यम ले लइका मन अपन परंपरा अउ भाखा संग जुड़त जाही.
-सुशील भोले-9826992811
Tuesday, 26 July 2022
गेंड़ी प्रसंग...
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment