Monday, 3 July 2023

काव्य लेखन अउ खुमान साव

छत्तीसगढ़ी  पद्य लेखन अउ खुमान साव....

    दुनिया म जतका भाखा हे,  सबो के लेखन अउ उच्चारण म कोनो न कोनो किसम के मौलिकता जरूर हे, एकरे सेती वोकर सबले हट के अलग अउ स्वतंत्र पहचान बनथे।

     हमर छत्तीसगढ़ी के पद्य लेखन म घलो एक अलग अउ स्वतंत्र चिन्हारी हे, एकर लेखन स्वर अउ ताल के माध्यम ले लिखे के हे। छत्तीसगढ़ी पद्य ल स्वर अउ ताल बद्ध लिखे जाथे। महान संगीतकार स्व. खुमान लाल साव जी एकर संबंध म एक बहुत बढ़िया उदाहरण देवंय। उन बतावंय के "चंदैनी गोंदा " के रिकार्डिंग खातिर जब वोमन मुंबई गे राहंय, त एक करमा गीत - 'दिया के बाती ह वो कइसे सच बात ल कहिथे जरे के बेरा' म ताल पांच मात्रा के बाजय।

     उन बतावंय के दुनिया म अउ कहूं पांच मात्रा के विषम ताल नइ होवय। सब म दू अउ चार मात्रा के सम ताल होथे।

     उन बतावंय, बंबई के जतका संगीतकार उहाँ बइठे राहंय, सब माथा धर लिए राहंय, वोमन म के एको संगीतकार बहुत कोशिश करे के बावजूद वो पांच मात्रा के ताल ल बजा नइ पाइन।

    आज छत्तीसगढ़ी म घलो अपन मौलिक चिन्हारी ल छोड़ के दूसर भाषा मन के परंपरा ल लिखे अउ लादे के रिवाज चल गे हवय। दूसर भाषा के लेखन शैली ल थोर बहुत अपनाना तो स्वागत योग्य बात आय। फेर आरुग दूसर भाषा के लेखन शैली ल ही हमर मूड़ में खपल देना ल स्वीकार नइ करे जा सकय।

आजकाल कविता के नॉव म हिन्दी, उर्दू अउ आने-आने भाखा मन के काव्य लेखन के परंपरा के जइसन बढ़वार हमर इहाँ देखे ले मिलत हे, वो ह सोचे के बात आय।

    कोनो भी भाषा के विकास अउ सम्मान वोकर खुद के लेखन रूप के बढ़वार हो सकथे, आने के परंपरा ल अपनाय अउ थोपे म नहीं।

    खुमान साव जी जब मोर 'रिकार्डिंग स्टूडियो' रिहसे त उन जब कभू रायपुर आवयं, त मोर जगा बइठे खातिर जरूर आवयं, तहाँ ले  मंझनिया भर हमर मन के कतकों विषय ऊपर गोठबात चलत राहय. उन काहंय- सुन न सुशील, जे मन हिन्दी काव्य परंपरा के मुताबिक लघु गुरु के मात्रा ल गनत रहिथें न, ते मन मोला एक नइ सुहावय.

-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो. 9826992811

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