Thursday, 13 July 2023

मोला घुनासी लागत हे..

सुरता//
मोला घुनासी लागत हे..
    आज जिनगी के संझौती बेरा म जब नींद ह छपक के धरे म घलो बुलक देथे, चोबिसों घंटा अलथी-कलथी मारे म लट्टे-पट्टे तीन चार घड़ी के पुरती अमा पाथे, त लइकई के वो दिन के सुरता गजब आथे जब कापी-किताब ल आगू म मढ़ाते नींद ह झुमराय लगय अउ पढ़ई-लिखई ल छोड़ के तनिया के सूत जावन.
   हमर महतारी बतावय, लइकई म रतिहा बेरा बियारी कर के जब सबो भाई-बहिनी पढ़े बर बइठन त मोला गजब उंघासी आवय. कापी-किताब आगू माढ़े राहय अउ मैं नींद म झुमरत राहंव, अउ जब कोनो मोला हुदर के पढ़े बर काहय त मैं 'मोला घुनासी लागत हे, अब सूतहूं' कहिके उहिच जगा ढलगे ले धर लेवौं. तब हमर सियान मोला गारी देवत काहय- 'जहाँ पढ़े ले बइठिस तहाँ एकर झुमरई चालू' काहत खिसिया जावय अउ फेर मोला सूते खातिर छुट्टी मिल जावय.
   अइसन घटना मोर जिनगी म कक्षा तीन के पढ़त ले घटय. जब मैं 'उंघासी' शब्द के उच्चारण ल 'घुनासी' लागत हे काहत राहंव. तब तक हमन भाठापारा शहर म राहत रेहेन. चौथी कक्षा ले मोर पढ़ई हमर पैतृक गाँव नगरगाँव म होइस, अउ हमर सियान अपन स्थानांतरण करवा के भाठापारा ले रायपुर आगे रिहिन, वोकर बाद तो अइसन दृश्य कभू नइ बनिस.
    आज जिनगी के छठवाँ  दशक म पाॅंव रखत वो दिन के सुरता गजब आथे, जब नींद ह हमन ल संगवारी बरोबर पोटारे राहय. उठत-बइठत पढ़त-लिखत मितानी के झुलना झुलावत राहय. तब खटिया देखे के जरूरत परय न बिछौना के. जेन जगा बइठे राहन उहिच जगा ढलंग जावन.
    आज जिनगी के संझौती बेरा म जब खटिया च ह जिनगी के संगवारी बन गे हावय त नींद ह बैर भाॅंजत रहिथे. लकवा के अभेरा म परे के बाद तो चोबिसों घंटा अलथी-कलथी करत रहिथौं तभो लजकुरहिन नोनी कस नींद ह एती-वोती छॅंडलत-बुलत रहिथे.
    अइसन बेरा म वो लइकई के सुरता गजब आथे, मन होथे, फेर मैं 'मोला घुनासी लागत हे' काहत निसफिक्कर होके चार घड़ी सूत लेतेंव.
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811

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