Wednesday, 13 March 2024

मृतात्मा के शांति बर उरई म पानी..

विचार//
मृतात्मा के शांति खातिर दस दिन ले उरई म काबर रितोथन पानी? 
    हमर छत्तीसगढ़ म तइहा बेरा ले ए परंपरा चले आवत हे, के जेन कोनो हमर लाग-मानी मन अपन नश्वर देंह के त्याग कर के अपन देवलोक के रद्दा चल देथें, वोला अंत्येष्टि या कहिन काठी के दिन ले दसगात्र तक रोज कोनो तरिया या नदिया म घाट बना के पॉंच पसर पानी जरूर देथन.
    ए परंपरा ह इहाँ के हर जाति समाज म देखे म आथे. जेन तरिया या नदिया म मृतात्मा ल पानी दे खातिर घाट बनाए जाथे, वोमा 'उरई' नामक एक जलीय पौधा ल गड़िया दिए जाथे, तहाँ ले वो जगा मृतात्मा खातिर एक ठन मुखारी मढ़ा दिए जाथे. जेन गाँव या घाट म उरई के पौधा नइ मिलय उहाँ दूबी ल गड़िया दिए जाथे, काबर ते दूबी ल घलो उरई बरोबर अम्मर माने जाथे, फेर उरई ल प्राथमिकता दिए जाथे. 
   हमर जिनगी म जनम ले मरण तक कतकों नेंग-जोग अउ रीति-रिवाज हे, जेला हमन पुरखौती बेरा ल पूरा निष्ठा अउ नियम के साथ मनावत आवत हावन. आप सब जानथौ के हमर छत्तीसगढ़ ह मूल रूप ले प्रकृति के उपासक समाज आय. एकरे सेती हमर इहाँ प्रकृति ले जुड़े हर जिनिस, जइसे जीव-जंतु, रुख-राई, कांदी-कुसा आदि सबोच ल इहाँ के नेंग-जोग अउ रीति-रिवाज म संघारे गे हावय.
   नदिया, नरवा, तरिया, ढोड़गा जम्मोच पानी के तीर म पाए जाने वाला जलीय पौधा 'उरई' घलो अइसने एक प्राकृतिक जिनिस आय, जे ह कभू मरबे नइ करय, माने एक किसम ले अम्मर होथे. ए उरई ह कतकों खड़खड़ ले सूखा जाय राहय, फेर जब कभू थोर-बहुत पानी मिल जाथे, तहाँ ले फेर हरिया के मुस्काए लगथे. माने वापिस पुनर्जीवित हो जाथे.
    हमन तइहा बेरा ले सुनत अउ पढ़त आवत हावन के आत्मा रूपी जीव ह कभू मरय नहीं, मरथे कहूँ त ए पॉंच तत्व ले बने शरीर ह. एकरे सेती एला आत्मा के शरीर बदलना घलो कहे जाथे. कहे जाथे के आत्मा ह जर्जर होवत शरीर ल बदल के दूसर नवा शरीर म प्रवेश कर जाथे. इहू मान्यता हावय के वो आत्मा ह अपन तात्कालिक देंह के माध्यम ले करे गे कर्म के मुताबिक कोनो आने चोला धारण करथे या फेर मोक्ष या सद्गति के प्रक्रिया म कोनो देवमंडल म थिरावत रहिथे, आनंद भोगत रहिथे.
   एकरे सेती जब वो ह अपन तात्कालिक देंह के त्याग करथे, तब हम सब ओकर सगा-संबंधी मन कोनो तरिया या नदिया म घाट बना के दस दिन ले ओकर नॉव म नाहवन नहाथन अउ उरई खोंच के तिलि जवां संग पॉंच पसर पानी देथन, अउ मने मन अरजी करथन के हे पुण्य कर्म करने वाला आत्मा जा  तुंहला शांति मिलय, जेन कोनो योनि म या देवजगत म ठउर पावस, उहाँ इही उरई के पौधा बरोबर सुघ्घर हरियर मुस्कावत राहस, अम्मर राहस.
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811

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