विश्व रंगमंच दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ..
रंगमंच पर अभिनय करने का वैसे मेरा कोई विशेष अनुभव नहीं है, फिर भी हमारे छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध साहित्यकार और नाटककार रहे स्व. टिकेन्द्रनाथ टिकरिहा जी के द्वारा लिखित नाटक 'गंवइहा' में बाजार के एक दृश्य में मात्र एक मिनट के लिए मंच पर आने का संयोग है.
राधेश्याम बघेल एवं राकेश चंद्रवंशी के कुशल निर्देशन में 1 जनवरी 1991 को रायपुर के रंगमंदिर के मंच पर प्रस्तुत किए गये 'गंवइहा' नाटक के सभी गीत मेरे द्वारा लिखे गये थे, जिसे ग्राम बोरिया के कलाकार मित्र गोविन्द धनगर, जगतराम यादव, खुमान साव आदि के साथ मिलकर संगीतबद्ध कर गायन भी किए थे.
रंगमंदिर रायपुर में 1 जनवरी 91 को प्रस्तुत किये गए नाटक गंवइहा को अपार सफलता मिलने के कारण इसे उसी वर्ष भिलाई में आयोजित होने वाले 'लोक कला महोत्सव' में भी मंचित किया गया था.
गंवइहा में मुख्य पात्र थे- राधेश्याम बघेल, विष्णुदत्त बघेल, पूरन सिंह बैस, हरिश सिंह, संदीप परगनिहा, इंद्रकुमार चंद्रवंशी, अमित बघेल, राकेश वर्मा, मंजू, अंजू टिकरिहा, रमादत्त जोशी, टाकेश्वरी परगनिहा एवं साधना महावादी सहित अनेक सहयोगी कलाकार और मित्र थे.
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