कोंदा भैरा के गोठ-19
-हमर इहाँ आज घलो कतकों लोगन हनुमान जी ल बेंदरा (बंदर) समझ जाथें जी भैरा, फेर मोला ए ह सही नइ जनावय.
-बिल्कुल सही नोहय जी कोंदा.. उहू मन हमरे मन असन मानव ही रिहिन हें.. इहाँ के मूल निवासी समाज के मनखे रिहिन हें.
-हव महू ल अइसने जनाथे.. अब जइसे हमन इहाँ नाग या नागवंशी समाज के लोगन मनला जानथन नहीं.. ठउका वइसने.
-हव इहू मन मूल निवासी समाज के लोगन आॅंय.. नाग या नागवंशी के मतलब सॉंप या सॉंप के वंशज नइ होवय, ठउका वइसने वानर कहे ले बेंदरा या बेंदरा मन के वंशज नइ होवय.
-हव इही बात सही आय.. हमर इहाँ बिंझवार अउ संवरा जाति के मूल निवासी समाज वाले मनला बाली अउ ओकर भाई सुग्रीव के वंशज माने जाथे. बाली ले बिंझवार अउ सुग्रीव ले संवरा.. अउ हमन तो सब ए बात ल जानथन के बाली, सुग्रीव अउ हनुमान सबो एके प्रजाति के लोगन रिहिन हें... इहाँ के मूल निवासी समाज के लोगन रिहिन हें.
🌹
-बोरे-बासी हमर खानपान के संगे-संग हमर संस्कृति के घलो अंग आय जी भैरा, तभो ले कतकों लोगन एकर हिनमान करे असन गोठियाथें.
-असल म ए ह लोगन के छोटे नजरिया अउ अज्ञानता के सेती आय जी कोंदा.. आज तो ए ह वैज्ञानिक रूप ले प्रमाणित होगे हावय के बासी ह तन अउ मन दूनों बर गुनकारी हे, तभे तो हमर पुरखा मन एला संस्कृति म घलो संघारे रिहिन हें. हमर इहाँ तीजा के निर्जला उपास के बिहान भर उपसहीन मनला बासी खाए के नेवता नेवते जाथे.
-हव जी.. अउ तैं जानत हस संगी.. जांजगीर चांपा जिला के गाँव चोरभट्ठी म डंगचघीन दाई के एक मंदिर हे, इहाँ डंगचघीन दाई ल बासी के ही भोग परसाद चघाए जाथे.
-अच्छा.. बासी के भोग?
-हव.. अउ लोगन बताथें के डंगचघीन दाई ह उहाँ बासी के भोग चघइया हर मनखे के मनोकामना ल पूरा करथे.
🌹
-ए ज्योतिष मन आज 4 मई ले शुक्र ल अउ 8 मई ले गुरु ह लुका जही काहत हें जी भैरा तहाँ ले वोकर मन के उवे के बाद 9 जुलाई ले ही फेर बर बिहाव असन शुभ कारज हो पाही कहिथें.
-तैं तो जानत हस जी कोंदा मैं ह सिरिफ छत्तीसगढ़ के पारंपरिक संस्कृति ल मानथौं आने-आने देश राज ले आए लोगन के चोचला मन ल नहीं.. अउ तहीं बता अइसन सब होय के पाछू घलो अक्ती परब म भॉंवर पर जाथे नहीं?
-हव गा..करइया मन आर्य समाज अउ कोर्ट म बारों महीना करथें, फेर हमर असन कतकों अड़हा मन पोथी-पतरा वाले मन के गोठ ल मान डारथन ना.
-मैं तो सिरिफ हमर मूल संस्कृति ल मानथौं संगी जेन ह निरंतर जागृत देवता के संस्कृति आय.. हमर इहाँ तो चातुर्मास म घलो बिहाव के परंपरा हे, त ए शुक्र अउ गुरु ग्रह ह काय जिनिस आय.
-अच्छा.. चातुर्मास म घलो बिहाव?
-हव.. देवउठनी के पहिली कातिक अमावस के गौरा-ईसरदेव के बिहाव के परब मनाथन नहीं.. ठउका अइसने सावन म भीमा देव अउ भीमिन के बिहाव करथन ना.. अउ जब हमन अपन देवता के बिहाव परब ल चातुर्मास म करथन त हमर मन के बिहाव करे म का हे.. कभू भी कर सकथन.
🌹
-देखे जी भैरा इहू बछर के 10-12 वीं बोर्ड म नोनी मन अगुवा गें हवंय.
-हव जी कोंदा.. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के नारा ह बढ़िया छाहित होवत हे, सबोच लोगन बेटी मन के पढ़ई-लिखई बर गजब चेत करत हें, तभे तो चारों मुड़ा के बड़का पद-पॉवर म घलो बेटी मन ही दिखत हें.
-सही आय संगी, फेर तैं एक बात के चेत करे हावस?
-का बात के जी?
-बेटी मन के चेत करई म टूरा पिला मन पढ़ई-लिखई के संग जम्मोच बुता म पिछवावत जावत हें.
-हव.. अब वो मन ह गाँड़ा कस बछवा किंजरत रइहीं त पिछवाबे करहीं.
-फेर ए ह हम सब बर गुने अउ चेत करे के बात आय.. बेटी मन आज अतेक पढ़ डारे हें, ते ओकर मन बर योग्य लइका नइ मिलत हे. कतकों नोनी मन तो बिन बिहाव के ही बूढ़ावत हें.
-हाँ ए तो संसो के बात आय संगी.. दाई-ददा मनला बेटी के संगे-संग बेटा मनला घलो पढ़ाए लिखाए अउ योग्य बनाए के उदिम करना चाही.
🌹
-माईलोगिन मन अपन चेहरा के सुंदरई ल बढ़ाए बर का-का जतन नइ करंय जी भैरा.. कभू नइ सुने राहन तइसनो उदिम करत देख के अचरज घलो लागथे ना.
-सही कहे जी कोंदा.. कतकों बेर तो मरनी-हरनी म जाथे तभो फैशन परेड म जावत हे तइसे बानी के पोतत-चमकावत रहिथे जी.
-हव ना.. फेर दक्षिण कोरिया के माईलोगिन मन के अलगेच टोटका हे संगी.. वो मन तो अपन चेहरा म रोज पचास थपरा मार घलो खा लेथें जी.
-वाह भई.. चेहरा के सुघरई खातिर थपरा घलो खा लेथें!
-हव.. एला उहाँ 'स्लैप थेरेपी' कहे जाथे. रोज अपन गाल ल अंगाकर रोटी बरोबर रझारझ पोआ लेथें. उहाँ चेहरा म निखार लाए बर ए थपरा मरवाए के परंपरा ह सैकड़ों बछर ले चलत हे कहिथें.
-बने हे संगी.. रहि जा तो हमर घर के सियानीन ल पूछ के देखहूं, वो ह सुघरई के अइसन विधि ल पसंद करही धुन नहीं ते?
🌹
-धरम-करम के गोठ ल सुनबे तहाँ ले भारी अकबकासी लागथे जी भैरा.. काकर ल पतियावन अउ काकर ल नहीं तइसे कस हो जाथे.
-जे मनखे ह तप-साधना के जतका गहराई म उतरे रहिथे, जेन ज्ञान के स्रोत ल टमड़े रहिथे, वो ह ओकरे मुताबिक गोठियाथे जी कोंदा.
-तभो ले रे भई.. हमर असन मन बर तो मरना कस हो जाथे.. सबो के गोठ ह आने च आने कस जनाथे.
-हमन जब पढ़त रेहेन त गुरुजी ह चार अंधरा अउ एक हाथी के किस्सा बतावय नहीं.. बस धरम के बारे म घलो उही बात लागू होथे.
-कइसे गढ़न के जी?
-जइसे एक झन अंधरा ह हाथी के पीठ ल टमड़ीस त हाथी ल कोठ असन बताइस, दूसर ह कान ल छू परीस त हाथी ल सूपा कस बताइस, तीसर ह पॉंव ल छू परीस त हाथी ल खंभा बरोबर बताइस अउ चौथा ह हाथी के पूछी ल धर परीस त ओ ह हाथी ल डोरी कस बताइस. बस धरम के संबंध म घलो अइसने हे, जे ह जतका गहिर म जाके टमड़ीस वो ह वतके बताइस. फेर वो सबो के बात ह धरम के ही अंग आय, भले पूर्ण नोहय. जइसे सबो अंधरा मन हाथी के ही अंग ल छूए रिहिन.
🌹
-तितली मन ल देखबे त कतका निक जनाथे न जी भैरा, फेर तैं जानथस राष्ट्रीय तितली के खिताब जेन 'आॅरेंज आॅकलीफ' नॉव के तितली ल मिले हे, वोकर बसेरा हमर छत्तीसगढ़ म हे.
-वाह भई.. राष्ट्रीय तितली के खिताब धारी के बसेरा हमर छत्तीसगढ़ म हे जी कोंदा?
-हव.. हमर देश म करीब 15 सौ किसम के तितली पाए जाथे, जेमा के 'आॅरेंज आॅकलीफ' नॉव के तितली ल बछर 2021 म राष्ट्रीय तितली के खिताब दिए गे हवय. ए ह हमर छत्तीसगढ़ के भोरमदेव वाइल्डलाइफ सेंचुरी अउ अचानकमार टाइगर रिजर्व क्षेत्र म देखे म आथे. ए ह न जब अपन पॉंखी ल खोलथे त अद्भुत रंगबिरंगी हो जाथे अउ पॉंखी ल सकेलते साथ कोनो पेड़ के सुक्खा पाना अस जनाथे, एकर इही छद्मभेषी रूप के सेती एला देखना ह कुदरत के करिश्मा ल देखे बरोबर जनाथे.
🌹
-आजकाल तोला कवि लहुटत हे कहिके सुने म आथे जी भैरा.
-अब लिखे के उदिम तो करथौं जी कोंदा.. फेर पहिली डांड़ ल लिखथौं तहाँ ले मन म कतकों किसम के उभुच-चुभुक घलो होए ले धर लेथे.
-कइसन ढंग के उभुच-चुभुक जी?
-कभू शासन के तंत्र म बइठे लोगन मोर रद्दा म छेंका तो नइ लगवा देहीं.. त कभू गाँव के गौंटिया-महाजन मन मोर जीए के आसरा म आगी तो नइ ढीलवा देही? फेर ए रद्दा म अबड़ झन डेढ़ होशियार घलो हें बताथें, जे मन खुद तो कुछू करय-धरय नहीं, बस दूसर मनला ए ह अइसे होही.. वो ह वइसे होही कहिके हुदरत कोचकत रहिथे बस.
-वाह भई.. फोकट छाप, हुसियार मनला तैं झझकथस जी.. दुनिया के चारों मुड़ा अइसन मनखे मिल जाथे.. जे मन जतका बड़का जोजवा होथे, वो मन अपन ल वतके बड़का गुनिक समझथें. तैं उंकर मन के मटमटई बकबकई ल अनदेखा कर के अपन रद्दा म रेंगत राह बस. आज तो तोरे कस लिखइया मन के जरूरत हे संगी, जे ह सच ल सच कह सकय.
-अब उदिम तो करथौंच.. कला-साहित्य के देवता के पंदोली के आस ले के.
🌹
-हमर रायपुर के टूरी हटरी वाले भगवान जगन्नाथ खातिर ए बछर नवा रथ बनत हे जी भैरा.. भगवान ह ए बछर के यात्रा ल इही नवा रथ म करही.
-ए तो बने बात आय जी कोंदा.. तोला सुरता हे ना जब हमन रथयात्रा के दिन रथ ल तीरे बर जावन त कइसे चर्र-चर्र बाजत अलकर बानी के जनावय.
-हव.. ओकरे सेती वो चालीस बछर जुन्ना रथ ल बलदहीं. ए रथ म स्टेयरिंग के संग ब्रेक घलो रइही, जेकर ले एला भीड़ म घलो रेंगाय म सोहलियत परही. नवा रथ ल हबीब नॉव के एक मुस्लिम मनखे ह अपन बेटा रियाज संग मिल के बनावत हे. ओकर कहना हे- रथ ल बनाय खातिर वो ह कोनो किसम के मोलभाव नइ करे हे, मंदिर समिति डहार ले बंद लिफाफा म जतका दे दिए जाही, वो ह श्रद्धा के साथ ओला झोंक लेही.
-वाह भई ए तो सुग्घर बात आय.. कोनो धरम के मनखे होय ईश्वरीय आस्था ऊपर तो श्रद्धा भाव होना चाही.
🌹
-सूखा मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के अंतर्गत जैन समाज ह इहाँ के जुन्ना तरिया मन के खनई करे के जोम जमावत हे जी भैरा.. ए उदिम म अभी 15 जिला के 20 तरिया मनला खनवाहीं.
-ए तो बने बात आय जी कोंदा.. हमर छत्तीसगढ़ म तो वइसे घलो छै आगर छै कोरी तरिया के परंपरा रहे हे. आज के पीढ़ी भले तरिया नरवा अउ कुआँ बावली के महत्व ल भुलावत जावत हे, फेर हमर पुरखा मन ए सबके जबर महत्व समझंय.
-सही आय जी.. हमर इहाँ तो तरिया के संरक्षण अउ महत्व ल देखावत तरिया के बिहाव करे के घलो परंपरा रहे हे. तब ए माने जाय के जेन गाँव म जतका जादा तरिया वो गाँव वतके जादा समृद्ध.
-जैन समाज वाले मन अभी तक कर्नाटक, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश अउ गुजरात के कुल 100 तरिया मनला जीवनदान दे चुके हें, उंकर कहना हे के ए अभियान ह पूरा देश भर म चलत रइही.
-बहुत बढ़िया संगी.. सबो समाज के लोगन ल पानी के संरक्षण के महत्व ल समझत अइसन उदिम करना चाही.
🌹
-पुलिस विभाग के लेखाजोखा म अभी घलो अइसन उर्दू अउ फारसी के शब्द चलन म हे, जेला आम आदमी तो कहूँ जावय, हमर असन थोक-बहुत लिखे-पढ़े मन घलो नइ समझन जी भैरा.
-तोर कहना सही आय जी कोंदा.. वइसन शब्द मनला बलद के इहाँ के स्थानीय भाखा के शब्द बउरना चाही, जेकर ले सबो किसम के लोगन वो शब्द के अरथ ल समझ सकय.
-सही आय जी.. अभी मध्यप्रदेश के पुलिस विभाग ह उर्दू अउ फारसी के 69 शब्द मन के जगा हिंदी शब्द बउरे के आदेश निकाले हे.
-ए तो बने बात आय.. हमर छत्तीसगढ़ म घलो अइसन करना चाही. अब जइसे पुलिस वाले मन ताजिरात-ए-हिंद लिख देथें, अब तहीं बता एला गाँव गंवई के कतका झन मनखे समझत होहीं?
-अइसने इमदाद शब्द लिखे जाथे, ए ह हमर मन बर करिया आखर भइंस बरोबर होगे. अब कहूँ इही 'इमदाद' ल सहयोग करना या पंदोली देवई लिखे जाही त सबो झन समझ जाही.
-सही आय जी.. इहाँ के सरकार ल ए मुड़ा चेत करना चाही, शासन प्रशासन म चलत अइसन शब्द मनला हिंदी के संगे-संग छत्तीसगढ़ी, सरगुजिया, हल्बी, गोंडी जइसन भाखा म का कहे जाथे इहू ल लिखे जाना चाही.
🌹
-अध्यात्म के रद्दा अबड़ अलकर हे जी भैरा.. एक डहार तो तुंहर असन मन देवी-देवता के पूजा-उपासना के गोठ करथव त ए रद्दा म अइसनो लोगन हें, जे मन कोनो देवी-देवता या ईश्वर के कोनो अस्तित्व नइए कहिथें.
-अपन-अपन ज्ञान अउ अनुभव के बात आय जी कोंदा.. अब तहीं मोला बता- अतेक विशाल ब्रम्हांड ल कोनो शक्ति तो संचालित करत होही, ते ए सब ह अपने अपन व्यवस्थित रूप म अपन बुता ल करत होहीं?
-अपने अपन रेंगतीन.. मनमर्जी ले बुता करतीन तब तो सब छदर-बदर हो जातीस जी संगी.
-हव.. ठउका कहेस- सब अंते-तंते अउ छदर-बदर हो जातीस, अउ अइसन नइ होवते त एकर मतलब तो ए हे ना के कोनो न कोनो तो सुपर पॉवर हे, जे ह ए सबला संचालित करत हे.
-बात तो वाजिब जनाथे संगी.
-बस.. इही वाजिब ह वो सुपर पॉवर आय, जेला कोनो भगवान कहि देथे त कोनो ईश्वर या गॉड त कोनो रब अउ खुदा या प्रकृति शक्ति.
🌹
-हमन कतकों राष्ट्रीयता अउ भाईचारा के गोठ करत आने राज ले आए लोगन ल मया करन जी भैरा, फेर वो मन कोनो न कोनो किसम ले अपन बाहरी होय के सबूत देइच देथें.
-महूं कतकों बखत अइसन अनुभव करे हौं जी कोंदा.. खासकर के इहाँ के अस्मिता अउ संस्कृति ले जुड़े मामला म तो निश्चित रूप ले.
-सिरतोन आय.. अभी देखना गिरौदपुरी धाम म गुरु बाबा घासीदास जी के आस्था ले जुड़े जैतखाम ल काट के नुकसान पहुंचाए के मामला म घलो अइसने होय हे.
-सिरतोन आय जी.. कोनो भी छत्तीसगढ़िया मजदूर या ठेकादार होतीस त वो ह बाबा जी के आस्था ले जुड़े प्रतीक ल नुकसान पहुंचाए के बारे म सोचतीस घलो नहीं, फेर आने राज ले आए मजदूर मन इहाँ के ठेकेदार के आस्था ले जुड़े प्रतीक ल अपन गुस्सा प्रदर्शन के माध्यम बनाइन.
-हव भई.. नल जल मिशन ले जुड़े काम के पइसा पूरा नइ मिले के सेती ठेकादार ले गुसियाय रिहिन हें, त वोकर घर म घुसर के टोर-फोर करतीन, बस्ती भीतर के सार्वजनिक आस्था के प्रतीक ल काबर?
🌹
No comments:
Post a Comment