Saturday, 28 June 2025

सुशील भोले साक्षात्कार -केके अजनबी

साक्षात्कार कर्ता :- कृष्ण कुमार अजनबी
साक्षात्कार  :- श्रीमान सुशील भोले जी 

सवाल:1.आपका शुभनाम और तखल्लुस, जन्म कब, कहाँ, शिक्षा-दीक्षा, पिता-माता व पारिवारिक पृष्ठ-भूमि पर विस्तार से जानकारी दीजिएगा  ?

जवाब:1 शासकीय अभिलेख में मेरा नाम है- सुशील कुमार वर्मा
सार्वजनिक जीवन में प्रचलित नाम- सुशील भोले है , लेकिन यह साहित्य वाला या कहें तखल्लुस नहीं है. दरअसल यह आध्यात्मिक दीक्षा के पश्चात गुरु के द्वारा दिया गया नाम है।
मेरा जन्म भाठापारा शहर में 2 जुलाई सन् 1961 को हुआ था. माता जी का नाम श्रीमती उर्मिला देवी और पिताजी का नाम श्री रामचंद्र वर्मा है.
प्रारंभिक शिक्षा भाठापारा शहर में ही हुई, फिर मेरे पैतृक गाँव नगरगाँव थाना-धरसींवा, जिला-रायपुर में और फिर उसके पश्चात छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में. पिताजी शिक्षक थे साथ व्याकरण के अच्छे जानकार भी थे. उनकी लिखी हुई किताब प्राथमिक हिंदी व्याकरण एवं रचना उस समय संयुक्त मध्यप्रदेश के पाठ्यपुस्तक में कक्षा तीसरी, चौथी और पाँचवीं में पढ़ाई जाती थी. 
उनके इसी लेखकीय गुण से प्रभावित होकर ही मैं भी लेखन के क्षेत्र में आया.
   हमारी माताजी गृहिणी थीं, किंतु उन्हें छत्तीसगढ़ी लोककथाओं एवं गीतों का अद्भुत ज्ञान था. अगहन बिरस्पत, कमरछठ जैसे पर्व पर उन्हें सार्वजनिक कार्यक्रम स्थलों पर आमंत्रित कर उनसे कहानी सुनी जाती थी. हमारे घर पर मोहल्ले की महिलाएँ उन्हें हमेशा घेरे रहती थीं. मोहल्ले की महिला मंडली की अध्यक्ष भी रहीं.

सवाल 2. लेखन की ओर कब कैसे आकृष्ट हुए और पहली रचना कब कैसे रची गई ? क्या किसीने प्रोत्साहित किया अथवा स्वतः आत्म प्रेरित हुए  ?

जवाब 2 पिताजी को घर पर लिखते-पढ़ते देखकर लेखन की ओर मैं भी आकर्षित हुआ.
प्रारंभिक रचनाएँ तुकबंदी के रूप में हुईं जो मिडिल और हाईस्कूल के समय से ही लिखी जाने लगी थीं.

सवाल:3. आपकी पहली रचना कब, कहाँ से प्रकाशित हुई  ? प्रसन्नता तो हुई होगी ? पहली अनुभूति  कैसी रही ? 

जवाब:3 मैं सन् 1982 के अंतिम दिनों में ही दैनिक अग्रदूत प्रेस के साथ जुड़ गया था, इसलिए 1983 से ही मेरी कविता और कहानी अग्रदूत के साहित्यिक परिशिष्ट पर प्रकाशित होने लगी थी.
   उस समय अग्रदूत प्रेस में छत्तीसगढ़ के तीन बड़े पत्रकार और साहित्यकार सर्वश्री स्वराज्य प्रसाद त्रिवेदी जी, विनोद शंकर शुक्ल जी और टिकेन्द्रनाथ टिकरिहा जी कार्यरत थे, मुझे उन तीनों का ही सानिध्य, मार्गदर्शन और आशीर्वाद प्राप्त हुआ.
   सन् 1984 से आकाशवाणी रायपुर से मेरी कविताओं का प्रसारण प्रारंभ हो गया था.

सवाल:4. कौन- कौन सी पत्र पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं छ्प चुकी हैं ? इस पर पाठकों की प्रतिक्रियाएं कैसी रही ?

जवाब:4 छत्तीसगढ़ के प्रायः अधिकांश पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं।

सवाल:5. साहित्य के क्षेत्र में आप कबसे जाने-पहचाने जाने लगे ? अर्थात आपको एक नई पहचान मिली ?

जवाब:5. अखबारों में छपना तो 1983 से प्रारंभ हो गया था, लेकिन मुझे विशेष पहचान तब मिली जब मैं सन् 1987 में छत्तीसगढ़ी भाषा की प्रथम संपूर्ण मासिक पत्रिका 'मयारु माटी' का प्रकाशन संपादन करने लगा.

सवाल:6. किन किन विधाओं में आपकी रचनाएं उपलब्ध हैं ? वास्तव में किस विधा में आपको सफलता अधिक मिली  है ? 

जवाब:6. कविता, कहानी, व्यंग्य, संस्मरण आदि सभी विधाओं में लेखन हुआ. अब गद्य लिखना ज्यादा अच्छा लगता है. अभी सोशल मीडिया पर छत्तीसगढ़ी भाषा में प्रथम धारावाहिक 'कोंदा भैरा के गोठ' का लेखन नियमित रूप से चल रहा है.

सवाल:7. कभी साहित्य में या साहित्य से आत्मसंतोष मिला है ? अथवा  कोई गहरा अफसोस  ?

जवाब:7 मेरा साहित्य लेखन आत्मसंतुष्टि के लिए नहीं अपितु मिशन के लिए है. 
हम लोग छत्तीसगढ़ राज्य आन्दोलन से जुड़े रहे हैं, तभी से मन में यह संकल्प लिए लेखन कर रहे हैं कि छत्तीसगढ़ी अस्मिता के लिए निरंतर लिखना है.

सवाल:8. किसे आप अपना आदर्श मानते हैं ? और किन किन साहित्यकारों का आपको सान्निध्य मिला ? किसी से मिलने की खास तमन्ना है ?

जवाब:8 मेरा आदर्श तो कोई नहीं है. चूंकि मैं पत्रकारिता से जुड़ा रहा हूँ, इसलिए साहित्यकारों का सान्निध्य स्वतः ही प्राप्त होता रहा. छायावाद के प्रवर्तक कवि पं. मुकुटधर पाण्डेय जी का सानिध्य प्राप्त होना मेरे लिए अविस्मरणीय है.
मेरे प्रथम काव्य संग्रह 'छितका कुरिया' के लिए उन्होंने छत्तीसगढ़ी भाषा में लिखकर अपना आशीर्वचन दिया था, और मुझसे यह कहा भी था कि सुशील तुम पहले व्यक्ति हो जिसके लिए मैं छत्तीसगढ़ी भाषा में संदेश लिखा हूँ. मैंने भी उनके लेटरपैड पर लिखे उस संदेश का  ब्लॉक बनवाकर अपने संकलन में प्रकाशित किया था.

सवाल:9. किन किन साहित्यिक संस्थान अथवा मंच से आप सम्बद्ध रहे हैं ?

जवाब:9 छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति के साथ ही रायपुर की प्रायः सभी समितियों के साथ जुड़ाव रहा.

सवाल:10. अब तक कोई विशेष उपलब्धि मिली है ? ऐसा आप मानते हैं ?

जवाब:10 मेरी छत्तीसगढ़ी कहानी 'ढेंकी' को पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर में एमए छत्तीसगढ़ी के द्वितीय सेमेस्टर में पढ़ाया जाता है. चूंकि मैं छत्तीसगढ़ी भाषा की प्रथम संपूर्ण मासिक पत्रिका 'मयारु माटी' का संपादक रहा हूँ, इसलिए छत्तीसगढ़ राज्य में आयोजित होने वाली व्यावसायिक परीक्षाओं में इससे संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं. 

 सवाल:11.क्या आप पुरस्कार अथवा सम्मान में विश्वास रखते हैं ? कौन कौन से पुरस्कार या सम्मान से आप नवाजे जा चुके हैं ? कोई विशेष आकांक्षा हो तो बताइए ?

जवाब:11. पुरस्कार तो अनेक मिले हैं, लेकिन इसमें मेरी कोई रुचि नहीं है, क्योंकि मेरा लेखन एक मिशन के लिए है.

सवाल:12.. अगले जनम में आप क्या बनना पसंद करेंगे और क्यों ?
इस जनम से आप संतुष्ट हैं या नहीं ?

जवाब:12 मैं पूरी तरह से आध्यात्मिक व्यक्ति हूँ, इसलिए अगले जनम के बजाय मोक्ष की आकांक्षा रखता हूँ.

सवाल:13. अब तक आपकी कितनी किताबें छ्प चुकी हैं और कौन- कौन सी व कहाँ कहाँ से ? आगामी योजना आपकी क्या है ?

जवाब:13. 1. छितका कुरिया (काव्य संग्रह 1989), 2. दरस के साध (लंबी कविता 1990), 3. जिनगी के रंग (गीत एवं भजन संग्रह 1995), 4. ढेंकी (कहानी संकलन 2006, दूसरा संस्करण 2022), 5. आखर अँजोर (छत्तीसगढ़ की मूल संस्कृति पर आधारित आलेखों का संकलन 2006, दूसरा संस्करण 2017), 6. भोले के गोले (व्यंग्य एवं लेख संकलन 2015), 7. सब वोकरे संतान ए संगी (चार डाँड़ के संकलन 2017), 8. सुरता के संसार (संस्मरण संग्रह 2022), 9. बिहनिया के जोहार (चार डाँड़ के चित्रमय संकलन 2022), 10. कोंदा भैरा के गोठ (सोशल मीडिया का पहला धारावाहिक 2024)

सवाल:14. प्रकाशन को लेकर  कोई सुखद अनुभूति अथवा कटु अनुभव है तो बताइएगा ?

जवाब:14. छत्तीसगढ़ी भाषा की प्रथम संपूर्ण मासिक पत्रिका 'मयारु माटी' का प्रकाशन संपादन मेरे जीवन का अविस्मरणीय अनुभव है.

सवाल:15. साहित्य मनुष्य के लिए क्या आवश्यक है अथवा एक व्यसन  मात्र ?

जवाब:15. समाज को दिशानिर्देश देते रहना ही साहित्य का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए.

सवाल:16. आपकी रूचि और किन किन में है ? समय कैसे निकाल पाते हैं ?

जवाब:16 छत्तीसगढ़ी अस्मिता से संबंधित सभी विधाओं में रुचि है. सभी के लिए थोड़ा बहुत समय तो निकल ही जाता है. 

सवाल:17. जीवन यापन हेतु आप करते क्या हैं ? नौकरी,व्यापार, कृषि या फिर अन्य कोई कर्म  ?

जवाब:17. पत्रकारिता.

सवाल:18. क्या आप अपने बच्चों को भी अपने जैसे (कवि, लेखक, शायर या साहित्यकार ) बनाना चाहेंगे ? हां तो क्यों और नहीं तो क्यों नहीं ?

जवाब:18. ऐसा कुछ भी नहीं है, लोगों को अपनी रुचि के अनुरूप कार्य करना चाहिए.

सवाल:19. क्या आप अपने आपको सफल मानते हैं ?  हाँ तो इसका श्रेय किसे देंगे ? यदि सफल नहीं हैं तो वजह क्या है ?

जवाब:19. मैं आध्यात्मिक रूप से पूर्ण सफल हूँ. इसके लिए मेरे मार्गदर्शक की अनुकम्पा ही मुख्य वजह है.

सवाल:20. आपको नहीं लगता कि आज की पीढ़ी किताब से दूर भाग रही है ? अर्थात पढ़ने में रूचि कम हो गई है ? इसका कारण क्या हो सकता है ?

जवाब :20. अब ज्ञान और मनोरंजन के लिए अनेक साधन आ गए हैं, इसलिए स्वभाविक तौर पर लोग किताबों से दूर हो रहे हैं. 

सवाल:21. मनोरंजन के साधनों (टीवी, फेसबुक, इन्टरनेट व मोबाइल ) को आप साहित्य का सहायक मानते हैं या वाधक और कैसे ?

जवाब: मेरे लिए ये सभी आविष्कार वरदान से कम नहीं हैं. चूंकि मैं 24 अक्टूबर 2018 से लकवा ग्रस्त हूँ, ऐसे में यही आविष्कार मेरे लिए जीने, लिखने पढ़ने और मित्रों के संपर्क में रहने का मुख्य साधन है. 

सवाल:22. पाठकों और श्रोताओं
 की संख्या बढ़ाने हेतु क्या किया जा सकता है ?

जवाब: 22. श्रेष्ठ लेखन ही 
पाठकों को आकर्षित करने का एकमात्र उपाय है.

सवाल:23. साहित्य का भविष्य उज्जवल  है या अंधकार  ? क्या किया जाना  चाहिए  ?

जवाब:23. उज्जवल था है और भविष्य में भी रहेगा.

सवाल:24.अगर आप बुरा न मानें साहब तो एक निजी सवाल पूछूं ... आपको पहले  प्यार का पहला अहसास कब और कैसे हुआ ? क्या आप उस अहसास को अब भी अपने दिल में महसूस कर पा रहे हैं ? इस से कोई कालजयी रचना हो तो बताइए ?

जवाब:24. मेरे जीवन में ऐसा कुछ हुआ ही नहीं. चूंकि हम लोग गाँव के रहने वाले हैं, जहाँ कम उम्र में शादी कर दी जाती है, ऐसे में मन के भटकाव का रास्ता ही बंद हो जाता है.

सवाल:25. आगामी पीढ़ी के लिए कोई संदेश, प्रेरणा या मार्गदर्शन देना चाहेंगे ? कुछ और कहना बाकी रह गया हो तो भी कह सकते हैं ?

जवाब:25. चूंकि मैं छत्तीसगढ़ राज्य आन्दोलन के साथ जुड़ा रहा हूँ तथा जीवन भर छत्तीसगढ़ी अस्मिता के लिए कार्य करता रहा हूँ, इसलिए चाहता हूँ कि लोग भी मेरे इस मिशन में सहभागी बनें. छत्तीसगढ़ की मूल आध्यात्मिक संस्कृति, जीवन पद्धति और उपासना विधि को पुनर्जीवित करने का भगीरथ प्रयास करें.

फोटो सहित आप अपना बायोडाटा व पता संलग्न कर मेल कर दीजिएगा ...👏

प्रस्तुति :- कृष्ण कुमार अजनबी.
मोबाइल:- 9691194953
Email ajnabikrishna@gmail.com

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