Thursday, 3 July 2025

कोंदा भैरा के गोठ-34

कोंदा भैरा के गोठ-34

-कोरोना वायरस के फेर बगरे के सोर सुनावत हे जी भैरा.
   -हव.. सुनावत तो हे जी कोंदा, फेर जादा चिंता करे के बात नइए.. वैज्ञानिक मन के कहना हे के सावचेत रहना भर जरूरी हे.
   -वैज्ञानिक मन के बरजे बात ल  धरम के लंबरदार मन थोरहे पतियाथें संगी.. वो मन तो अपन उपाय म ही भरोसा करथें.. देख ले अभी इही बुधवार के ओडिसा के कटक जिला के गाँव बंधहुडा म उहाँ के माँ ब्राम्हणी देवी मंदिर के पुजारी संसारी ओझा ह कोरोना वायरस ल चुकता सिरवाय के नॉव म नरबलि दे दिस.
   -कइसे उजबक बानी के गोठियाथस संगी.. नरबलि दे म कोरोना वायरस सिरा जाही?
   -पुलिस ह वो पुजारी ल गिरफ्तार करे हे, जेकर जगा वो कबूल करे हे के रतिहा सपना म भगवान ह मोला कहे रिहिसे के नरबलि दे म कोरोना सिरा जाही, येकरे सेती मैं मंदिर म बलि दे हावौं.. वो मनखे के मुड़ी ल काट के चढ़ाए रेहेंव.
   -करलई हे संगी.. मोला तो ए ह अंधविश्वास के पराकाष्ठा बरोबर जनावत हे.
   -अंधविश्वास ही आय.. कोनो भी देवी देवता ह जीवहत्या के रद्दा नइ बतावय.. अइसन लोगन अपन नासमझी ल धर्म अउ देवी देवता के आड़ म तोपे के उदिम करथें.
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-जेल म हत्या जइसन कतकों अपराध म धँधाय कैदी मन अपन सजा ल पूरा भोगे के बाद जब बाहिर आहीं न जी भैरा तहाँ ले आयुर्वेद अउ ज्योतिष विद्या के संग कर्मकांडी पुरोहित के बुता करहीं.
   -वाह जी कोंदा.. फेर अइसन गरकट्टा जेलयात्री मनला अपन घर पुरोहित के रूप म कोन बलाही?
   -अब ए तो लोगन के सोच अउ समझ ऊपर हे.. वइसे जम्मो लोगन ल सुधरे अउ सम्मानजनक बुता करे के अवसर मिलना चाही.. महर्षि वाल्मीकि के किस्सा ल तैं जानत हावस ते नहीं?
   -जानत हँव संगी.. पहिली उहू मन डाकू अउ गरकट्टा रिहिन हें कहिथें.
   -हाँ सही कहे.. अउ जब उनला  असली ज्ञान के जानबा होइस त फेर कतका बड़का महात्मा अउ आदर्श मनखे बनगे.
   -हव जी सही आय.
   -हाँ.. हो सकथे अइसने इहाँ जेल म सजा भोग के निकले के बाद इहों के कैदी मन सुग्घर रद्दा अपना लेवँय एकरे सेती अइसन 44 बंदी मनला वेदपाठ संग ज्योतिष पद्धति ले आयुर्वेद उपचार, पुरोहित ज्ञान आदि के शिक्षा दिए जावत हे.. जेल अधीक्षक योगेश सिंह के मुताबिक जेल म बंदी मन बर अइसन अउ कतकों किसम के पाठ्यक्रम चलाए जावत हे जेमा कुल 291 बंदी पढ़ई करत हें.
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-भाखा खातिर मया अउ निष्ठा ह जतका आने राज म देखे ले मिलथे तेन ह हमर राज म काबर नइ देखे बर मिलय तेने ह थोकन अलकरहा बानी के जनाथे जी भैरा.
   -हमर इहाँ भाखा, संस्कृति, अस्मिता कुछू खातिर वो भाव देखे ले नइ मिलय जी कोंदा जेन अंते देखे ले मिलथे.
   -हव भई.. एदे अभीच्चे देख ले अभिनेता कमल हासन ह अपन एक बयान म बस अतके कहि दिस के कन्नड़ भाखा के जनम ह तमिल भाखा ले होय हे.. जम्मो कन्नड़ प्रेमी मन वोकर ऊपर चघे लेवत हें.. उनला माफी माँगे बर हुदरत कोचकत हें.
   -ए ह कन्नड़ भासी लोगन के अपन भाखा खातिर मया अउ निष्ठा के चिन्हारी आय संगी.. उन ए नइ देखत हें के कमल हासन के बात ह सही आय ते नोहय.. उन सिरिफ ए देखत हें के उँकर भाखा ल आने भाखा के पेट ले उद्गरे बतावत हे, जे ह असहनीय हे.
   -हमर भाखा संस्कृति के संबंध म कभू अइसन देखे ले मिले हे?
   -अरे.. हमर इहाँ तो अतलंगी हे संगी.. पद पदवी म बइठे लोगन ही अंते तंते गोठियावत रहिथें.. तभे तो आज घलो इहाँ सिरिफ 6 प्रतिशत लोगन के महतारी भाखा ह राजभाषा के आसन म बिराजे हे अउ 66 प्रतिशत लोगन के महतारी भाखा ह नेवरिया बहू बरोबर मुड़ढक्की करे अपन ओसरी के अगोरा करत हे.
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-किन्नर मनला न तो पुरुष माने जावय अउ न ही स्त्री अइसन म कहूँ ए मन एकाद लइका बिया डारहीं त वो लइका के दाई अउ ददा के नॉव म काकर नॉव ल लिखे जाही जी भैरा.. सुप्रीम कोर्ट ह तो वो मनला 15 अप्रैल 2014 के तृतीय लिंग के चिन्हारी दे डारे हे.
   -बड़ा अलकरहा बात पूछे जी कोंदा!
   -अलकरहा नहीं जी संगी.. अभी केरल के कोझिकोड म अइसने एक मामला आए रिहिसे, जेमा हाईकोर्ट ह ऐतिहासिक निर्णय दिए हे.. वो ह लइका के जन्मप्रमाण पत्र म दाई अउ ददा के नॉव के कॉलम म लिंग-तथस्थ लिखे बर कहे हे.
   -अच्छा..!
   -हव.. असल म 8 फरवरी 2023 के कोझिकोड के एक सरकारी अस्पताल म ट्रांस पुरुष जहाद अउ ट्रांस महिला जिया पावल के लइका होय रिहिसे, तेकर सेती अस्पताल के अधिकारी मन जाहद ल पिता अउ जिया ल माता बतावत जन्मप्रमाण पत्र दिए रिहिन हें, जेला हाईकोर्ट म अरजी दे के दाई ददा के नॉव ल अलग अलग लिखे के बलदा दूनों झनला संयुक्त रूप ले दाई ददा लिखे बर गोहराय गे रिहिसे.. हाईकोर्ट ह ट्रांस जोड़ी ल अलग से कोनो भी लिंग के रूप म चिन्हारी नइ करे के बात कहे हे, तेकर सेती प्रमाण पत्र म अब ककरो लिंग के उल्लेख नइए.. अब वो मन समिलहा दाई घलो यें अउ ददा घलो.
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-महादेव घाट के खारून खँड़ म गंगा आरती के नॉव म पाखंड रचइया वीरेंद्र तोमर अउ वोकर भाई ह अभी पुलिस के डर म भागे भागे फिरत हे कहिथें जी भैरा.
   -बाहिर ले जतका गुरुघंटाल मन गुरु के चोला अउ गरकट्टा चंडाल मन सनातनी के सँवागा खापे इहाँ गुलछर्रा उड़ावत किंजरत हें ना.. एक दिन सबो के इही हाल होवइया हे जी कोंदा.. काबर ते ए मन धरम के रक्षक नहीं भलुक धरम के नॉव म अपन करिया चरित्तर ल लुका के किंजरइया.. लोगन ल भरम जाल म अरझइया आयँ.
   -हव जी महूँ ल अइसने जनाथे,  फेर एक चीज अचरज लागथे संगी.. हमर इहाँ के लोगन अपन तीर-तखार के सिद्ध पुरुष मनला जोगड़ा के नजर ले देखत काबर उँकर उपेक्षा करथें अउ बाहिर ले आए जोगड़ा मनला सिद्ध पुरुष समझ के मुड़ी म बइठार के किंजरथें?
   -छत्तीसगढ़ ह आज राजनीति के संगे-संग धार्मिक अउ सांस्कृतिक गुलामी भोगत हे तेकर असल कारण तो इही आय जी.. जबकि हमर छत्तीसगढ़ आध्यात्मिक रूप ले अतका समृद्ध हे ते हमला बाहिर के न कोनो संत के जरूरत हे न ग्रंथ के अउ न ही कोनो भगवान के.
   -सिरतोन कहे संगी.. लोगन इहाँ के पुरखौती परंपरा, जीवन पद्धति अउ उपासना विधि ल फेर  उजरा के आत्मसात कर लेवय तहाँ काकरो मुँह देखे के जरूरत हे, न काकरो पाछू किंजरे के.
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-खुद के घर ह भले अज्ञान के अँधरौटी म कुलुप तोपाय राहय फेर लोगन दूसर जगा ज्ञान के अँजोर बगराय म कमी नइ करय जी भैरा.
   -सही कहे जी कोंदा.. फोकटइहा छाप अक्कल बाँटे म लोगन ल विशेषता मिले हे.. अब ए मुसलमान मन के कुर्बानी वाले परब बकरीद ल ही देख लेना.. ए परब ह जिहाँ लकठाथे तहाँ ले आने धरम-पंथ के पशुप्रेमी मन के बयान ह सोशलमीडिया के संगे-संग टीवी पेपर सबो म दिखे लगथे.
   -सही आय जी.. जबकि इँकर मन के खुद के देव-ठिकाना मन म पूजवन अउ बलि के पुरखौती परंपरा के नॉव म सैकड़ों जीव ल भेंट कर दिए जाथे.
   -अतकेच नहीं संगी.. कभू पहिलाँवत लइका के नॉव म त कभू जेठ बेटा के बरात निकाले के नॉव म.. कुछू भी ओढ़र कर के पूजवन के परंपरा ल पोंसत पोटारे बइठे हें, फेर ए सब बर उँकर मुँह ले बक्का नइ फूटय.. बस आने के परंपरा म ही खोट दिखथे.
   -तोर कहना वाजिब हे संगी.. चाहे कोनो भी धरम-पंथ या समाज के बात होय फेर मोला ए पूजवन के परंपरा ह एको नइ सुहाय न तर्क संगत जनावय.
    -कहाँ ले जनाही जी.. कोनो भी देवी देवता ह जीवहत्या के रद्दा ल न तो स्वीकार करय न प्रोत्साहित करय.
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-गुरु पुन्नी जोहार जी भैरा.
   -जोहार संगी कोंदा.
   -तैं ए बात ल तो गाँठ बाँध के धर ले जी संगी के परमात्मा के छोड़े अउ कोनो दूसर ह न तो हमर सग लागमानी ए अउ न हितवा संगवारी.
   -बात तो तोर सोला आना सच आय जी फेर हमन उही हमर सग लागमानी जेला परमात्मा कहिथन तेने ल छोड़ के बाकी सब माया-मोह के दुनिया म उनडइया खेलत रहिथन.
    -पूरा दुनिया के इही चलागन हे  संगी.. भले हमन अपन आप ल कतकों बड़े ज्ञानी अउ चतुरा समझत राहन फेर माया के फाँदा म अरझी जाथन.
    -अरे ददा.. बड़े बड़े ज्ञानी ध्यानी अउ तपस्वी मन वोकर लपेटा म अरहझ जाथें त हमर असन मन के का गिनती हे.
    -तभो ले जी संगी.. सद्गुरु के देखाए चातर रद्दा ल धर के परमात्मा के किरपा पाए के उदिम करे म माया के फाँदा ले मुक्ति के रद्दा जरूर निकलथे.
   -हाँ ए बात तो हे.. फेर असल सद्गुरु ह घलो बिन परमात्मा के किरपा के नइ मिलय.. देखत तो हावस आजकाल गुरुघंटाल मन कइसन कइसन सँवागा खापे एती-वोती मटमटावत रहिथें.
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-पहलगाम म होय आतंकी घटना के बाद हमर सेना के जवान मन आपरेशन सिंदूर के अंतर्गत पाकिस्तान म खुसर के उहाँ के आतंकवादी ठीहा मन के जब ले छर्री-दर्री करे हे तब ले देश भर म सिंदूर के गजब गोठ होवत हे जी भैरा.
   -सिरतोन कहे जी कोंदा.. कतकों सामाजिक संस्था मन किसम किसम के कार्यक्रम कर के देश के सेना ल सलाम करे हें.
   -हव जी.. ए बछर पर्यावरण दिवस के दिन प्रधानमंत्री के संगे-संग अउ कतकों लोगन सिंदूर के पौधा लगाए हें.
   -वो सब तो बने बात आय संगी, फेर तैं जानथस हमर छत्तीसगढ़ म जे किसान मन सिंदूर के खेती करथें, ते मन जबर शोषण अउ उपेक्षा के शिकार हें.
   -अरे.. ददा रे.. ए तो करलई कस बात बतावत हावस संगी.. का सिरतोन म अइसन होवत हे?
   -हव.. बस्तर म सिंदूर ल स्थानीय भाखा म 'जापरा' कहिथें. जापरा के खेती करइया मनला एक किलो सिंदूर के बलदा परोसी राज ओडिशा के व्यापारी मन सिरिफ 90 रुपिया देथें.
   -अचरज के बात आय संगी!
   -हव.. असल म का हे ना.. सरकार ह 50 किसम के वनोपज मन के खरीदी खातिर जेन सरकारी दर तय करे हे, तेमा जापरा या कहिन सिंदूर के नॉव शामिल नइए, एकरे सेती व्यापारी मन औने पौने म किसान मन ल ठगत रहिथें.
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-कइसे आँखी ल फरका के निटोर दिए रे बादर
मोर धनहा-डोली के आसा ल टोर दिए रे बादर
अब्बड़ सोर सुनावत रिहिसे तोर सनसनावत आए के
फेर कोन मेर तैं लरघिया के धपोर दिए रे बादर
   -का बात हे जी संगी कोंदा.. आज तो तोर बोली ह कवि कस बोली जनावत हे.
   -अंतस के पीरा ह सबो गढ़न जनाथे जी भैरा.. देखना ए बछर पंदरही आगू मानसून आगे कहिके मौसम विज्ञानी मन संग जम्मो लोगन नाचत रिहिन हें, फेर ए बुजा ल अठोरिया होगे कोन मेर अरहज गे हावय ते.
   -दंतेवाड़ा म रद्दा भूलागे हे कहिथें गा.. हो सकथे माई दंतेसरी के पूजा आरती म मगन होगे होही मानसून ह.
   -फेर मौसम विभाग वाले मन तो हवा के दिशा बलदगे हावय तेकर सेती लरघिया गे हे कहिथें जी.
   -कुछू होवय संगी हमर छत्तीसगढ़ के ए चातर मुड़ा म 15 जून तक ही अभरथे मानसून ह एकरे सेती इहाँ पेड़ पौधा रोपई  ल 15 जून ले 20 जुलाई के बीच करना चाही कहिथें.
   -त अभी 5 जून के पर्यावरण दिवस के दिन जेन लाखों पौधा लगाए गिस तेकर मन के का होही?
   -आने बछर असन इहू बछर लोगन के फोटू खिंचवाए के माध्यम भर बनही.. तहाँ ले भइगे.. छेरी पठरू मन के चगलन बनही या फेर सूखा के.
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-महिला सशक्तिकरण के तैं कतकों गोठ कर ले जी भैरा फेर खुद माईलोगिन मन ही नइ मानँय के आदमी के पँदोली के बिना वो मन कुछूच नइ कर सकँय.
   -पँदोली तो आदमी मनला घलो लागथे जी कोंदा तभे तो कहिथें ना के हर सफल पुरुष के पाछू वोकर सुवारी, महतारी या बहिनी के हाथ होथे.. माने सफलता म नारी शक्ति के पँदोली जरूर होथे.
   -तोर कहना तो वाजिब हे, फेर कोनो आदमी ह अपन आफिस के बइठका म अपन सुवारी ल घलो सँघार कहि के तो जिद नइ करय न जइसे काली मनेंद्रगढ़ जनपद पंचायत के महिला सदस्य मन अपन आदमी मनला बइठक म सँघारे बर अँड़ दिन.. बइठका ल आदमी मन बिन होने च नइ दिन.
   -अइसन बइठका म तो जेन सदस्य होथे उही ल सँघरना चाही जी.
   -हव सही आय.. फेर उहाँ के महिला सदस्य मन कहि दिन के उँकर जम्मो काम मनला तो उँकर पति मन ही करथें.. अउ ते अउ हमन चुनाव ल घलो उँकरे च मन के फोटो ल देखा के जीते हावन.. लोगन हमला फलाना के सुवारी आय कहि के वोट देइन हें.. त अइसन म हमन उँकर बिना बइठका म कइसे सँघर सकथन?
   -करलई हे संगी.. कुछ दिन पहिली कबीरधाम जिला ले सरपंच पति मन के शपथ ले के घलो खबर आए रिहिसे.. जय हो लोकतंत्र.. अइसने म तैं कइसे छाहित होबे ददा?
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-ददा दिवस के जोहार जी भैरा.
   -यहा का नवा चरित्तर ए जी कोंदा.. दिन न बादर अउ ददा ल जोहार.. हमन पितर पाख म दाई ददा मनला जोहारथन गा.
   -अरे बइहा.. ए ह जीयत ददा अउ ददा जइसन आने नता जे मन हमर जिनगी म पालक के भूमिका निभाए रहिथें, ते मनला जोहारे के माने आभार व्यक्त करे के दिवस आय.. हर बछर जून महीना के तीसरइया इतवार के जोहारे जाथे.. अउ एला पूरा दुनिया भर मनाए जाथे.
   -अच्छा.. अइसे..  माने जइसे महतारी मनला उँकर सेवा त्याग के आभार व्यक्त करे बर मदर्स डे मनाए जाथे तइसने.
   -अब ठउका समझे भई.. ठीक हे हमन अपन छत्तीसगढ़ के परंपरा ल मानथन अउ जीथन, तभो दुनिया संग घलो जेन वाजिब जनाथे तइसन परंपरा म खाँध जोर के रेंगबो तभे तो बनही जी.
   -सही कहे.. जम्मो च जगा कुँआ के मेचका बन के रेहे म नइ बनय.. फेर हमर इहाँ तो वसुधैव कुटुम्बकम माने पूरा दुनिया एक परिवार आय के अवधारणा प्रचलित हे, त वोमा सँघरबे तभे तो ए अवधारणा ह सिध परही.
   -सिरतोन कहे संगी.. तहूँ ल हैप्पी फादर्स डे.
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-बादर तो एकदमेच नटेर दिए हे जी भैरा.. बरखारानी ल हब ले बलाए बर हमर एती काँही ठुआँ-टोटका नइ करे जाय का?
   -कइसे गढ़न के केहे जी कोंदा?
   -अरे.. जइसे मध्यप्रदेश अउ महाराष्ट्र के कुछ भाग म मेचका मेचकी के बिहाव करे जाथे.. तहाँ ले वो बिहाव वाले मेचका जोड़ा के मुँह ल अगास कोती कर के बरखा के देवता ले हब ले पानी गिराए बर अरजी करे जाथे.
   -अच्छा.. अइसने जुन्ना इलाहाबाद जेला आजकाल प्रयागराज कहे जाथे उहाँ के जवनहा छोकरा मन चिखला म नँगत के घोंनडइया मारथें तहाँ ले वइसने चिखला म छबड़ाय ही खड़ा होके दूनों हाथ ल जोर के बरखा के देवता ले अरजी करथें. कर्नाटक म पाछू बछर पुतरा पुतरी के बिहाव कर के अरजी करे रिहिन हें.
   -हमर छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल म भीमादेव अउ भीमिन के बिहाव करे जाथे जी.. भीमादेव ल बरखा के देवता तो माने ही जाथे संग म उनला कुल देवता घलो मानथें.
   -त चलव भीमा-भीमिन के ही बिहाव करवाए जाय.
   -अरे.. फेर ए बिहाव के परंपरा ल तो वोती सावन महीना म संपन्न करे जाथे संगी.. अभी  लगती असाढ़ म अनफभिक  हो जाही.
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-रथयात्रा के दिन जब तक भगवान जगन्नाथ अउ वोकर भाई बलराम बहिनी सुभद्रा के रथ ल नइ तीरबे.. वोमा नइ चढ़बे तब तक रथयात्रा परब ल मनाए अस नइ लागय जी भैरा.
   -हव जी कोंदा.. हमन तो मिडिल स्कूल म पढ़त रेहेन तब ले पुरानी बस्ती वाले रथ ल तीरत अउ चघत आए हन.. कभू कभू गजामूँग ल घलो हमीं मन हेर के बाँट देवत रेहेन.
   -फेर ए बछर पुरी के श्रद्धालु मन अइसन नइ कर सकँय संगी.. उहाँ के सरकार ह लोगन ल अइसन करे ले चेताय हे.. नवा नियम बनाय हे.
   -बड़ा अचरज हे भई.. भगवान के दर्शन अउ सेवा टहल बर घलो सरकार के बरजना!
   -हव.. ओडिशा के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ह घोषणा करे हे- ए बछर सिरिफ सेवादार मन ही रथ म चघ पाहीं उहू म वो मन जेकर मन के नॉव ह उँकर सूची म रइही.. कहूँ कोनो आने मनखे जादा भक्ति भाव देखावत रथ म चढ़ जाही त वोला तुरते गिरफ्तार कर लिए जाही.
   -मरना हे गा.
   -उँकरे कहना हे- सुरक्षा के लिहाज ले अइसन नियम बनाय ले परे हे.. वो मन बताइन के रथ म चढ़इया सेवादार मनला मोबाइल धरे के परमिशन घलो नइ राहय.
   -कतकों उदिम करिन फेर वीआईपी कल्चर के सेती रथयात्र के भगल म 3 लोगन मर गिन अउ कतकों घायल होगें.
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-हमर इहाँ कतकों अइसन परब होथे जी भैरा जेला कोनो क्षेत्र विशेष म ही देखे ले मिलथे.. आने डहार के लोगन वोकर मुड़ी पूछी ल घलो बने गढ़न के नइ जानँय. 
   -हाँ.. ए बात तो हे जी कोंदा.. जइसे हमर इहाँ भाखा के संबंध म कहे जाथे ना.. कोस कोस म पानी बदलय अउ चार कोस म बानी.. ठउका अइसनेच परंपरा के संबंध म घलो हे.
   -सही आय जी.. अइसने अभी मोला परोसी राज ओडिशा ले लगे फुलझर अंचल के एक तिहार 'रजस्थला' के संबंध म नवा जानबा होइस हे.. उहाँ असाढ़ महीना के संक्रांति के दिन जब सुरूज नरायण ह मिथुन राशि म निंगथे, रजस्थला तिहार मनाए जाथे. ए दिन धरती दाई ल कोनो किसम के कोड़े या खाने नइ जाय.. रापा, कुदारी, नाँगर आदि सबो के उपयोग के मनाही होथे.
   -अच्छा..
   -हव.. अइसे मान्यता हावय के ए दिन धरती दाई ह महीना बइठथे, जइसे माईलोगिन मन के हर महीना माहवारी आथे .. वइसने बछर म एक दिन धरती दाई के घलो आथे, तेकर सेती उँकर सम्मान म ए दिन धरती ल कोनो किसम के कोड़े खने के मनाही रहिथे.. एकर संबंध म मान्यता इहू हवय के जेन शेषनाग ह धरती ल अपन मुड़ी म या कहिन फन म बोहे हे वो ह ए दिन अपन गुड़री ल बलदथे.
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-ए बछर जनगणना होही काहत हें जी भैरा.
   -हव जी कोंदा.. केंद्र सरकार ह अधिसूचना ढील डारे हे.
   -तोला कइसे जनाथे.. ए जाति के जनगणना ले कोन ल जादा नफा या नुकसान होही?
   -जाति-पाती के सरेखा ल अभी छोड़ संगी.. हमला छत्तीसगढ़िया अउ छत्तीसगढ़ी के संख्या ऊपर चेत करना हे. हमर महतारी भाखा छत्तीसगढ़ी के बोलइया ए राज म 66 प्रतिशत लोगन हें, तभो इहाँ लेद-बरेद 6 प्रतिशत लोगन के महतारी भाखा हिंदी ल राजभाषा घोषित करे गे हवय.. ए ह षडयंत्र आय. अभी होवइया जनगणना ह ठउका अवसर ए छत्तीसगढ़ी महतारी भाखा वाले मन के संख्या म निश्चित रूप ले अउ बढ़ोत्तरी होही.
   -हव बने काहत हावस.
   -तैं तो जानते हावस 28 नवंबर बछर 2007 म छत्तीसगढ़ी ल राजभाषा के दर्जा मिलगे हावय, फेर अभी तक ए ह सिरिफ खानापूर्ति म ही दिखथे.. शिक्षा अउ राजकाज के ठीहा म मौसीदाई बरोबर तिरिया दिए जाथे.
   -सोला आना गोठ कहे.. ए बखत हमेरी झड़इया मनला घलो महतारी भाखा के खँड़ म छत्तीसगढ़ी लिखवाय खातिर कोचकबो.
   -जरूरी हे.. हर वर्ग अउ समाज के लोगन ल अपन भाखा खातिर कोनो भी कारण ले भरे गे हीनता ले निकले बर लागही.. पूरा गरब अउ आत्मविश्वास के संग महतारी भाखा छत्तीसगढ़ी लिखवाय बर परही.
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-तोर सुझाव के छत्तीसगढ़ सरकार ऊपर जबर प्रभाव परे हे जी भैरा.. अब इहाँ के पुलिस विभाग के लिखा-पढ़ी म उर्दू अउ फारसी शब्द मन के जगा हिंदी शब्द बउरे जाही.
   -मैं तो पहिलीच ले गोठियावत रेहे हौं जी कोंदा.. जेन शब्द मन के मतलब ल लोगन समझय बूझय नहीं, ते मनला परंपरा के रूप म लादे रखना बने थोरहे आय तेमा.
   -हव भई नोहय.. तभे तो इहाँ के गृह मंत्री ह वइसन शब्द मन के बलदा हिंदी शब्द बउरे बर केहे हे.
   -मोर तो इहू कहना हे संगी.. हिंदी के घलो आम बोलचाल के शब्द मन के ही उपयोग करे जावय, कहूँ एकरो उर्दू अउ फारसी जइसन भारी-भरकम टॉंठ असन शब्द मनला लिखा-पढ़ी म खुसेरहीं, त उहू ह अलकर हो जाही.. जादा अच्छा तो ए हे के छत्तीसगढ़ी, गोंडी, हल्बी अउ सरगुजिया जइसन स्थानीय भाखा के शब्द मनला लिखा-पढ़ी म जादा बउरे जाय, तेमा गाँव-गंवई के आम लोगन घलो वो लिखे गे शब्द अउ वोकर अरथ ल समझ सकय.
   -सही कहे संगी.. जे मनखे के संबंध म तैं लिखा-पढ़ी करत हावस कहूँ उहिच ह तोर लिखा ल समझ नइ पाइस त फेर वोकर मतलब ही का होइस?
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-बाहिर ले आए अपराधी किसम के लोगन धरम के सँवाँगा  खापे पहिली सरकारी जमीन म ही अवैध रूप ले कब्जा करत रिहिन हें जी भैरा फेर अब तो ए मन लोगन के निजी जमीन म घलो बरपेली कब्जा करे लगे हें.
   -अइसे का जी कोंदा?
   -अरे हव भई.. अभी हमर रायपुर के सड्ढू ले खबर आय हे.. उहाँ के किसान हरीश पांडे के महतारी शांतिदेवी के नॉव म 3.249 हेक्टेयर जमीन हे, एकर बाजू म एक आने मनखे के जमीन हे.. उही बाजू जमीन वाले मन मंगलवार के मँझनिया पहुँचिन जेमा के कुछ लोगन साधु मन बरोबर सँवाँगा खापे रिहिन हें. वो मन हरीश के जमीन म आश्रम बनाबो कहिके उहाँ लगे सिरमिट के खंभा अउ फेसिंग तार मनला टोरे लागिन.
   -ताज्जुब हे संगी!
   -हव.. हरीश ल जब ए बात के जानबा होइस, त वो ह थाना म शिकायत करिस.. पुलिस ह मामला ल राजस्व संबंधी बता के तहसील कार्यालय म आरो करे हे.. अब देखौ जमीन के नापजोख के बाद का होथे ते?
   -नापजोख म चाहे कुछू होवय संगी, फेर सिरमिट के खंभा अउ फेसिंग तार मनला टोर के वोमा कब्जा कर के उदिम ही ह अपराध आय.. धरम के नॉव म अभी जेन देखे सुने ले मिलत हे ना.. ए सब अनफभिक अउ अधरम ए.
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-मानसून के मयारुक बरखा संग जब प्रकृति नाचे अउ हरियाए लगथे तब एक विशेष किसम के मेचका मन घलो चटकदार पिंवरा रंग म दिखे लगथे जी भैरा.. अइसे जनाथे जस ए मन कोनो सुग्घर खेलौना आयँ.
   -हव जी कोंदा.. तरिया, नँदिया, झील झरना, ढोंड़गी नरवा मन तीर महूँ अइसने आकब करे हावौं.. आम बोलचाल के भाखा म हमन ए मनला घिंधोल कहि देथन ना?
   -हव.. हर बछर ए मन दिखथें..  वैज्ञानिक मन के भाखा म ए मनला 'इंडियन बुल फ्रॉग' कहे जाथे.. जीव विज्ञान के प्रोफेसर डॉ. शैल जोशी जी बताइन के ए मन नर मेचका होथें, जे मन मादा मेचकी मनला आकर्षित करे बर बछर म एक पइत रंग बलदथें अउ खास किसम के आवाज निकालथें.
   -गजब हे संगी.!
   -हव.. मादा मेचकी मन म अइसन रंग बलदे के गुण नइ राहय.. बरखा के दिन ह एकर मन के प्रजनन काल के बेरा होथे, तेकर सेती प्राकृतिक रूप ले ए मन अइसन करथें.. ए ह जेनेटिक बदलाव होथे.
   -प्रकृति ह अपन सरलग संचालन खातिर जम्मो जीव जगत ल कुछू न कुछू खास गुण अउ समझ दिए हावय न.
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-बरखा के मौसम आइस तहाँ ले भिंभोरा या खेत के मेड़ आदि म पिहरी फूटे के चालू हो जाथे जी भैरा.
   -हव जी कोंदा.. गजब सुहाथे ना.. ए हमर प्राकृतिक मशरूम ह.. एला कोनो पुटू त कोनो फुटू त कोनो अउ कुछू आने नॉव ले जानथें, फेर हमर ए चातर मुड़ा पिहरी कहिथन.
   -हव.. ए तो बने बात आय फेर इहू म सबोच फुटू मन खाए के लाइक नइ होय.. कतकों मन जहरीला होथे, तेकर सेती देख समझ के ही उँनला राँधना चाही.
   -अच्छा.. अइसे?
   -हव.. हमर छत्तीसगढ़ म पाए जाने वाला फुटू मन ऊपर शोध करे बॉयोटेक वैज्ञानिक डॉ. प्रशांत शर्मा बताथें के 40 किसम के प्राकृतिक मशरूम मन के प्रयोगशाला म जाँच करे गे हवय, जेमा पाए गिस के चिरको, सुगा, छेरकी, भैसा, बाँस, भुडू, जाम, दुधिया, चरचरी, कठवा, करीया, तीतावर, पिवरा, झरिया, कुम्हा अउ झरकेनी जइसन प्रजाति मन खाए के लइक होथे.. उहें बिलाई खुखड़ी, गंजिया खुखड़ी, लकड़ी खुखड़ी, लाल बादर अउ बनपिवरी जइसन फुटू मन बहुत हानिकारक होथे.
   -तभे तो कतकों जगा ले फुटू खाय के सेती बीमार परे के खबर आवत रहिथे.
   -हव.. उँकर कहना हे के चटक रंग जइसे लाल, नीला, पीला, हरा, बैगनी अउ नारंगी रंग के फुटू मन के सेवन नइ करना चाही.
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-लोकतंत्र सेनानी के नॉव म अभी एक नवा पेंशन योजना चालू करे गे हवय जी भैरा जेकर अंतर्गत वो मनला पेंशन दिए जाथे जे मन आंतरिक सुरक्षा कानून अधिनियम (मीसा) के अंतर्गत जेल म धँधाय रिहिन हें.
   -हव जी कोंदा.. आपातकाल के नॉव ले जाने जाने वाला वो बेरा ल लोगन लोकतंत्र के करिया दिवस के रूप म आजो सुरता करथें.
   -अभी अवइया 25 जून के वो करिया दिवस ल पचास बछर पूरा हो जाही.
    -अच्छा..!
   -हव.. 25 जून 1975 के लागू होय रिहिसे आपातकाल ह जब लोगन ल बरपेली जेल म धाँध दिए जावत रिहिसे या फेर उँकर नसबंदी कर दिए जावत रिहिसे.
   -वो पइत इहू सुने ल मिलय संगी के नसबंदी के कोटा ल पूरा करे खातिर कतकों कुवाँरा लइका मन के घलो नसबंदी कर दिए जावय.
   -कतकों झन तो अपन नौकरी ल बचाय राखे के डर म ही नसबंदी करवावत रिहिन हें.
   -सही आय जी.. कुल 21 महीना चले वो अतलंगी बेरा ल ए देश कभू भुला नइ पावय.
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-कतकों टीवी चैनल मन म ज्योतिष ले समस्या के समाधान वाले कार्यक्रम देखाथें नहीं जी भैरा.. अब अइसनो मन ले बाँच के रहे के जरूरत हे.
   -कइसे जी कोंदा.. वो मन अंते-तंते बता देथें का?
  -अंते-तंते तो बताथेंच संग म डर-भय देखा के ठगी घलो करथें.
   -वाह भई.. आजकाल तो सबोच टीवी चैनल मन म कोनो न कोनो ज्योतिष ल समस्या के समाधान बतावत देखाबे करथें.
   -हव.. कांकेर के मीरा साहू नॉव के एक माईलोगिन ह अभी डीडी फ्री डिश चैनल म प्रसारित जय माँ कामाख्या संस्थान के राघवेंद्र आचार्य धीरज रावत ले 28 लाख रुपिया के ठगी के शिकार होगे.
   -मरना हे गा.. अइसन प्रतिष्ठित  संस्थान के नॉव म घलो ठगी.!
   -हव.. मीरा साहू ह वो कार्यक्रम के बेरा फोन लगा के गोठबात करे रिहिसे उही नंबर म फेर वो ज्योतिष ह घेरीभेरी फोन कर कर के मीरा के घर म अकाल मृत्यु के डर देखा देखा के 28 लाख रुपिया अपन खाता म मँगवा डारे रिहिसे.. कई पइत के इही चरित्तर म हलाकान होके मीरा ह पुलिस म ए बात के रिपोर्ट करिस त कांकेर पुलिस ह वो ज्योतिष ल दिल्ली ले गिरफ्तार कर के लाने हे.
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-आदमी जब एको अपराध म धँधाय अस हो जाथे त वोमा ले बोचके बर कुछू भी बहाना बनाय के उदिम करथे जी भैरा भले वो ह अनफभिक राहय.
   -हव जी कोंदा ए बात तो हे.. अभीच्चे देख ले अमृतसर के अदालत ले राष्ट्रीय राइफल्स म ब्लैक कैट कमांडो बलविंदर सिंह ल अपन सुवारी ल दहेज म फटफटी नइ दे के सेती वोकर टोटा ल मसक के मार डारे के सेती दोषी ठहराए गिस त वो ह सुप्रीम कोर्ट म ए दलील देवत अरजी लगाय रिहिसे के वो ह 'आपरेशन सिंदूर' म भाग ले हावय तेकर वोला आत्मसमर्पण करे के छूट दिए जाय.
   -अच्छा.. मतलब आत्मसमर्पण करे के मापदंड म वोला कमती सजा मिलय.
   -हव.. फेर शीर्ष अदालत ह वोकर सजा ल जस के तस राखत कहे हे- आपरेशन सिंदूर म भाग ले के सेती तोला अपन घर म अत्याचार करे के छूट नइ मिल जाय.
   -बने कहे हे.. शीर्ष अदालत ह.. कानून के नजर म सब बरोबर होथे.. चाहे वो आमलोगन होवय ते देश के सेना म सेवा देवत कोनो सिपाही.
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-गोवर्धन पूजा के जोहार जी भैरा.
   -जोहार संगी कोंदा.. तुमन गरुवा मनला लोंदी खवा डारेव गा?
   -हव जी.. हमन तो बिहनियच ले ए बुता ले उरक जाथन.
   -बने आय संगी गौवंश संरक्षण संवर्द्धन के ए बुता ल जतका जल्दी सिध पारबे वतके बने हे.. त अब चलना भाँठा डहार जाबो गोवर्धन खूँदाय के तइयारी देखे बर.
   -हव चलना.. अच्छा तैं जानथस भगवान कृष्ण ह इंद्रदेव के पूजा ल बंद करवा के गोवर्धन पहाड़ के पूजा करवाए के परंपरा काबर चालू करवाए रिहिसे?
   -वाह.. नइ जानबो गा.. भगवान कृष्ण ह गोवर्धन पूजा के माध्यम ले ए संदेश दिए रिहिन हें के हमला दुरिहा ले चकाचक दिखत जिनिस के आकर्षण म परे के बलदा अपन तीर-तखार के उपयोगी जिनिस या मनखे मन के महत्व ल समझना चाही.
   -ठउका कहे.. दूर के ढोल सिरिफ सुहावन होथे.. एकरे सेती तो महूँ कहिथौं- हमला बाहिर ले दुनिया भर के सँवाँगा खाप के आवत गुरुघंटाल किसम के लोगन मन के झाँसा म नइ आके अपन पुरखौती परंपरा, जीवन पद्धति, उपासना विधि अउ लोक देवता मन के ही पूजा उपासना म मगन रहना चाही.
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अभी धरम-करम के नॉव म हमर छत्तीसगढ़ म जइसन-जइसन खबर देखे सुने ले मिलत हे ते ह उजबक बानी के जादा जनावत हे जी भैरा.
   -सही म जी कोंदा.. अउ तैं आकब करे हावस ए मन म बाहिर ले अवइया गुरुघंटाल किसम के लोगन ही जादा हें.
   -गुरुघंटाल मन ही तो अतलंग करथें संगी बने मनखे मन आगू-पाछू, तरी-उप्पर जम्मो ल टमड़ के कुछू भी कारज करथें.. अब देख लेना दाई बमलेश्वरी के धाम डोंगरगढ़ ले जेन खबर आय हे तेला.. योग के नॉव म भोग के आश्रम चलाए जावत रिहिसे.
   -हव भई.. कांती अग्रवाल नॉव के तथाकथित बाबा ह प्रज्ञागिरी पहाड़ी जगा कुल 42 एकड़ भुइयाँ बिसाय रिहिसे तेमा के पाँच एकड़ म योग आश्रम बनवावत रिहिसे अउ वोकर आड़ म चुकता भोग के धंधा चलावत रिहिसे.. उहाँ जेन बोर्ड टँगाय रिहिसे तेमा 'कांति योग' लिखाय रिहिसे बताथें.
   -हव भई पहिली बेर कांति योग के नॉव सुने हन.. बीस बछर ले गोवा म घलो अइसने करत रिहिसे कहिथें.. गोवा म विदेशी पर्यटक मन जादा आथें उही मन ले वोकर विदेशी चेला मन के संख्या बाढ़े लागिस, जे ह वोकर धन-दौलत अउ चेला-चपाटी सबो के संख्या म बढ़ोत्तरी करे लागिस.
   -हमन ल अइसन जम्मो किसम के बाबा उबा मन ले बाँच के रेहे के जरूरत हे.
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-उत्तर प्रदेश के इटावा जिला के गाँव दाँदरपुर म 22-23 जून के रतिहा म कथावाचक मुकुटमणि यादव अउ वोकर संगी संत सिंह यादव के मुड़ ल मुड़वा के एक माईलोगिन के पाँव म नाक रगड़वाए अउ वोकर पिशाब ल उँकर मूड़ी ऊपर छींचे के जेन घटना होय रिहिसे न जी भैरा एकर संबंध म काशी विद्वत परिषद ह कहे हे के भागवत कथा कहे के अधिकार जम्मो हिंदू मनला हे.. एमा कोनो किसम के ऊँच-नीच या छोटे-बड़े के भेदभाव नइ करे जा सकय.
   -सही आय जी कोंदा.. जब भगवान के कथा सुने के सबला अधिकार हे.. अपन घर म उँकर पूजा ठउर बना के राखे अउ पूजा करे के सबो ल अधिकार हे त वोकर कथा कहे के अधिकार कइसे नइ हो सकही?
   -सही आय.. संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति बिहारी लाल शर्मा अउ काशी विद्वत परिषद के महामंत्री रामनारायण द्विवेदी ह सबो ल कथा करे के अधिकार हे कहे हे. उँकर कहना हे- हमर परंपरा म अइसन कतकों गैर ब्राह्मण होय हें, जिंकर गिनती ऋषि के रूप म होथे, चाहे वो महर्षि वाल्मीकि हो, वेदव्यास हो या रविदास सबो  ल बरोबर के सम्मान अउ आदर मिले हे अउ आगू घलो मिलत रइही.
   -हमर छत्तीसगढ़ म स्वामी आत्मानंद ह एकर बड़का उदाहरण हे.
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-देंहदानी मनला अब 'गार्ड ऑफ ऑनर' दे के आखिरी बिदागरी दिए जाही जी भैरा.
   -ए तो बहुते सँहराय के लाइक बात आय जी कोंदा.
   -फेर ए परंपरा ह अभी सिरिफ परोसी राज मध्यप्रदेश भर म रइही.. उहाँ के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ह घोषणा करे हवय के जे मन अपन देंह के या कोनो अंग विशेष के दान करहीं वो मनखे के आखिरी बिदागरी ल 'गार्ड ऑफ ऑनर' दे के करे जाही संगे-संग उँकर परिवार के सदस्य मनला स्वतंत्रता दिवस अउ गणतंत्र दिवस म आयोजित होवइया सार्वजनिक कार्यक्रम म सम्मानित घलो करे जाही.
   -देंह दान के अगोरा करत कतकों अस्पताल अउ लोगन मनला एकर ले निश्चित रूप ले लाभ मिलही संगी.. संग म देंह दान जइसन पुन्न कारज के रद्दा म लोगन प्रोत्साहन होके आगू आहीं.
   -हव जी मैं तो कहिथँव के मध्यप्रदेश सरकार के ए निर्णय के अनुसरण हमर छत्तीसगढ़ के संगे-संग पूरा देश के सरकार मनला करना चाही.
   -सही कहे संगी.. देंह दान ह हमर धार्मिक आध्यात्मिक संस्कृति म घलो जबर महत्व राखथे.. महर्षि दधीचि ल तो सिरिफ एही बात के सेती ही सुरता करे जाथे.
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-नाग-नागिन के मया अउ एक-दूसर खातिर समर्पण के गोठ ल अभी तक हमन सिरिफ किस्सा कहानी म ही सुनत रेहे हावन जी भैरा फेर परोसी राज मध्यप्रदेश के मुरैना जिला के गाँव घूरकूड़ा कालोनी विकासखंड पहाड़गंज के लोगन ल अइसन साक्षात देखे ले मिले हे.
   -वाह भई.. ए तो वाजिब म अद्भुत हे जी कोंदा.
   -खबर आय हे के वो गाँव के सड़क ल नाहकत बेरा एक नाग ह मोटर के खाल्हे म आके चपकागे.. वो नाग ल गाँव वाले मन देखिन त वोला एक तीर म लान के मढ़ा देइन.
   -गाँव वाले मन जस के कारज करिन कहिदे.
   -हव.. थोरके पाछू देखिन वो जगा एक नागिन ह आके बइठगे.. लगातार चोबीस घंटा तक वो नागिन ह उहिच जगा बइठे रिहिस.. न हालिस न डोलिस अउ उहिच जगा उहू ह अपन परान ल तियाग दिस.
   -वाह भई.. सुने म ही अद्भुत जनावत हे! हमर संस्कृति म वइसे भी नाग नागिन मनला देवता बरोबर मानत उँकर पूजा करे जाथे.
   -हव.. गाँव वाले मन बाद म वो दूनों नाग नागिन के विधिवत रूप ले अंतिम संस्कार करिन.. गाँव वाले मन निर्णय लिए हें के जेन जगा वो नाग नागिन मन अपन जीव छोड़े हें, वो जगा उँकर अमर प्रेम के प्रतीक स्थली के रूप म चबूतरा बनवाहीं।
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