Wednesday, 20 March 2013

जब मैं आध्यात्मिक साधना में था...


सन् 1994 से लेकर 2007 तक (करीब 14-15 वर्षों तक) मैं आध्यात्मिक साधना में था। इसी दौरान मुझे छत्तीसगढ़ की मूल संस्कृति, जिसे मैं आदि धर्म कहता हूं, का ज्ञान प्राप्त हुआ था।
कुछ लोग पूछते हैं कि आदि धर्म क्या है, तो मैं उन्हें संक्षेप में केवल इतना ही कहता हंू कि सृष्टिकाल में या युग निर्धारण की दृष्टि से कहें तो सतयुग में जिन त्रिदेव की व्यवस्था थी, उनके साथ माताओं की व्यवस्था थी, और सेवक के रूप में कुछ गण-पार्षदों की व्यवस्था थी, उन्हें ही मैं आदि धर्म मानता हूं और केवल उनका ही प्रचार-प्रसार करता हूं।
ज्ञात रहे कि इसके पूर्व मैं सुशील वर्मा के नाम पर जाना जाता था। लेकिन आध्यात्मिक दीक्षा के पश्चात् गुरुदेव के आदेश पर मैं सुशील भोले लिखने लगा।



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