छत्तीसगढ़ी कवि सम्मेलन के मंचों पर इन दिनों जो स्वर सबसे ज्यादा सुनाई दे रहा है, वह है मीर अली मीर जी का। उनका एक गीत ..*नंदा जाही का रे...* काफी लोकप्रिय हुआ है। मीर जी के साथ वैसे तो मुझे अनेक मंचों पर कविता पाठ करने का अवसर मिला है। लेकिन किसी कार्यक्रम के दौरान सबसे अंतिम पंक्ति पर बैठकर गप्प मारने का अवसर विरले ही मिल पाता है... एक ऐसे ही अवसर पर.... मैं सुशील भोले और मीर अली मीर.....
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