आजकल यह देखा जा रहा है कि कला को संस्कृति के नाम पर बताया और परिभाषित किया जा रहा है। खासकर लोककलाओं को। जबकि यह जानना जरूरी है कि कला और संस्कृति दो अलग-अलग चीजें हैं। कला वह है जिसे हम मंच या अन्य माध्यमों के द्वारा प्रदर्शित करते हैं, जबकि संस्कृति वह है जिसे हम जीते हैं.. आत्मसात करते हैं... पर्वों और त्यौहारों के रूप में मनाते हैं।
* सुशील भोले * 080853-05931, 098269-92811
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