छत्तीसगढ़ राज्य की जनभाषा छत्तीसगढ़ी को प्रदेश स्तर पर *राजभाषा* का दर्जा मिले लगभग 7 वर्ष हो चुके हैं, लेकिन अभी भी यह यहां की शिक्षा और राजकाज की भाषा नहीं बन पायी है। राज्य शासन द्वारा राजभाषा आयोग का जरूर गठन किया गया है, लेकिन अधिकार और संसाधन की कमियों के कारण उससे अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पा रहा है।
इस संबंध में जब भी राज्य शासन के प्रतिनिधियों से चर्चा की जाती है, तो वे केन्द्र सरकार पर ठिकरा फोड़ते हुए कह देते हैं जब तक केन्द्र इसे संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं करेगा, तब तक हम भी कुछ नहीं कर सकते।
छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग ने अपने स्तर पर केन्द्र शासन से आठवींं अनुसूची में छत्तीसगढ़ी को शामिल करने के लिए काफी प्रयास किया है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी अपने-अपने स्तर के अनुरूप बहुत कुछ किये हैं और कर रहे हैं। लेकिन मेरा इस प्रदेश के समस्त पत्रकारों से प्रश्न है कि वे यहां की जनभाषा के लिए क्या कर रहे हैं, आज तक क्या किये हैं? क्या ये अपने-अपने समाचार पत्र, पत्रिकाओं और टीवी चैनलों पर छत्तीसगढ़ी के लिए अलग से पृष्ठ, कार्यक्रम और समय आरक्षित किये हैं? क्या ऐसा कर सकते हैं? प्रदेश और केन्द्र सरकार पर इसके लिएनियमित रूप से दबाव बना सकते हैं?
लोकतांत्रिक व्यवस्था में पत्रकारों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस (28 नवंबर) के अवसर पर मेरा प्रदेश के समस्त पत्रकार बंधुओं से आग्रह है कि वे छत्तीसगढ़ी को संविधान की आठवीं अुनसूची में शामिल करवाने के लिए अपने-अपने स्तर पर ईमानदार प्रयास करें। छत्तीसगढ़ी को जनभाषा के साथ ही साथ संवैधानिक भाषा, राजकाज और शिक्षा की भाषा बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दें।
सुशील भोले
म.नं. 54-191, डॉ. बघेल गली,
संजय नगर (टिकरापारा) रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 080853-05931, 098269-92811
ईमेल - sushilbhole2@gmail.com
इस संबंध में जब भी राज्य शासन के प्रतिनिधियों से चर्चा की जाती है, तो वे केन्द्र सरकार पर ठिकरा फोड़ते हुए कह देते हैं जब तक केन्द्र इसे संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं करेगा, तब तक हम भी कुछ नहीं कर सकते।
छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग ने अपने स्तर पर केन्द्र शासन से आठवींं अनुसूची में छत्तीसगढ़ी को शामिल करने के लिए काफी प्रयास किया है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी अपने-अपने स्तर के अनुरूप बहुत कुछ किये हैं और कर रहे हैं। लेकिन मेरा इस प्रदेश के समस्त पत्रकारों से प्रश्न है कि वे यहां की जनभाषा के लिए क्या कर रहे हैं, आज तक क्या किये हैं? क्या ये अपने-अपने समाचार पत्र, पत्रिकाओं और टीवी चैनलों पर छत्तीसगढ़ी के लिए अलग से पृष्ठ, कार्यक्रम और समय आरक्षित किये हैं? क्या ऐसा कर सकते हैं? प्रदेश और केन्द्र सरकार पर इसके लिएनियमित रूप से दबाव बना सकते हैं?
लोकतांत्रिक व्यवस्था में पत्रकारों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस (28 नवंबर) के अवसर पर मेरा प्रदेश के समस्त पत्रकार बंधुओं से आग्रह है कि वे छत्तीसगढ़ी को संविधान की आठवीं अुनसूची में शामिल करवाने के लिए अपने-अपने स्तर पर ईमानदार प्रयास करें। छत्तीसगढ़ी को जनभाषा के साथ ही साथ संवैधानिक भाषा, राजकाज और शिक्षा की भाषा बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दें।
सुशील भोले
म.नं. 54-191, डॉ. बघेल गली,
संजय नगर (टिकरापारा) रायपुर (छ.ग.)
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सिरतोन केहेव भोले जी इहां के पत्रकार मन ला घलोक चेत करे बर परही......
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