आजा रे संगवारी राजा,
लेके आजा गंड़वा बाजा
संग म घोड़ा-गाड़ी-बराती,
मइके के संग छोड़ाजा.....
फुगड़ी बिल्लस के दिन परागे
खोखो डड़इय्या घलो झुपागे
अब तो मोहरी के धुन सुनाजा... आजा रे...
भरे जाड़ म कातिक नहावन
महादेव ल तोर बर मनावन
अब तो फल पाये के आरो देवाजा... आजा रे...
तीजा उपास घलो रहि जावन
सब के संग म फुलेरी सजावन
वोकरो महिमा के परसाद चिखाजा... आजा रे...
(फोटो-गुजरात हैंडीक्राफ्ट आर्ट से साभार)
सुशील भोले
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