मयारु माटी mayaru mati
Friday, 27 February 2015
नवा बहुरिया के रेंगना कस....
नवा बहुरिया के रेंगना कस लागे मौसम के चाल
जस गोड़ म घुंघरु बांधे हिरना मारत हे उछाल
चुक ले पहिरे लाली लुगरी अउ फुंदरा घलो लाल
झुमरत-गावत नाचय फागुन धरे रंग-गुलाल
*सुशील भोले*
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