कनिहा मटक जाथे बाबा,
तोर डमरू के भाखा सुन मटक जाथे..
संगी-सहेली संग किंजरे बर गुनथौं
ततके बेर ठउका एकर भाखा सुनथौं
उठे पांव मोर अटक जाथे बाबा, तोर---
काम-बुता तो घलो अब होवय नहीं
गारी देथें मोला सब्बोच झन जोहीं
बुता ले चेत अब भटक जाथे बाबा, तोर---
तने-तनाय रहिस पहिली ये तन ह
लरी-लरी होगे जोहीं देंह-रतन ह
उपास के मारे देंह झटक जाथे बाबा , तोर---
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो नं 9826992811
गारी देथें मोला सब्बोच झन जोहीं
बुता ले चेत अब भटक जाथे बाबा, तोर---
तने-तनाय रहिस पहिली ये तन ह
लरी-लरी होगे जोहीं देंह-रतन ह
उपास के मारे देंह झटक जाथे बाबा , तोर---
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो नं 9826992811
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