धर्म एक ऐसा विषय
है, जिसे आमतौर पर लोग मधुमक्खी के छत्ते की तरह देखते हैं। लोग उससे शहद
तो प्राप्त करना चाहते हैं, किन्तु उसके काट खाने के भय से उसे छूना या
छेड़ना भी नहीं चाहते।यही कारण है, कि आज हमारे समक्ष धर्म, संस्कृति और
परंपरा के नाम पर अनेक विसंगतियां दिखाई देती हैं। जो लोग चिंतन-मनन और
समाधान की प्रक्रिया में उलझना नहीं चाहतेद, वे ऐसी तमाम विसंगतियों को धर्म
और परंपरा के नाम पर ढोते रहते हैं। और जो लोग ऐसी विसंगतियों से
खिन्न होकर उसका त्याग करना चाहते हैं, वे धर्म के रास्ते से ही विलग होने
की कोशिश करने लगते हैं। हमारे समक्ष धर्म परिवर्तन के ऐसे अनेक उदाहरण
दिखाई देते हैं, जो ऐसी विसंगतियों के कारण ही हुए हैं। क्या आपको ऐसा नहीं
लगता कि ऐसी तमाम विसंगतियों पर समय-समय पर सार्थक चर्चा होनी चाहिए?
-सुशील भोले
संयोजक, आदि धर्म सभा
संजय नगर, रायपुर
मो.नं . 9826992811
-सुशील भोले
संयोजक, आदि धर्म सभा
संजय नगर, रायपुर
मो.नं . 9826992811
No comments:
Post a Comment