बिदेसिया कइसे मनावंव मैं तिहार
तोर बिन जिनगी लागथे पहार--
सावन बीतगे भादो निकलगे
माघ-पूस के दिन घलो पुरगे
माते हे फागुन मतवार---
लिख-लिख पतिया भेजेंव तोला
सोर घलो नइ दिए रे तैं मोला
अब लागत हे डोंगा मजधार--
गुन के रोथे माथा के टिकली
पंड़री परगे लाली रे फुंदरी
आंसू ढरकाथे सब सिंगार---
देखत रद्दा दूनो आंखी भरगे
ठाढे-ठाढ मोर चिता बरगे
सरपिन कस होगे निस्तार--
-सुशील भोले
डाॅ. बघेल गली, संजय नगर, रायपुर (छत्तीसगढ)
मो. 9826992811, 7974725684
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