सुक्खा सावन तोला कइसे के परघावन आने बछर तो नंगत मया के गीत गावन फेर ए दरी दिखथे अभी ले दुकाल के छापा त कइसे तोर सुवागत म सवनाही मनावन -सुशील भोले
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