साधना से शरीर नहीं आत्मा और ज्ञान प्रबल होते हैं....
कुछ लोग यह प्रश्न कर बैठते हैं, कि कोई साधक व्यक्ति बीमारियों से कैसे घिर जाता है?
एक दृष्टि से देखा जाए तो उसका प्रश्न उसके दृष्टिकोण से सही है, कि साधक को तो भले चंगे और तंदरुस्त होना चाहिए, लेकिन यह सही नहीं है। दरअसल शारीरिक तंदरुस्ती का संबंध अच्छे खानपान और व्यायाम से है, जबकि साधना में तो निराहार रहा जाता है, जल का उपयोग भी सीमित मात्रा में किया जाता है, तो फिर ऐसे में शरीर कैसे बलवान हो सकता है? वह तो कमजोर ही होगा।
साधना का संबंध शरीर की पुष्टि से नहीं, अपितु आत्मा और ज्ञान की पुष्टि, इनकी वृद्धि और समृद्धि से है। इसीलिए साधना से आत्मज्ञान की प्राप्ति की बात कही जाती है, और फिर आत्मज्ञान से मोक्ष प्राप्ति की बात कही जाती है।
-सुशील भोले
आदि धर्म जागृति संस्थान रायपुर
मो. 9826992811
Saturday, 28 September 2019
साधना से शरीर नहीं आत्मा और ज्ञान पुष्ट होते हैं....
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