Sunday, 24 January 2021

नंदावत परंपरा.. बेलन..

#नन्दावत #परम्परा: बेलन..
आज हमन जानबोन नंदावत परम्परा धान मिंजे के पारंपरिक साधन लकड़ी के ठेला (बेलन) गाड़ी के बारे म। ए का हरे अऊ एकर उपयोग का हरे तेला।

छत्तीसगढ़ ह अपन समृद्ध पारम्परिक साधन के कारण प्रसिद्ध हे। फेर आज ओ परम्परा मन ह नंदावत जात हे। हमर पुरखा मन ह पहिली अपन सबो काम बुता मन ल पाराम्परिक साधन के उपयोग ले करय। फेर आज मशिनिकरण के युग म ए सबो पारमपरिक साधन मन ह नंदावत जात हे।पारम्पारिक साधन मन म मेहनत के संगे संग थोड़किन बेरा तको लागय फेर ए साधन मन के उपयोग के  बाद के पपरिनाम मन ह बहुत अच्छा राहय। फेर मशीनीकरण के दौर ह जईसे ही अइस मनखे मन ह आलसी होगे। अब सबो काम बुता मन बर अब मशिन ऊपर निरभरता ह बाढ़ गे हावय। अब मनखे मन ह चाहथे कि सबो काम बुता ह जल्दी ले कम बेरा म हो । इही सबो कारण पारम्परिक साधन मन ह सल्लग नंदावत जात हे।

#नंदावत #परम्परा के एक साधन लकड़ी ले बने #ठेला (बेलन) #गाड़ी :-

छत्तीसगढ़ म नंदावत पारम्परिक साधन के कड़ी म एक नाम लकड़ी ले बने गाड़ी ठेला गाड़ी के नाम ह तको आथे।पहिली जईसे ही धान मींजेके सिजन ह चालू होए त ए ठेला गाड़ी सबो बियारा मन म जगा जगा दिखाई देवय। ठेला गाड़ी ल चलाए बर दू ठन बइला या भैंस्सा के आवस्यक्ता पड़थे। दू ठन बइला ले ए ठेला गाड़ी ह बंधाये रहिथे। जेला चलाए बर एक झन मनखे के आवश्यकता होथे। जेन ह तुतारी(कोड़ा) धरे रहिथे। तुतारी(कोडा) ह लकड़ी ले बने रहिथें जेकर फुंनगी डाहन खिला लगे रहिथे। अऊ संगे संग एकर फुन गी म थोरकुन मोट हा डोरी बंधाये रहिथे। एकर ले बइला मन ल सही रद्दा दिखाए म सहायता मिलथे। बइला ह जईसे ही एती ओती जायेके प्रयास ल करथे। ड्राईवर साहब ह सरपट ले कोड़ा ले मारके ओ बइला मन ल सही रद्दा म लाथे। बियारा(धान मिंजेबर बनाये खाली जगा) म बिगरे धान म ए ठेला गाड़ी ल गोल गोल घुमाए जाथे। जेकर ले धान ह अलग हो जाथे। ए विधी म थोरकुन बेरा लागथे संगे संग मेहनत तको लागथे। ट्रेक्टर के आयेले ए पारम्परिक साधन के उपयोग करई म सल्लग कमी आहे। अब ए जिनिस ह सल्लग नंदावत जात हे।

#कईसे रहिथे #एकर #स्वरूप ह? आवव जानन:-

धान मिंजिके ठेला गाड़ी के स्वरूप ह दतारी असन रहिथे, ठेला गाड़ी के आघू ह तो दतारी बरोबर रहिथे,फेर एकर पाछू भाग म अड़बड़ अंतर हे। ठेला गाड़ी के पाछू भाग म एकठन बड़े जबर लकड़ी के बेलन रहिथे,ए बेलन के saporrt दू ठन खड़ी लकड़ी म होथे। जेन ह 90 डिग्री म होथे। ए दू ठन लकड़ी ल एकठन, दूसर लकड़ी के पाटी ले सपोट करे जाथे। जेन ह दोनों पाटी के 90 डीग्री म फीट करे जाथे। ठेला के बाकी भाग ल आपमन फोटु म देख सकथो।

#ठेला #गाड़ी के #उपयोगिता:-

ठेला गाड़ी ले धान अलग करेमा अड़बड़ फायदा हे काबर एकर ले धान ह अलग होही, धान के चांउर नई फुटे। टेकटर में ज्यादा मिजई ले धान के चांउर ह फुट जाथे। एकर ले मिंजई ले पेरा ह बने रहिथे। पेरा ह ज्यादा खराब नई होवय। ठेला गाड़ी ले मिंजई म मेहनत अउ समय तो लागथे,फेर एकर ले किसान मन ल सुद्ध फायदा होथे।
-गणेश्वर पटेल

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