नइ करन अबेर.....
(अपन नाती म गोदी म उठाए लिखे रचना)
तैं उत्ती के सुरुज
अउ
मैं हंव संझौती बेर
तभो ले
चल खेल लेथन
नइ करन अबेर...
सुरता हे मोला
अपन मड़िया के रेंगना
घानीमुनी किंदरत
भदरस ले गिरना
महतारी ह हमर
ठउका बतावय
जझरंग ले कूद देस
कहिके हंसावय
अब तो
अइसनेच
तोरो हे फेर
आ चल खेल लेथन
नइ करन अबेर...
अपन लइकई ल
तोरेच म झांकत हंव
बबा के हंसना ल
तोर मेर संघारत हंव
जांगर अब थकत हे
तभो नइ लागय ढेर
आ फेर खेल लेथन
नइ करन अबेर...
-सुशील भोले-9826992811
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