'कोंदा-भैरा के गोठ-20
-बस्तर म देवी देवता मनला अपन घर परिवार के सदस्य बरोबर ही मानथें जी भैरा.
-हव ए तो सही आय जी कोंदा.. तभे तो उहाँ जेन देवता मन इंकर मन मुताबिक बुता नइ करंय, वो मनला माई भंगाराम के अदालत म सजा घलो देवाथें.
-सही आय संगी.. कांगेरघाटी के वनग्राम कोटमसर के कोतवाल पारा म देवी बास्ताबुंदिन के देवाला हे जिहां माता जी ल रंगीन चश्मा भेंट करे जाथे, तेमा माता जी के आॅंखी बने राहय अउ ओकर कृपादृष्टि ह अपन भक्त मन ऊपर बने राहय.
-अच्छा.. रंगीन चश्मा!
-हव.. इहाँ हर तीन बछर म एक बार मेला भराथे, जेमा आसपास के तीस गाँव के लोगन जुरियाथें, वो मन मनोकामना पूरा होय म चश्मा के संगे-संग बोकरा, कुकरा अउ बदक आदि घलो बलि के रूप म चढ़ाथें. लोगन के मानना हे के माता जी ल चश्मा चढ़ाए ले उनला आॅंखी ले संबंधित कोनो किसम के बीमारी नइ होवय, संग म माता जी ह उनला अउ कतकों रोग-राई ले बचाथे.
-सबके अपन मान्यता अउ आस्था हे संगी.
-जानकर मन बताथें के बास्ताबुंदिन माता ल चश्मा चढ़ाए के परंपरा सैकड़ों बछर ले चले आवत हे.
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-जादा पढ़ाकू मनखे मनला देख के डरभुतहा बानी के जनाथे जी भैरा.
-अइसे काबर जी कोंदा.. जे मनखे जतके जादा पढ़थे-लिखथे वो वतके गुनिक अउ सुलझे हुए होथे.. कभू कोनो ल बरपेली नुकसान पहुंचाए या अपमानित करे के उदिम नइ करय, फेर एकर उल्टा जरूर देखे ले मिलथे.
-कइसे ढंग के उल्टा जी?
-जे मन कम पढ़े लिखे होथे अउ धोखाधड़ी म कहूँ एकाद ठन धरम-करम के पोथी ल पढ़ डारे रहिथें, वो मन उहिच पोथी के गोठ ल ही ज्ञान अउ सत्य के प्रतीक बतावत तोर मुड़ी म चघे के कोशिश जरूर करही.
-वाह भई..!
-हव.. दार्शनिक फ्रेडरिक नीत्शे ह एकरे सेती एक जगा कहे हे- 'जेकर जगा लाइब्रेरी हे अउ जे नंगते पढ़थे, वोला झन डर्रावौ.. डर्रावौ वोला जेकर जगा एके ठन किताब हे, जेला वो ह पवित्र मानथे, फेर पढ़य नहीं'.
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-मोला जनाथे जी भैरा के ए वयस्क माने के जेन उमर अभी 18 बछर हे ना.. एला घटा के 16 कर देना चाही.
-फेर तो 16 बछर के लइका मनला मोटर-गाड़ी चलाय के लाइसेंस मिल जाही जी कोंदा.. तहाँ ले तो ए मन राही छंड़ा देहीं.
-गाड़ी-मोटर चलाय के लाइसेंस खातिर नइ काहत हौं संगी, एकर लाइसेंस बर तो 25 बछर करना चाही.. मैं तो आने-आने अपराध मन म नाबालिग के नॉव म ए मनला दूध-भात दे असन रिपोर्ट तक लिखे बर ढेरियाय असन करथें, तेकर सेती काहत हौं.
-तोर कहना वाजिब जनाथे जी.. अभीच्चे पुणे म जेन एक नाबालिग लइका ह दू झन इंजीनियर मनला अपन माँहगी कार म रेत के मार डरिस, तेन मामला म पुलिस ह वोला 300 शब्द म निबंध लिखवा के जमानत दे दिए रिहिसे ते ह अलकर जनाय रिहिसे.
-हव.. अइसने सब कारण के सेती कहिथौं नाबालिग के उमर ल 16 बछर करे जाय.. काबर ते अभी ए देखे म जादा आथे के 16 ले 18 बछर के बीच वाले मन कतकों किसम के अपराध म अगुवा बरोबर रहिथें.
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-तुंहर छत्तीसगढ़िया कलाकार मन के आजकाल भारी उजबक बानी के पहिनई-ओढ़ई देखे ले मिलथे जी भैरा.
-कइसे का होगे तेमा जी कोंदा?
-दू झन माईलोगिन के फोटू देख परेंव.. कोनो फिलिम के होही तइसे जनावत रिहिसे. वोमा के एक झन माईलोगिन ह जींस अउ टॉप पहिरे रिहिसे.
-अच्छा... त आजकाल तो कतकों झन जींस अउ टॉप पहिनथें जी एमा नवा का हे?
-जींस के उप्पर म चार लर के करधन अउ टॉप के उप्पर म चॉंदी के रुपिया पहिरे रिहिसे ते ह उजबक किसम के जनाइस हे जी.
-हां ए तो उजबक बानी के गोठेच आय.. अरे भई जींस अउ टॉप पहिनना रिहिसे त करधन अउ रुपिया ल नइ ओरमाना रिहिसे, अउ कहूँ करधन रुपिया पहिनना रिहिसे त लुगरा-पोलखा के उप्पर पहिनना रिहिसे.
-हव.. सोशलमीडिया के लइका मन अब्बड़ तमतमाए असन ओकर मन के बहिष्कार करे के गोठ करत रिहिन हें.
-कलाकार मन के बहिष्कार करे ले का होही संगी.. वो मन तो पेटपोसवा आय.. पेट रोजी खातिर जेन जइसे कइहीं, तइसे नाच-कूद देहीं. बहिष्कार करना ही हे त अइसन उजबक बानी के फिलिम बनइया निर्माता निर्देशक मन के करना चाही, भलुक अइसन मनला बने हकन के थुथरना घलो चाही.
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-विज्ञान ह आजकाल कोनो मरे मनखे के कंकाल ले ये जान जाथे कहिथे जी भैरा के वो मनखे ह बुढ़वा रिहिसे ते जवान, करिया रिहिसे ते गोरिया, नर रिहिसे ते मादा.
-हव ए बात तो सिरतोन आय जी कोंदा.. विज्ञान ह मनखे जेन कोनो भी रहिथे, वोकर सबकुछ ल बता देथे.
-वाह भई.. गजब हे, फेर संगी विज्ञान ह इहू बता सखथे का के वो कंकाल ह बाम्हन के रिहिसे ते शूद्र के या हिन्दू के रिहिसे या मुसलमान के?
-ए बात ल विज्ञान कइसे बता सकही संगी.. ए तो लोगन के बनाय अउ माने जिनिस आय.. जेकर विज्ञान के नजर म कोनो कीमत नइए.. विज्ञान तो सिरिफ वोला मानथे, जानथे अउ बताथे, जेला प्रकृति ह बनाय हे.. या तुंहर नजर म कहिन के परमसत्ता ह सिरजाय हे.
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-अब के बेरा म जिहां अनाथ आश्रम मन के संख्या म बढ़ोत्तरी देखे बर मिलत हे, उहें वृद्धाश्रम के संख्या म घलो दिनों दिन बढ़ोत्तरी आवत हे जी भैरा.
-हव जी कोंदा महूं ल अइसने जनाथे.. कोनो दाई-ददा मन अपन लइका मनला एते-तेती छोड़ के भागत हें, त कतकों लइका मन अपन दाई-ददा के सेवा बजाए अउ पोसे के डर म उनला वृद्धाश्रम म पटक के भागत हें.
-हव भई बड़ा बिचित्र बेरा आगे हे!
-एकरे सेती मैं गुनत रेहेंव संगी, के वृद्धाश्रम अउ अनाथालय ए दूनों ल अलग अलग संचालित करवाए के बलदा एकमई कर देना चाही, एकर ले ए फायदा होही के नान नान अनाथ लइका मनला जिहां दाई-ददा मिल जाही उहें सियान मनला अपन बेरा पहवाए के साधन के रूप म लइका.
-तोर गोठ तो वाजिब जनावत हे संगी दूनों किसम के लोगन ल एक-दूसर के सहारा मिल जाही.
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-पर्यावरण दिवस अवइया हे जी भैरा.. ए बछर तैं ह के ठन पौधा लगाके वोकर जोखा करबे?
-पौधा तो मैं एके ठन बोथौं जी कोंदा, फेर हमर तीर-तखार म जतका रूख-राई हे सबोच के जोखा-संवागा करथौं अउ बारों महीना करथौं.. हमन नेता थोरे अन जी तेमा फोटू खिंचवाए बर एक ठन पौधा लगा के ओमा बिन पानी डारे मरे बर छोड़ देबो.
-सही आय संगी.. हमर-तुंहरे मन कस किसनहा मन के सेती ही पेड़ पौधा लगथे.. ओ मन बाॅंचथें अउ फरथे-फूलथे, नइते बाकी मन तो एसी कुरिया म बइठ के प्लास्टिक अउ पॉलीथीन ल बगराए म मगन रहिथें अउ बछर भर म एक दिन एक ठन पौधा ल धर के जाथें अउ पंद्रा झन जुरिया के फोटू खिंचवाथें बस.
-भइगे पर्यावरण संरक्षण अउ बढ़ोत्तरी के नॉव म अइसनेच ढोंग चलत हे संगी, तभो ले अखबार वाले मन अइसने देखावटी मन के फोटू ल छापथें घलो.
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-ए बछर मानसून ह हमर छत्तीसगढ़ म जल्दी आवत हे काहत हें जी भैरा.
-ए तो बने बात आय जी कोंदा.. ए बछर बरखा घलो बने हेलमेल होही कहिके वैज्ञानिक मन आरो करावत हें.
-हव जी प्रकृति तो अपन मया-दुलार ल बनेच देथे, बस हमीं मन ओकर बने गढ़न के जोखा सकेला अउ उपयोग नइ कर पावन, तेकर सेती कभू सुक्खा ते कभू पनिया दुकाल के अभेरा म पर जाथन.
-ठउका कहे संगी.. अभी तक हमन बरखा के पानी ल पूरा सकेले के जोखा घलो नइ कर पाए हन. एकरे सेती जम्मो पानी नदिया नरवा ले बोहावत समुंदर म बोहा जाथे.
-सही आय.. अभी घलो इहाँ के नदिया नरवा मन म कतकों जगा छोटे छोटे स्टाप डेम के जरूरत जनाथे, ठउका अइसने रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के घलो सही मायने म उपयोग नइ दिखय.
-हव जी.. इहाँ के हर नदिया नरवा म पॉंच किमी के अंतराल म छोटे छोटे स्टाप डेम बनना चाही, वइसने रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम ल अनिवार्य करे जाना चाही
-होना तो चाही संगी फेर अभी तो सरकारी भवन म ही एकर ठिकाना नइए त आम लोगन के कतका सरेखा करबे.
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-ए बछर ले मैं हमर जुन्ना खेती किसानी जेला आजकाल 'जैविक खेती' कहिथे, तइसने चालू करे के गुनत हौं जी भैरा.
-मन तो मोरो होथे जी कोंदा.. पहिली ददा-बबा मन संग घुरुवा के खातू ल गाड़ा म पलोवन तेन बखत के चॉंउर के सुवाद अउ खुशबू के सुरता करथौं, त अब के ह तो भइगे दुनिया भर के बीमारी संग पेट भरई कस भर होवत हे.
-भइगे उत्पादन बढ़ाए के नॉव म रसायन के गुलाम होगे हावन, तभो न सर के न सुवाद के धरती के उत्पादकता घलो सिरावत हे.
-हव भई.. जमीन ह अब बने गतर के पानी ल घलो नइ सोख पावय, रासायनिक खातू मन के सेती कतकों किसम के मित्र कीट मन घलो मर जाथें.
-ए रसायन मन के सेती खेत-खार के संगे-संग तीर तखार के भुइयॉं मन घलो अपन मूल गुण ल बिसार डारे हे.. अब तैं बर, पीपर अउ गस्ती जइसन पेड़ के पिकरी मनला ही खाके देख ले पहिली के ह जइसे गुत्तुर जनावय, तइसे अब लागबे नइ करय.
-सिरतोन आय संगी.. रासायनिक खेती ह चारों मुड़ा ले चौपट कर डारे हे, अब हर किसान ल जैविक खेती डहार लहुटे बर लागही.
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-हमर खान-पान, रहन-सहन अउ संगति के असर होथे नहीं जी भैरा?
-जरूर होथे जी कोंदा, तभे तो हमर पुरखा मन हाना गढ़े रिहिन हें- जइसे खाबे अन्न, तइसे बनही मन.. अउ जइसे करबे संगति, तइसनेच होही तोर गति।
-महूं ल ए सब ह वाजिब जनाथे जी संगी.. अभी एक झन पुलिस वाले ल देखत रेहेंव, ओकर गोठ म गारी-गुफ्तार ह सहज कस जनाथे।
-जनाबेच करही, जिनगी भर अपराधी मन के आगू-पाछू भगई संग उंकर संग गोठ-बात के असर तो दिखबेच करही. एक झन प्रायमरी स्कूल के गुरुजी हे वो ह जम्मो लोगन ल पढ़इया लइका बरोबर अउ अपनआप ल दुनिया के सबले बड़े ज्ञानी बरोबर समझथे, वोकर व्यवहार म ए सबो ह दिखथे घलो।
-हव जी.. वइसने एक झन जानवर के डॉक्टर ल घलो देखे हौं.. वो ह जब गोठियाथे त मुड़पेलवा बरोबर.. जइसे माल-मत्ता मन बरपेली हुमेले असन करत रहिथे ना.. ठउका उहू ह वइसने कस जनाथे, अपन अनीत रइही तभो घेक्खर बानी के मुड़पेलवा असन करबेच करथे।
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-जहाँ घुड़ुर-घाड़र के दिन आइस तहाँ ले गाज गिरे के खबर आय लगथे जी भैरा.
-सिरतोन आय जी कोंदा.. अब कालेच देख ले, मोहला अउ कवर्धा के रेंगाखार ले गाज गिरे के खबर आइसे, तेमा के रेंगाखार म तो एक झन ह तुरते मरगे, मोहला के कोरलदंड नर्सरी म घलो 15 झन मजदूर मन घायल होगें.
-ए गाज गिरे वाले घटना म तैं एक चीज ल चेत करे हावस संगी.. दूनों जगा के लोगन आंधी पानी ले बॉंचे खातिर पेड़ के छॉंव म लुकाए रिहिन हें.
-हां.. इहीच ह तो गड़बड़ होय हे.. जब कभू लउकना चमकना, गरजना संग पानी गिरथे त कभू भी पेड़ के छॉंव म नइ ओधना चाही, काबर ते पेड़ पौधा अउ लोहा के खंभा आदि मन आकाशीय बिजली जेला हमन गाज कहिथन, तेला अपन डहार आकर्षित करथे.. अच्छा हे के अइसन बेरा म हम कहूँ भॉंठा या खेत के बीच म हावन, त उही जगा चुरूमुरू होके कलेचुप बइठ जावन.
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-हमर इहाँ छट्ठी म छेवरहीन महतारी ल मुनगा बरी के साग खवाए के परंपरा हावय तेकर महत्व ल जानथस नहीं जी भैरा?
-जानबे कइसे नहीं जी कोंदा.. मुनगा म भरपूर मात्रा म विटामिन अउ पोषण तत्व होथे जे ह छेवरहीन महतारी ल जल्दी तंदुरुस्त करे म सहायक होथे.
-ठउका कहे संगी.. जइसे उरई के जड़ ल डबका के कॉंके पियाय के महत्व होथे ठउका वइसने मुनगा खवाए के घलो होथे.. अभी मुनगा के इही पुष्टई वाले महत्व ल समझ के लइका मन के कुपोषण ल दुरिहाय बर बस्तर के महिला एवं बाल विकास विभाग ह कुपोषित लइका के घर के संगे-संग आंगनबाड़ी मन म मुनगा पेड़ लगाए अउ ओकर साग खवाए के उदिम करे के निर्णय लिए हे.
-ए तो बने बात आय संगी.. मुनगा के फर के संगे-संग ओकर फूल अउ पाना ह घलो जबर पुष्टई के होथे एकरो मन के उपयोग लइका मन के जेवन संग करे जा सकथे.. कुपोषण के खिलाफ हथियार बनाए जा सकथे
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-आज तोर संगवारी मन के कुर्बानी तिहार आय जी भैरा.. तहूं वोकर मन संग संघरबे नहीं?
-ककरो परब-तिहार म संघरना अलग बात आय जी कोंदा, फेर जिहां तक कुर्बानी या पूजवन के बात हे, त ए तो हमरो मन म चलथे.. कोनो बदना के नॉव म करथे त कोनो अउ कुछू के नॉव म.
-हव जी ए तो सही आय.. अइसन मामला म कोनो एक वर्ग ऊपर अॅंगरी उठाना सही नोहय.. अब हमरे गाँव के बात ल देख ले.. बोहरही मेला सब म अपन अपन बोकरा ल चॉंउर चबवा के कइसे ओसरी-पारी खड़े रहिथें!
-हव जी.. एक-दू पइत सामाजिक संगठन के लोगन रैली निकाल के पूजवन के परंपरा ल सिरवाय बर अरजी-बिनती करीन, फेर कहाँ कोनो मानीन!
-नइ तो मानीन.. अब पुरखौती परंपरा ल लोगन हर्रस ले छोड़े घलो तो नइ सकय ना.
-हव गा.. फेर तोला कइसे जनाथे, तहूं तो गजब दिन ले साधना-उपासना म रेहे?
-मैं तो सात्विक पद्धति ले अपन साधना ल पूरा करे हौं संगी, अउ जेन उद्देश्य ल ले के करे हौं, वोला पाए घलो हौं.. अउ आज वोकरे आधार म कहि सकथौं, के अपन ईष्ट ल मनाए-पाए बर सिरिफ फूल-पान, नरियर के माध्यम ले पूजा करई ह सार्थक होथे.
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-ए बछर मानसून के पछुवाय के सेती हमर किसानी ह घलो पिछुवागे जी भैरा.
-सिरतोन आय जी कोंदा.. ए बछर तो प्री-मानसून जेला हमन अंकरस के बरसा कहिथन तेनो ढेरिया दे हवय भई.
-हव जी न खेत म अंकरस जोते सकेन अउ न खुर्रा बोनी कर पाएन.
-रोपा लगाए बर पहिली जेन नर्सरी बोए जाथे तेकरो तो ए बछर चेत नइ कर पाएन जी संगी.. मोला तो अब सरग भरोसा के किसानी ह जुआ खेले असन होवत जावत हे तइसे जनाथे.
-हमर असन एक फसली किसान मन बर तो जुअच आय. अपासी के कुछू साधन नइए त सरग के आसरा म बइठे रहिथन.
-हव जी.. ए मौसम के अवई-जवई ह जब ले गड़बड़ाय हे, तब ले जादा च बाय बरोबर होगे हे.
-सरकार के नीति घलो तो अनदेखना बरोबर बनथे, हमरो डहार नहर के मुड़ी-पूछी ल लमातीस त जम्मो पानी ल मार फैक्टरी मन के भोभस म भर देथे.. मानो विकास के मापदंड बस उही मन आय.. खेती किसानी ह नोहय तइसे केहे कस.
-भइगे.. लोहा लक्कड़ ल लोगन खा-पी के जी जहीं तइसे केहे कस!
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-मोबाइल म हेडफोन लगाके गोठ-बात करे अउ झकाझक गीत-संगीत सुनई ह अब अलहन हो सकथे जी भैरा.
-अच्छा.. अइसे हे का जी कोंदा?
-हव.. एकर ले कान म वायरल अटैक के खतरा हो सकथे.. अभी हमर बालीवुड के प्रसिद्ध पार्श्व गायिका अलका याग्निक ह एकरे सेती भैरी असन होगे हे.
-वाह भई..!
-अलका याग्निक ह अपन सब प्रशंसक मनला तेज संगीत अउ कान म हेडफोन लगाके सुने बर बरजत बताय हे के अभी कुछ सप्ताह पहिली वो ह हवाई जहाज ले निकलीस त जनाइस के वोला कुछू सुनावत नइए.
-वाह भई.. सोहलियत अउ मजा लेके नॉव म बाढ़त ए रकम-रकम के जिनिस मन वाजिब म अलहन बरोबर हे जी... सिरतोन म अइसन मन के उपयोग थोकिन चेतलग बानी के करना चाही.
-हव.. गायिका ह अपन प्रशंसक मनला अपन जिनगी ल फेर व्यवस्थित ढंग ले शुरू करत ले धीर धरे बर केहे हे.
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-तैं ह कवि मन म कबीर साहेब ल ही ऊँचहा आसन देथस जी भैरा.. आखिर अइसन काबर?
-पहिली बात तो ए हे जी कोंदा के मैं सिरिफ कबीर साहेब म ही जइसे कथनी तइसनेच करनी के रूप देखथौं... जबकि कतकों अइसनो कवि मनला मैं जानथौं जेकर मन के उपदेश ह सिरिफ दूसर मन खातिर रहिथे, वोकर खुद के जीवन चरित्र ल देखबे त थोथो -लोलो बरोबर जनाथे.
-अच्छा... अइसे?
-हव.. दूसर अउ महत्वपूर्ण बात ए हे जेन ह मोर हिरदे म मया घोरथे वो हे.. इही कबीर जयंती माने जेठ पुन्नी के मोला पहिली बेर पिता कहइया मोर बड़का नोनी ह ए धरती म आए रिहिसे.
-अच्छा.. अइसे?
-हव जी.. कबीर साहेब से तो मैं छात्र जीवन म उंकर रचना पढ़त रेहेंव तब ले प्रभावित रेहेंव, फेर जब मैं खुद आध्यात्मिक साधना म गेंव अउ मोर वो जम्मो महत्वपूर्ण माध्यम मन संग साक्षात होइस.. ज्ञान मिलत गिस तब ले उंकर खातिर मोर हिरदे म सम्मान के भाव अउ बाढ़त गिस.
-ले बने हे, त आज कबीर जयंती अउ तोर पिता कहाए के पहिली तिथि जेठ पुन्नी के बधाई अउ जोहार.
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-हमर देश के न्याय संहिता ह 1 जुलाई ले बलदही काहत हें जी भैरा.
-अच्छा.. न्याय संहिता माने न्याय दे के तरीका ह बलदही जी कोंदा?
-नहीं संगी.. तरीका तो पहिली असन अदालत के माध्यम ले ही दिए जाही, फेर एकर धारा अउ सजा के प्रावधान म थोकिन बदलाव रइही.
-अच्छा.. वो कइसे गढ़न के?
-जइसे पहिली हत्या के अपराध म धारा 302 दर्ज होवय, अब ए ह धारा 103 के रूप म दर्ज होही, अइसने अउ कतकों अकन धारा मन म बदलाव करे गे हवय. अब कोनो कारण ले तोला तुरते थाना जाके एफआईआर कराए म अड़चन आवत हे त तैं डिजिटल तरीका ले माने ई-एफआईआर करवा सकथस अउ फेर तीन दिन या निर्धारित तिथि के भीतर संबंधित थाना म जाके अपन पहचान अउ हस्ताक्षर ल सत्यापित करवा सकथस.
-ए तो बने बात आय संगी.
-हव जी.. अब छोटे अपराध म लिप्त आरोपी मनला सुधरे के अवसर घलो दिए जाही.
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