Tuesday 30 July 2024

कोंदा भैरा के गोठ-22

कोंदा भैरा के गोठ-22

-आज के वैज्ञानिक युग म भले लोगन दैवीय आस्था अउ चमत्कार ल कमती पतियाथें, तभो एला साक्षात देखे जा सकथे जी भैरा.
   -ए बात ल तो महूं आकब करे हौं जी कोंदा.. कतकों अइसन मंदिर देवाला अउ सिद्ध स्थल हे, जिहां लोगन जाथें अउ श्रद्धा के फल पाथें तब तो पतियाए बर लागथेच.
   -हव जी अइसने सक्ती जिला के जैजैपुर विकासखण्ड म कैथा नॉव के गाँव हे जिहां शेषनाग धारी भगवान शिव के मंदिर हे, एला बिरतिया बबा मंदिर घलो कहिथें. मान्यता हे के ए मंदिर म पूजा करे अउ परसाद खाए ले कइसनो जहरीला साॅंप के जहर ह उतर जाथे.
   -महूं अपन एक संगी ले इहाँ के महिमा सुने रेहेंव संगी.. वो बतावत रिहिसे के बिरतिया बबा मंदिर के प्रभाव के सेती ए गाँव वाले मनला कभू सॉंप बिच्छी नइ चाबय.
   -सही आय.. आने गाँव के मन घलो सॉंप के चाबे म कैथा गाँव जाथें अउ उहाँ के सरहद म प्रवेश करते माटी ल खवा देथें.. वो गाँव के माटी के खाए ले ही सॉंप के जहर उतर जाथे.
   -हव जी..नाग देवता के ए जगा बिराजे अउ आशीष दे के संबंध म बड़का कहानी बताथें... जिहाँ हर बछर नागपंचमी के दिन जबर मेला भराथे.
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-अभी हमर इहाँ ए देखे म आवत हे जी भैरा के कोनो मनखे कहूँ धरम परिवर्तन कर लेथे त वोकर गाँव वाले मन वो मनखे के मरे के बाद वोकर मृत देंह ल अपन गाँव म अंतिम संस्कार करे ले मना करथें.
   -हव जी कोंदा अभी बस्तर क्षेत्र म अइसन घटना बनेच देखे म आवत हे.. कोनो कोनो गाँव म तो अइसन घटना के चलत जबर मार-काट घलो देखे म आवत हे.
   -हव जी.. अइसन घटना के संबंध म अभी बिलासपुर हाईकोर्ट ह अपन निर्णय दिए हे के वो मरे मनखे ल अपन जन्मभूमि वाले गाँव म अंतिम संस्कार करे के संवैधानिक अधिकार होथे. हमर देश के संविधान के अनुच्छेद 21 म ए बात के स्पष्ट उल्लेख हे के मनखे ल सम्मान के साथ जीए के जेन अधिकार हे, वो ह वोकर मरे के बाद घलो लागू रहिथे, तेकर सेती वोकर मृत शरीर के अंतिम संस्कार वोकर गाँव म करे ले कोनो नइ रोक सकय.
   -अच्छा.. बने बात तो ए होही जी संगी के हमन मरे मनखे के अंतिम संस्कार खातिर झंझट करे के बलदा कुछू अइसन रद्दा निकालन तेमा लोगन ल धर्म परिवर्तन करे के जरूरते झन परय.. वो अपन मूल धर्म म ही मगन राहय.
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-अभी छत्तीसगढ़ सरकार ह अयोध्या जाके भगवान राम के दरस सेवा कर के आए हे जी भैरा.
   -ए तो निक बात आय जी कोंदा.. हमर मन के तो वोकर संग ममा-भॉंचा के नता हे, अइसन म दरस सेवा, मया-दुलार करना ही चाही.. फेर माता शबरी के धाम के नॉव म शिवरीनारायण के बोइर आदि उहाँ भेंट करे गिस तेने ह मोला थोरिक अनफभिक जनाइस.
   -अइसे काबर? 
   -मोला लागथे के हमर इहाँ के इतिहास लेखन म थोरिक अतिशयोक्ति के भाव चढ़गे हे. रामायण म उल्लेखित माता शबरी के ठउर तो कर्नाटक राज्य के पंपा नदिया के तीर म हे, जिहां राम ह भाई लक्ष्मण संग सीताहरण के बाद गे रिहिसे. हमर छत्तीसगढ़ म तो माता सीता ह इहाँ ले उहाँ तक राम अउ लक्ष्मण के संगे म रेहे हे. महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिला के पंचवटी ले सीताहरण होए रिहिसे, त फेर तहीं बता सीताहरण के बाद राम लक्ष्मण ह वापस छत्तीसगढ़ आए रिहिसे ते आगू सुग्रीव के राज डहार गे रिहिसे? 
   -सही आय जी महूं ल कतकों अकन बात ह तर्क संगत नइ जनावय, अइसने वाल्मीकि आश्रम के बात घलो हे, हमन तुरतुरिया ल कहिथन, जबकि असल म ए ह उत्तर प्रदेश म हे.
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-संघर्षशील जनकवि अउ लेखक मन खातिर आम लोगन के मन म सम्मान के भाव तो होबेच करथे जी भैरा फेर चोरी चकारी कर के जिनगी जीयइया मन के मन म घलो उंकर मन खातिर श्रद्धा के भाव देखे म आ जाथे.
   -जनता के दुख-पीरा अउ अधिकार ल अपन लेखनी के माध्यम ले लोगन तक अमराने वाला मन बर तो सबके मन म सम्मान के भाव होबेच करही जी कोंदा ए तो स्वाभाविक बात आय. 
   -हव जी अभी एदे बीते 14 जुलाई के महाराष्ट्र के रायगढ़ म एक चोर ह मराठी के मयारुक कवि अउ लेखक रहे नारायण सुर्वे जी के घर ले चोरी कर के कुछ जिनिस मनला लेगे रिहिसे, दूसर दिन जब वोला गम मिलिस के वो तो कवि सुर्वे जी के घर खुसरगे रिहिसे त वो चोर ह वापस सबो जिनिस ल वोकर घर म मढ़ा के आगे अउ संग म एक पाती लिख के उहाँ छोड़ दे रिहिसे जेमा लिखाय रिहिसे के महान लेखक के घर म चोरी करे खातिर वो ह शर्मिंदा हे.
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-पौधारोपण के नॉव म फोटो खिंचवइया मन के भीड़ म अभी अइसनो देखे म आय हे जी भैरा के लोगन अपन रिश्ता नता मन के नॉव म पौधा लगा के वोकर सग रिश्तादार बरोबर ही देखभाल करत हें.
   -होना तो अइसने चाही, फेर जादा करके 'बो दे गहूं अउ चल दे कहूँ' कस उदिम चलत हे जी कोंदा.
   -फेर दुरुग जिला के पीसेगाँव म जतन ल सउंहे देख सकथस. 31 जुलाई 2011 ले इहाँ पौधारोपण ल अभियान के रूप म चलावत हें. गाँव के 55 बछर के कुमारी बाई ह अपन पति के नॉव म एक लीम के पौधा बोए हे, वो ह वो पौधा ल ही अपन पति मान के वोकर सेवा जतन करथे, वो ह रोज लीम पौधा के आरती उतारथे, वोला पोटार के मुंहाचाही करथे अउ सुख-दुख जम्मो ल बताथे.
   -वाह भई ए तो वाजिब म अद्भुत आय. 
   -हव जी अइसने अउ कतकों लोगन हें गाँव म जे मन अपन दाई, ददा या आने कुटुंब के नॉव म पौधा लगाए हें, अउ वोकर देखरेख ल वइसने करत हें. ए गाँव के मुक्ति धाम म बांस ल जलाए बर प्रतिबंध हे, वो मन बांस के उपयोग पौधा मन के घेरा बना के रक्षा करे बर करथें. अब तो गाँव म लोगन जनमदिन या बिहाव बछर जइसन बेरा म पौधा भेंट करे के परंपरा बना डारे हें.
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-छत्तीसगढ़ राज्य आन्दोलन म वइसे तो हजारों लोगन के भागीदारी रहे जी भैरा.. फेर मोला लागथे के एकर खातिर जनजागरण करे म साहित्यकार मन के भूमिका सबले जादा पोठ रहे हे.
   -सही आय जी कोंदा.. राजनीति ले जुड़े लोगन तो चुनाव उनाव ल लकठियावत देखय त अलग छत्तीसगढ़ राज्य के गोठ कर देवत रिहिन हें, फेर साहित्यकार मन के तो बारोंमासी इहिच बुता राहय.. अउ ते अउ वो मन तो कवि सम्मेलन अउ साहित्य सम्मेलन के मंच म घलो छत्तीसगढ़ राज्य के गोठ करंय.
   -हव जी सही आय, फेर अभी एक अइसे मनखे हे संगी जे ह अपन नॉव के संग छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के भगीरथ लिखथे त मोला बड़ा ताज्जुब लागथे के हमन तो 28 जनवरी 1956 म राजनांदगाँव म डॉ. खूबचंद बघेल के चिंतन मनन ले होय 'छत्तीसगढ़ी महासभा' के बइठका अउ गठन ले ही राज्य आन्दोलन के शुरुआत मानथन, त ए नवा भगीरथ कहाँ ले जनम गे? 
   -जे मनखे के 28 जनवरी 1956 के जनम नइ होय रिहिस होही वो ह ए आन्दोलन/निर्माण के भगीरथ कइसे हो सकथे.. फेर हमर इहाँ तो अइसने नाखून कटा के शहीद के दर्जा पाए के उदिम करइया मन के संख्या जादा हावय ना!
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-सावन सोम्मारी के जोहार जी भैरा.. यहा कहाँ ले फूल-पान धर के आवत हस जी? 
   - जोहार जी कोंदा.. खोरवा मंडल के बारी के ताय.. बने घमघम ले फूले रिहिसे त आज महादेव म चढ़ा के पूजा करहूं गुन के टोर के ले आएंव जी.
   -अच्छा.. मतलब चोरा के लानत हस? भगवान के पूजा ल चोराय फूल-पान म करबे त वोकर जम्मो पुन्न परसाद अउ आशीर्वाद ल तैं पोगरी कहाँ ले पाबे संगी? 
   -कइसे गोठियाथस जी? 
   -बने गोठियाथौं जी.. अरे भई जेकर बारी के फूल-पान ल चोराय हस तेन ह आधा पुन्न परसाद ल नइ पाही जी? हाँ भई तैं कहूँ ए फूल-पान ल पइसा म बिसा के लाने रहिते या बारी वाले जगा ले अनुमति ले के टोरे रहितेस त भले पूजा के फल ल चुकता पातेस.
   -टार बुजा ल.. त अब मुंदरहा ले एकर-वोकर अंगना-बारी म अग्सी धर के जाथौं तेला छोड़े बर लागही.
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-गुरु पुन्नी परब के जोहार जी भैरा.
   -जोहार संगी कोंदा.
   -तहूं ह कान-उन फूंकवा डारे हावस नहीं जी? 
   -मैं ह पाठ-पिढ़वा वाले औं जी.. कोरी भर बछर होगे हे हरेली के दिन बइगा बबा जगा पाठ-पिढ़वा ले रेहेंव तब ले वोकरे बताए मुताबिक जप-तप चलत रहिथे.
   -महूं गुनत हौं काकरो जगा कान फूंकवा लेतेंव.. मंडल पारा के सियान ह काहत रिहिसे बिन कान फूंकवाय तप-जप साधना के पूरा फल नइ मिलय कहिके.
   -सिरतोन काहत रिहिसे सियान ह.. जम्मो लोगन ल विधिवत गुरु जरूर बनाना चाही, तभे हमर आध्यात्मिक साधना के फल ह पूरा मिलथे, साधना ह सफल होथे.. गुनिक मन बताथें के फल तो हमर अपन ईष्ट ही ह देथे, फेर गुरु के माध्यम ले देथे कहिथें.
   -अच्छा.. तब तो महूं ह गुरु बनाइच लेथौं जी, फेर का कोनो विशेष पदवी म बिराजे मनखे ल ही गुरु बनाए म ही साधना ह सिध परथे.
   -अइसन नइहे संगी.. जेन कोनो सिद्ध लोगन ल तैं जानत होबे, जेकर ऊपर तैं भरोसा करत होबे.. वोला गुरु बना ले.. जेन ह तोला सत् साधना के रद्दा धरा देवय.. उही ह तोर बर सतगुरु आय.
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-बरखा के दिन बादर आए के संग सॉंप चाबे ले लोगन के मरे के खबर घलो आए लगे हे जी भैरा.
   -हव जी कोंदा.. जंगल-झाड़ी वाले क्षेत्र मन ले हर बछर अइसन खबर आवत रहिथे.
   -सही आय जी.. चिकित्सा विज्ञानी मन के संगे-संग कतकों समाजसेवी किसम के लोगन झाड़फूंक म बेरा पहवाए के बलदा अपन तीर के अस्पताल म जाए के अपील करत रहिथें तभो लोगन एकर अनदेखी करथें अउ मौत के मुंह म समा जाथें.
   -अभी एक झन जानकर ह काहत रिहिसे के ए बछर पानी कम गिरे के सेती उमस बाढ़गे हवय, तेकर सेती सॉंप मन गरमी ले हलाकान होके अपन बिला ले निकल के तीर-तखार म थोरिक जादच किंजरत-बुलत हावंय, एकरे सेती ए बछर सॉंप चाबे के घटना जादा देखे म आवत हे.
    -हव जी पेपर म रोज अइसन खबर पढ़े म आवत हे.
   -विशेषज्ञ मन के कहना हे के अइसन क्षेत्र के लोगन मनला मच्छरदानी लगा के ही सूतना चाही, आजकाल प्रशिक्षित सॉंप धरइया मन घलो सबो डहार रेहे लगे हें, उंकरो मन के सेवा लेवत रहना चाही, अइसन करे ले सॉंप के चाबे ले बहुत कुछ बचाव हो सकथे.
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-देख जी भैरा हम कांग्रेस भाजपा के झंझट म कभू नइ राहन, फेर जब इहाँ के अस्मिता अउ आस्था ले जुड़े बात आथे, त वोला बिन कहे राहन घलो नहीं.
   -हव जी कोंदा लोगन ल अइसनेच होना चाही, फेर का बात आय तेला बताबे तब तो जी? 
   -काली विधानसभा म नेता प्रतिपक्ष ह भॉंचा राम खातिर शिवरीनारायण के बोइर कहिके अयोध्या लेगे रिहिसे तेन कहाँ ले आइस कहिके सरकार जगा पूछे रिहिसे.. महूं ह ए बात ल जानना चाहथौं संगी के अइसन बरखा के दिन बादर म शिवरीनारायण म कब ले बोइर फरे ले धर लिस.. हमन तो कभू बाप-पुरखा म अइसन नइ सुने रेहेन? 
   -हो सकथे जी सरकार ह बोइर खोइला लेगे रिहिस होही, जइसे हमन ह खोइला बोइर ह ए चम्मास के सीजन म बने कोंवर-कोंवर भाथे कहिके खाथन नहीं, तइसने भगवान घलो खाही कहिके! 
   -त एला फोरिया के गोठियाना चाही ना.. खोइला बोइर लेगे रेहेन कहिके. वइसने मोला ए मौसम म शिवरीनारायण के सीताफल लेगे के बात ह घलो टोटा म उतरे असन नइ जनावत हे संगी!
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-अभी चारों मुड़ा के सरकार मन फोकट म चॉंउर, फोकट म बिजली अउ फोकटेच म फलाना-ढेकाना के चरित्तर म बूड़े हें जी भैरा.
    -हव जी कोंदा.. फोकट म झोंक-झोंक के लोगन कोढ़िया जॉंगरचोट्टा बनत जावत हें, फेर मोला ए ह निक नइ जनावय संगी.. अइसन करे ले कोनो भी देश के गरीबी ल नइ सिरवाय जाय सकय. 
   -ठउका कहे संगी.. मैं कतकों झन फोकट के चॉंउर झोकइया मनला वो चॉंउर ल बेच के जुआ-चित्ती अउ मंद-मउहा म बूड़े देखे हौं.
   -महूं ह अइसन मनला देखे हौं संगी.. श्रम शक्ति के जब तक रचनात्मक अउ न्यायसंगत उपयोग नइ होही तब तक गरीबी अउ भूखमरी दुरिहाय के बात ह बिरथा हे.
    -हव जी दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति अउ रंगभेद आन्दोलन के प्रमुख रहे नेल्सन मंडेला ह एक पइत केहे रिहिसे- गरीबी ल न्याय दे के ही सिरवाए जा सकथे, दान दे के नहीं.
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-पेड़ पौधा मन हमर जिनगी के संगे-संग हमर संस्कृति के घलो महत्वपूर्ण अंग आय जी भैरा.
   -हव आय न जी कोंदा.. तभे तो हमन आने आने पेड़ म आने आने देवी या देवता के बासा या कहिन निवास घलो मानथन अउ उंकर मान-सम्मान घलो करथन. 
   -हव जी.. अब डूमर के पेड़ ल ही देख लेवौ एकर बर-बिहाव म कतका महात्तम हे.. मड़वा छाए ले लेके मंगरोहन बनाय अउ दुल्हा दुल्हीन के तेल-हरदी चघे के बेरा बइठे बर बिन खीला के बनाय पिड़हा म घलो एकरेच उपयोग होथे.
   -हव जी डूमर के डारा-पाना, लकड़ी सब के उपयोग बिहाव म होथे.
   -अइसे लोक मान्यता हे जी संगी के डूमर के पेड़ म दुल्हा देव अउ दुल्हीन देवी के बासा होथे, तेकरे सेती बर-बिहाव म इंकर आशीष छाहित राहय कहिके डूमर के उपयोग करे जाथे.
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-हरेली जोहार जी भैरा.
   -जोहार संगी कोंदा.. ए बछर पानी के पछुवाए के सेती बियासी रोपाई सबो च पछुवागे हे जी नइते आने बखत सबो किसानी के बुता उरक जावय त बने हरहिंछा जम्मो नॉंगर-बक्खर मनला धो-पोंछ के पूजा पैलगी करन त निक जनावय.
   -हव जी सिरतोन कहे.. बइगा के नेवरिया चेला बनइया मन के उछाह घलो देखते बनय. अपन-अपन ले पाठ-पिढ़वा ले बर सब उत्साहित रहंय.
   -मैं तो मंतर-जंतर के फेर म कभू नइ परेंव, तभो अधरतिहा बेरा ए मन बछर भर म एक पइत अपन जम्मो मंत्र के पाठ करंय, चेला-गुरु बनावंय तेमा संघर जावत रेहेंव.
   -एक-दू पइत महूं ह संघरे हावौं संगी.. बुढ़वा बइगा ह बतावय- आजे के दिन भगवान‌ भोलेनाथ ह अपन तिरछुल म बंधाय सिंघिन ल फूंक के मंत्र शक्ति ल परगट करे रिहिसे, तेकरे सेती इहू मन आजे के दिन अपन मंत्र ल बछर भर म फेर जगाथें.. वोकर पुनर्पाठ करथें अउ संग म नेवरिया सीखइया मनला चेला बना के पाठ-पिढ़वा देथें.
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-अभी बुंदेलखंड के हरदौल अखाड़ा के गुरु रामचंद्र पाठक जी के सरग सिधारे म उंकर चेला मन अपन गुरु के शव के आगू म तलवार, फरसा, चक्र जइसन अखाड़ा ले संबंधित जिनिस मन के प्रदर्शन कर के श्रद्धांजलि अर्पित करीन हें जी भैरा.
   -अपन गुरु खातिर श्रद्धांजलि अर्पित करे के सबके अपन परंपरा अउ आस्था होथे जी कोंदा.. अब हमरे इहाँ देख लेना लोककवि अउ परमानंद भजन मंडली के गुरु रहे बद्रीविशाल यदु परमानंद जी के शवयात्रा के बेरा म वोकर भजन मंडली के जम्मो चेला मन परमानंद जी के ही लिखे हुए भजन मनला गावत बजावत घर ले रामकुंड के आमा तरिया तक लेग के उनला श्रद्धांजलि दिए रिहिन हें ना.
   -हव जी.. अइसने महूं ह शब्दभेदी बाण चलइया अउ करमा सम्राट के उपाधि ले सम्मानित कोदूराम वर्मा जी के अंतिम यात्रा म घलो देखे रेहे हौं.. उंकर गाँव भिभौरी म करमा नृत्य मंडली के चेला मन 'हाय रे हाय रे सुवा उड़ागे ना, सोन के पिंजरा खाली होगे सुवा उड़ागे ना.. ' करमा गीत गावत नाचत उनला श्रद्धांजलि दिए रिहिन हें.

Friday 19 July 2024

सवनाही जोहार...

सवनाही जोहार.. 
     चौमसहा बरखा के आए के संग एकर परघनी करे अउ संग म अवइया रोग-राई आदि मन ले बॉंचे के जोखा होय लगथे. असाढ़ महीना के अमावस के जिहां जुड़वास या कहिन माता पहुंचनी मनाए जाथे, ठउका अइसने असाढ़ महीना के आखिरी इतवार के 'सवनाही परब' मनाए जाथे.
   सवनाही के शाब्दिक अर्थ होथे- सावन आही.. अब सावन आही त वोकर जोखा सरेखा घलो तो जरूरी हे. सवनाही ल हमर गाँव म असाढ़ के आखिरी इतवार के ही मनाए जाथे, कोनो कोनो गाँव म आने दिन घलो मना लेथें. एकर मनाए के परंपरा म घलो आने आने गाँव म थोक-बहुत अंतर देखे म आथे. जइसे कोनो गाँव के सरहद म करिया कुकरी के मुड़ म सेंदुर बुक के भूत-प्रेत रकसा आदि के भेंट खातिर ढील दिए जाथे, ए चलन ल हमन अपन गाँव म नइ देखे रेहेन. हमर गाँव म अइसन‌ तंत्र मंत्र रोग-राई वाले पूजा मनला घलो हमन हूम-धूप नरियर के माध्यम ले सात्विक विधि ले ही होवत देखे हावन.
   सवनाही परब के दिन बिहनिया ले ही सब जोखा सरेखा शुरू हो जाथे. बइगा ह मुंदरहा ले ही गाँव के अउ आने सियान मन संग मिल के ठाकुर देव, मेड़ो देव के संग म आने जम्मो ग्राम्य देवता अउ खेत-खार म बिराजित देवता मन के पूजा सुमरनी कर उनला मनाए के उदिम म लग जाथे, त दाई-माई मन घर के बाहरी भिथिया मन म गोबर के आदिम मनखे के चित्र या फेर बेंदरा आदि के छापा बनाथें. 
   हमर ग्रामीण संस्कृति म हनुमान जी ल लोक रक्षक देवता के रूप म प्रतिष्ठा प्राप्त हे, एकरे सेती सवनाही के बेरा म वोकरे प्रतीक स्वरूप बेंदरा के छापा भिथिया म बनाए जाथे. जइसे माता के रखवार के रूप म हनुमान जी ल लाली लंगुरवा कहि के जस गायन आदि म सुमरे जाथे ठउका वइसने सवनाही म घर के भिथिया म उंकर प्रतीक स्वरूप बेंदरा के रूप म अंकित करे जाथे.
   सवनाही म भिथिया म गोबर ले जेन छापा बनाए जाथे एकर वैज्ञानिक महत्व घलो हे. सावन भादो के गहिर बरखा म कतकों किसम के रोग-राई वाले जीवाणु मन जनमथें, जे मन घर म खुसरे के प्रयास करथे, अइसन बेरा म वो मन गोबर के बने छापा डहार आकर्षित होथे अउ उही म चटक के मर जाथे.
    ए दिन घर के सियान ह गरुवा मन के कोठा म मिंयार म बंधाय नरियर ल हेर के नवा नरियर ल नवा कपड़ा म लपेट के बॉंधथे. मालमत्ता मन के सुरक्षा खातिर कोठा म बंधाय नरियर ल बछर म एक बेर बलदे जाथे.
   सवनाही परब जेन दिन मनाए जाथे, तेकर पहिलीच गाँव म कोतवाल ह हॉंका पार दे रहिथे के फलाना दिन गाँव म सवनाही मनाए जाही, तेकर सेती कोनोच मनखे न तो गाँव ले बाहिर जावय अउ न कोनो किसम के बुता-काम करय. कहे जाय त ए दिन अनिवार्य रूप ले छुट्टी घोषित होथे. कहूँ कोनो मनखे ए आदेश के अनदेखा करही, त वोला डांड़-बोड़ी के भागीदार बनना परथे.
   इतवार के गरुवा ढीलाते पहाटिया ह गाँव के सबो मवेशी मनला खैरखा डांड म सकेल के ठोक देथे, तेकर पाछू मवेशी मन के गोंसइया मन परसा पान म कोड़हा के बने अंगाकर रोटी के संग जल धर के आथे अउ राउत संग बइगा ल देथे, जेला धर के बइगा अउ राउत मवेशी मन के संग गाँव के उत्ती मुड़ा गाँव के सियार म जाथे अउ सवनाही देवी के पूजा करथे. पूजा करे के पाछू वो कोड़हा के अंगाकर रोटी ल सवनाही देवी ल समर्पित करे जाथे, बॉंच जथे तेन अंगाकर ल गरुवा मनला खवा दिए जाथे. बइगा लेगे जल ल अभिमंत्रित कर के किसान मनला देथे, जेला किसान मन अपन अपन खेत म जाके छींच देथें. मान्यता हे के अभिमंत्रित जल ल छींचे म खेत म रोग-राई नइ संचरय.
   पूजा खातिर बइगा ह जेन पद्धति के माध्यम ले सिद्धी पाए रहिथे उही माध्यम के प्रयोग करथे. हमर गाँव म दू अलग अलग बइगा रिहिन हें, एक ल हमन डोंगहार बबा काहन, जेन केंवट समाज के रिहिसे, त दूसर ह ब्राह्मण समाज के रिहिसे, जेला मदन महराज काहन. एकरे सेती दूनों के तांत्रिक क्रिया म थोकिन अंतर देखे म आवय. फेर एक बात संहराय के लाइक रिहिसे के ए दूनों बइगा मन म कोनो बात ल लेके मन मुटाव होवत हमन कभू नइ देखेन, भलुक दूनों एक दूसर के सम्मान अउ सहयोग करयं अउ अलग अलग बेरा म अलग अलग नेंग म संघरंय.
   वइसे तो मोर पढ़ई लिखई ह जादा कर के शहर म होय हे, तभो अइसन परब या प्रसंग आवय त मैं गाँव पहुँच जावत रेहेंव अउ बइगा के अगुवाई म होवत अइसन प्रसंग म सियान मन संग संघर जावत रेहेंव. मोला सुरता हे हमन पूजा खातिर रखे थारी, लोटा, गिलास अउ छेना म माढ़े आगी के अंगरा मनला ही धरे के काम करन. सवनाही के परसाद ल बाहिर म ही खाए के नियम हे. एला धर के घर नइ लेगे जाय. इही ह सियान मन संग रात भर किंजरे के हमर मन के असली लालच राहय. 
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811

Tuesday 9 July 2024

कोंदा भैरा के गोठ-21

कोंदा भैरा के गोठ-21

-अब के पढ़इया लइका मनला छत्तीसगढ़ी भाखा अउ संस्कृति के संग छत्तीसगढ़ी साहित्य अउ साहित्यकार मन के जानबा रखना जरूरी होगे हे जी भैरा.
   -हव जी कोंदा.. छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग आदि संस्थान मन के परीक्षा म छत्तीसगढ़ी भाषा के अंतर्गत एकर मन ले जुड़े प्रश्न पूछे जाथे. अभी 24 जून ले शुरू होय पीएससी के परीक्षा म ए बछर मयारुक असन प्रश्न पूछे हें.
   -अइसे.. ए बछर का-का पूछे हे? 
   -वइसे तो अबड़ अकन प्रश्न पूछे गे हवय, दू-चार मन ल ओरियावत हौं-
'कल के बासी आज के भात, अपन घर म का के लाज' ए लोकोक्ति के आशय पूछे रिहिसे.
'खुसरा चिरई के बिहाव' काकर रचना आय? 
'छत्तीसगढ़ी भाषा के उद्विकास' के रचनाकार के नाम? 
'मयारु माटी' पत्रिका के संपादक के नाम का हे? 
'छत्तीसगढ़ी गीत के राजा' कोन गीत ल माने जाथे? 
'छत्तीसगढ़ी बोली का व्याकरण' काकर रचना आय?
🌹
-भाखा-संस्कृति ल हमर चिन्हारी के दूनों अॉंखी बताथें जी भैरा.
   -सिरतो आय जी कोंदा.. इही दूनों के माध्यम ले ही कोनो भी देश, राज या क्षेत्र के चिन्हारी होथे. हमर छत्तीसगढ़ ल अलग राज के जेन दर्जा मिले हे, तेकरो मापदंड हमर भाखा अउ संस्कृति रेहे हे.
    -तोर कहना वाजिब आय संगी, फेर हमन ल भाखा अउ संस्कृति के नॉव म भटकाय अउ भरमाय के खेल घलो अबड़ होय हे.
   -होय हे का.. आजो होवत हे.. अब देख ले हमर राज के माई भाखा छत्तीसगढ़ी आय, फेर एला भरम जाल म अरझा के हिंदी भाषी राज घोषित कर दिए गे हवय, ठउका अइसने आने हिंदी भाषी राज मन के संस्कृति ल हमर मन ऊपर बरपेली थोपे जावत हे.
   -सही आय संगी.. एकर बर लोगन के अॉंखी म राष्ट्रीयता नॉव के जेन अॅंधरौटी अॉंजे गे हे तेला पोंछे बर लागही, तभे लोगन जान पाहीं के छत्तीसगढ़ के तो स्वतंत्र रूप ले भाखा अउ संस्कृति हे. 
   -सही आय जी, तभे तो मैं गोहराथौं-
जब तक हमर भाखा-संस्कृति हे तभे तक आस हे, 
बिन भाखा-संस्कृति के छत्तीसगढ़िया के विनाश हे।
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-लोगन के भीतर ले मानवता धीरे-धीरे नंदावत हे जी भैरा.. अब कभू अपराध होथे त वोला रोके ल छोड़ के देखाए म जादा मगन जनाथें.
   -सही आय संगी कोंदा.. अब कतकों जगा अइसन नजारा देखे बर मिल जाथे, जिहां लोगन सामान्य मानवीय व्यवहार के घलो दर्शन नइ करंय. 
   -हव जी.. अब काली पेंड्रा गौरेला के घटना ल ही देख लेना.. 21 बछर के रंजना नॉव के कॉलेज छात्रा ल एक अतलंगी टूरा ह चाकू मार के हत्या कर दिस अउ बिन काकरो रोक-छेंक के वो जगा ले मोटरसाइकिल म बइठ के भाग गे घलो.
   -सही आय संगी.. महूं ह ए घटना के सीसीटीवी फुटेज ल समाचार म देखत रेहेंव.. वो नोनी अउ वोकर भाई अपराधी ले बचाय खातिर कतेक गोहरावत रिहिन हें, फेर एको मनखे तो उनला बचाय के उदिम करतीन! 
   -हव जी.. अतेक भीड़ भाड़ वाले जगा म दिन दहाड़े होवत घटना ल रोके के चेत कोनोच नइ करीन.. हाँ भई.. लोगन अपन-अपन मोबाइल ल हेर के वोकर विडीयो जरूर बनाइन.
   -बहुत दुर्भाग्य के बात आय संगी.. लोगन के अइसन अमानवीय चरित्तर कतकों जगा अब देखे म आवत हे, उन अपराध ल रोके ल छोड़ के वो घटना के विडीयो बनाय म मगन हो जावत हें.
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-एक पढ़े लिखे उच्च शिक्षित माईलोगिन के कहना हे जी भैरा के वो मन जब विधवा हो जाथें तभो पहिली च असन कपड़ा-लत्ता पहिनना चाही.. 
   -अच्छा जी कोंदा.. माने रंग-बिरंगा लुगरा-पोलखा? 
   -हव.. वोकर कहना हे के दशगात्र के दिन घलो वो विधवा होवइया माईलोगिन ल चकाचक रहना चाही.. वोकर कहना हे के जब हमन आज कतकों अकन जुन्ना परंपरा ल छोड़त नवा-नवा परंपरा अउ विज्ञान के आविष्कार मनला अपनावत हावन त ए मरिया-हरिया के भेद ल घलो काबर नइ मिटाना चाही? 
   -वोकर तर्क ह बने तो जनावत हावय संगी, फेर उही च पूछे रहिते के जब नोनी मन कुंवारी रहिथें, तेन बखत के पहिनावा अउ सिंगार म ही बिहाव के बाद घलो काबर नइ राहय? आखिर इहू म बदलाव करे के का जरूरत हे? आदमी जात मन के पहिनावा म अउ सिंगार म तो जादा बदलाव नइ देखे जाय, फेर माईलोगिन मन म अइसन काबर आथे? का इहू ह फोकटइहा नोहय?
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-अब के पढ़इया लइका मनला जउंहरहा बस्ता लाद के रेंगत देखबे त पहिली नेवरिया बछवा मन के घेंच म नॉंगर जोते के पहिली लदका लादय नहीं, तेकरे सुरता आथे जी भैरा.
   -सिरतोन आय जी कोंदा.. पढ़ई हमू मन करे हन भई फेर अइसन जउंहरहा बस्ता कभू लादे बर नइ लागे रिहिसे, हमन तो बस गिनती के चार ठन कापी किताब मनला झोला म धरन अउ मेंछरावत फुदक्का मारत पल्ला दौंड़त असन स्कूल चल देवत राहन.
   -हव जी.. विशेषज्ञ मन के कहना हे के भारी भरकम बस्ता लाद के कोंघरे-कोंघरे रेंगे ले लइका मन के रीढ़ के हांड़ा टेड़गा हो जाथे, एकर ले शारीरिक अउ मानसिक विकास घलो ढेरियाय असन हो जाथे.
   -होबेच करही संगी.. भारत सरकार के गाइडलाइन घलो अइसने कहिथे, फेर मोला ए सब खातिर शिक्षा विभाग के अधिकारी मन संग पुस्तक प्रकाशक मन के मेल-जोल ह जादा कारण जनाथे.
   -हो सकथे भई.. फेर एमा प्रायवेट स्कूल मन म तो अउ अति दिखथे.. कमीशन के चक्कर म कतकों किताब कापी मन बरपेली पाठ्यक्रम म संघर जाथे तइसे जनाथे.
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-बड़ दिन म भारतीय क्रिकेट टीम ह टी-20 विश्व कप ल जीते हे जी भैरा अउ इही जीत के संग कप्तान रोहित अउ विराट ह संन्यास के घोषणा घलो कर डारे हे.
   -जीत ह तो खुशी के बात आय जी कोंदा.. फेर अतेक कम उमर म रोहित अउ विराट के संन्यास ले के बात ह मोला अलकर जनावत हे.
   -अरे वाह.. अलकर काबर संगी.. एक उमर के बाद तो खेलकूद म कमी देखेच म आथे.. ए तो बने होगे के ए मन विश्व कप जीते बाद संन्यास खातिर ठउका बेरा ल चुने हे.
   -अच्छा त ए मन खेल ले संन्यास ले हवयं जी.. मैं ह हमन‌ जइसे गृहस्थ जीवन ल छोड़ के वानप्रस्थ के रद्दा धर लेथन तइसन संन्यास समझत रेहेंव.
   -हत तो बइहा कहीं के.. अरे भई ए मन अब सिरिफ टी-20 क्रिकेट म हमर देश के टीम भर ले नइ खेलय बाकी मनला खेलत रइहीं, जइसे के आईपीएल, टेस्ट अउ वनडे क्रिकेट होथे तइसन मनला.
   -ओहो.. मैं आने समझ परे रेहेंव संगी.. मोला लागथे के एकर बर संन्यास के बलदा अउ कुछू आने शब्द के प्रयोग करना चाही, काबर ते संन्यास के भाव तो गृहस्थ जीवन ल चुकता छोड़ के वैराग्य के रद्दा धर लेना होथे, फेर ए मन अइसन कहाँ करथें?
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-अब कोनो परब उत्सव म अपन संगी मनला फूल के गुलदस्ता दे के बलदा मौसमी फल अउ साग-भाजी ल बॉंस के नान्हे टोपली म सुग्घर असन सजा के उपहार के रूप म दे के चलन बाढ़त हे जी भैरा.
   -अच्छा.. जइसे काली जुवर तोर जनमदिन के बेरा म लइका मन टोपली ल सुग्घर सजा के दिए रिहिन हें तइसने.
   -हव जी हमर रायपुर के समाजसेवी संस्था ह ए नवा अउ सुग्घर उदिम ल शुरू करे हे.. उंकर कहना हे के फूल के गुलदस्ता ह झोंकत अउ फोटू खींचत भर ले बने जनाथे, फेर थोरकेच बेर म वो ह अनुपयोगी हो जाथे, जबकि मौसमी फल अउ साग-भाजी ह हर दृष्टि ले उपयोगी बने रहिथे, एकर ले पइसा के फिजूल खर्ची होय अस घलो नइ जनावय.
   -उंकर कहना वाजिब जनावत हे संगी.. एकर ले फल अउ साग-भाजी उत्पादक किसान मन के संग बॉंस के टोपली बना के अपन घर परिवार के जोखा करइया मन के रोजी रोजगार ह घलो बने चल जाही.
   -सही आय संगी.. अब महूं ह अइसन बेरा म अपन संगी संगवारी मनला फूल के गुलदस्ता दे के बलदा मौसमी फल ल सुग्घर अस टोपली म सजा के दे के टकर बनाहूं.
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-शिक्षा के अंजोर बगरे के बाद घलो लोगन अभी ले बेटा अउ बेटी म भेद करत अलहन कर डारथें जी भैरा.
   -कइसे का होगे जी कोंदा? 
   -एदे अभी मस्तुरी क्षेत्र के  गाँव किरारी ले खबर मिले हे, उहाँ के हसीन गोयल नॉव के माईलोगिन ह अपन चौबीस दिन के बेटी ल कुआँ म फेंक के मार डरिस.. वोकर कहना हे के सरलग तीन झन बेटी के होय ले घर परिवार म सम्मान नइ मिल पाही गुन के वो हाले म जनमे बेटी ल मार डरीस.. वोला असल म बेटा के चाह रिहिसे.
   -तीन झन बेटी होगे रिहिसे त का होगे.. भई हमरो तो तीन झन बेटी हे, हमूं कहूँ वोकरे असन गुन के अलहन कर परे रहितेन त आज तो मरे बिहान हो जाए रहितीस.
   -हव जी सही आय.. कतकों लोगन हें जेकर मन के तीन झन अउ वोकरो ले उपराहा बेटी हे, अउ देखत हावन के बेटी वाले मन आज के बेरा म जादा सुखी हें.
   -मैं ह खुद एकर बड़का उदाहरण हौं.. आज मोर देंह-पॉंव के हालत ल तो देखत हस.. न कहूँ आ सकौं न जा सकौं.. तभो मोर नोनी मन ही मोर सरी जोखा करत हें.. सिरतोन काहत हौं कहूँ बेटा के चक्कर म परे रहितेंव त कोन जनी वो मन अतका करतीन ते नहीं ते?
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-पश्चिम के अंधानुकरण करत एक डहार जिहां हमर इहाँ के पीढ़ी ह संयुक्त परिवार के बंधना टोर के व्यक्तिवाद के रद्दा धरत हे जी भैरा उहें स्वीडन ह अपन इहाँ दाई-बबा मनला नाती-नतनीन के देखभाल खातिर तीन महीना के सवैतनिक छुट्टी दे के नियम पास करे हे, तेमा लइका मनला महतारी-बाप के संग दाई-बबा के घलो मया-दुलार अउ संगत मिल सकय. 
   -ए तो बहुत बढ़िया बात आय जी कोंदा.. हमन संयुक्त परिवार के महत्व ल तो देखेच हावन, आज भले नवा पीढ़ी ह एकर ले छटके असन करत हे.
   -हव जी.. संयुक्त परिवार म रेहे ले लइका मनला नान्हे उमर ले ही अपन परंपरा अउ गौरव के संग इतिहास अउ घर परिवार सबके समझ आवत जाथे, उहें एकलमुंडा होके आत्मकेंद्रित होवत पश्चिम के बिखरत अउ परेशान समाज ल तो घलो देखतेच हावन.
   -सही आय.. कोनो 'डे केयर सेंटर' म पलत-बाढ़त लइका ल वो मया-दुलार अउ देखभाल नइ मिल सकय, जेन दाई-बबा के कोरा अउ दुलार म बाढ़त लइका ल  मिल पाथे.
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-ले देख ले जी भैरा.. प्रसिद्ध समाजसेवी अउ अभी हाले म राज्यसभा के सांसद बने सुधा मूर्ति जी ह पाछू तीस बछर म एको ठन लुगरा नइ बिसाय हे.. उन बताइन के उंकर बहिनी मन या नता-रिश्तादार मन जे लुगरा ल गिफ्ट के रूप म दे देथें, उहिच ल वो ह पहिरथे.
   -वाह भई.. जतका बड़का मनखे ततके बड़का सादगी के बात आय जी कोंदा ए तो.. 
   -हव भई.. अउ हमर इहाँ के सियानीन ल तिहार-बार संग वोकर जनम दिन म कहूँ नवा लुगरा बिसा के नइ देबे त वो तोला बखान-सराप के धुर्रा छंड़ा दिही.
   -सिरतोन आय जी हमरो इहाँ के इही हाल हे.
   -सुधा मूर्ति जी बताइन के उनला महिला समूह वाली मन हाथ ले कसीदा करे वाला दू ठन लुगरा दिए हें, तेन मन तो सबले जादा निक जनाथे.
   -हमर इहाँ उल्टा हे संगी.. गिफ्ट म मिले लुगरा मन संदूक-झॉंपी मन के शोभा बढ़ाय म मगन रहिथें.
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-जैन संत श्री विरागमुनि जी के कहना हे जी भैरा के हमन ला अपन लइका मनला नान्हे उमर ले ही प्रवचन अउ धर्म स्थल म लाना चाही, नइते उंकर अउ हमर बीच के जेनरेशन गैप ह अतेक जादा बाढ़ जाही, ते अवइया बेरा म एला भरना असंभव हो जाही.
   -मुनि श्री के कहना ह महूं ल सोला आना जनाथे जी कोंदा.. हमन देखत तो हावन मोबाइल म उलझे नवा पीढ़ी ह अपन संस्कृति संस्कार अउ गौरव ले कतेक दुरिहावत जावत हे.. अउ ए सब बर कोनो न कोनो मेर हमीं मन दोषी हावन, जेन उनला अपन जड़ मूल संग जोड़े ल छोड़ के मोबाइल के माध्यम ले कार्टून अउ गेम म उलझाय परत हावन.. जेमा वोमन संग म एती-तेती ल घलो झॉंक डारथें.
   -हव जी.. रायपुर के विवेकानंद नगर म प्रवचन करत मुनि श्री कहिन के अब प्रवचन ठउर म सिरिफ 50-55 बछर के लोगन दिखथें, ए दृश्य ल बलदना चाही. वो मन चिंता जाहिर करत कहिन के आज के बेरा म कोनोच रिश्ता ह पवित्र नइ रहिगे हे, ए सब बिखराव ह अध्यात्म संग जुड़े ले ही सुधर सकथे.
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-जब कभू कोनो मनखे नवा रद्दा गढ़े के कोशिश करथे, त लोगन वोला जकला-बइहा काहत भरमाए अउ भटकाए के उदिम तो करबे करथे जी भैरा.
    -हव ए बात तो सिरतोन आय जी कोंदा.. पहिली बात तो ए हे के लोगन वोकर कारज के उद्देश्य ल नइ समझ पावय तभो अंते-तंते गोठियाथें, त कभू कोनो मनखे वोकर ए कारज ल इरखा भाव ले देखत घलो वोकर रद्दा म अटघा डारे के उदिम करथे.
   -सही आय जी.. अइसन मनखे के रद्दा म अटघा डरइया मन जादा जनाथें, फेर एक बात तो हे संगी.. नदिया के पानी कस सरलग बोहावत रहिबे, त तोर रद्दा म अइसन जतका अटघा डरइया काड़ी-कचरा बरोबर लोगन आथें, सब अपने अपन तिरिया जाथें.
   -अच्छा अइसे? 
   -हहो.. माउंटेन मेन के नॉव ले प्रसिद्ध दशरथ मॉंझी के नॉव ल सुने हावस नहीं.. वोकर जिनगी अउ ठोस इरादा ले करे बुता ह ए बात के सउंहे उदाहरण आय.
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-छत्तीसगढ़ म पत्रकारिता के पुरोधा पं. स्वराज प्रसाद त्रिवेदी जी के जयंती कार्यक्रम के अध्यक्षता करत रायपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष प्रफुल्ल ठाकुर ह अभिव्यक्ति के आजादी ल आजो खतरा हे काहत रिहिसे जी भैरा.. उन काहत रिहिन हें के सत्ता आजो सवाल पूछई ल पसंद नइ करय. 
   -ए बात तो सही आय जी कोंदा.. पत्रकार मन जइसन साहित्यकार मन घलो अभिव्यक्ति के आजादी खातिर जूझत अउ खटत हें.. पत्रकार मनला तो सिरिफ सत्ता म बइठे लोगन अॉंखी तरेरे कस करथें, साहित्यकार मनला तो सत्ताधारी दल के चापलूस अउ उंकर आगू पाछू पूछी हलइया मन घलो भूंके-चाबे कस करत रहिथें.
   -ए बात ल महूं आकब करे हौं जी संगी.. नेता मनले जादा वोकर पोसवा मन अभिव्यक्ति के आजादी के रद्दा म जादा अटघा डारथें.. साहित्यकार मन के बात ल लबारी अउ मनगढंत होय के भरम-जाल म उलझाए के उदिम करथें... कभू-कभू तो उनला शारीरिक, मानसिक अउ आर्थिक रूप ले नुकसान पहुंचाए के घेक्खरई अउ निर्लज्जता घलो कर डारथें.
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-ए डिजिटल युग ह हमर मन के पढ़ई-लिखई के आदत ल छोड़ा के विडीयो देखई डहार लेगत हावय जी भैरा.
   -सिरतोन कहे जी कोंदा.. अब तो हमन चिट्ठी पाती लिखे बर घलो भुलावत जावत हावन.. एकर बलदा म आॅडियो या विडीयो मैसेज भेज डारथन या सउंहे गोठ-बात कर लेथन.
   -सही कहे संगी.. नवा पीढ़ी तो एमा एकदमेच रंगगे हावय, फेर एकर ले हमर मन के कल्पना अउ सृजनात्मक शक्ति के बढ़वार म सरलग कमी आवत हे.
   -अच्छा.. अइसे? 
   -हव.. अभी एक शोध रिपोर्ट म बताए गे हवय के विडीयो देखे के बलदा किताब ल पढ़ के कोनो विषय के जानकारी सकेले ले हमर कल्पना शक्ति परिष्कृत होथे, जेकर ले सृजनात्मकता बाढ़थे घलो.
   -ठउका बताए संगी.. अब महूं ह जादा विडीयो-फिडीयो ल देखई छोड़ के किताब पढ़े म जादा चेत करहूं.. वइसे मोर एक आदत बढ़िया हावय के मैं अखबार बहुत पढ़थौं.. टीवी म समाचार घलो देखथौं, फेर अखबार ल जादा महत्व देथौं.
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-अभी हमर इहाँ ए देखे म आवत हे जी भैरा के कोनो मनखे कहूँ धरम परिवर्तन कर लेथे त वोकर गाँव वाले मन वो मनखे के मरे के बाद वोकर मृत देंह ल अपन गाँव म अंतिम संस्कार करे ले मना करथें.
   -हव जी कोंदा अभी बस्तर क्षेत्र म अइसन घटना बनेच देखे म आवत हे, उहाँ धर्म परिवर्तित लोगन के मृत शरीर के वोकर अपन जनमभूमि म ही अंतिम संस्कार करे ले मना करे जावत हे, कोनो कोनो गाँव म तो अइसन घटना के चलत जबर मार-काट घलो देखे म आवत हे.
   -हव जी.. अइसन घटना के संबंध म अभी बिलासपुर हाईकोर्ट ह अपन निर्णय दिए हे के वो मरे मनखे ल अपन जन्मभूमि वाले गाँव म अंतिम संस्कार करे के संवैधानिक अधिकार होथे. हमर देश के संविधान के अनुच्छेद 21 म ए बात के स्पष्ट उल्लेख हे के मनखे ल सम्मान के साथ जीए के जेन अधिकार हे, वो ह वोकर मरे के बाद भी लागू होथे, तेकर सेती वोकर मृत शरीर के अंतिम संस्कार वोकर गाँव म करे ले कोनो नइ रोक सकय.
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-प्राथमिक शिक्षा ल इहाँ के महतारी भाखा म दे के तुंहर जेन माँग रिहिसे तेन पूरा होगे जी भैरा.. अभी राज्य सरकार ह अपन केबिनेट के बइठका म एला मंजूरी दिस हे.
   -राज्य सरकार के ए निर्णय ल सुन के गजब निक लागिस हे जी कोंदा.. हमन तो जब ले छत्तीसगढ़ राज्य आन्दोलन म संघरे रेहेन, तभेच ले छत्तीसगढ़ी ल संविधान के आठवीं अनुसूची म शामिल कर के इहाँ के महतारी भाखा म ही शिक्षा दिए अउ इहीच भाखा म राजकाज चलाए के माॅंग करत रेहेन.. चलव अब सरकार ह प्राथमिक शिक्षा ल महतारी भाखा म दिए के निर्णय लिए हे, एकर स्वागत हे, फेर अभी घलो हमर मन के माॅंग ह चुकता पूरा नइ होए हे संगी.
   -अच्छा.. अइसे? 
   -हव.. जब तक छत्तीसगढ़ी आठवीं अनुसूची म नइ संघरही.. इहाँ के संपूर्ण शिक्षा के माध्यम छत्तीसगढ़ी नइ बनही... जब तक राजकाज के भाखा नइ बनही तब तक हमर माँग ह अधूरच जनाही.