Tuesday, 30 July 2024

कोंदा भैरा के गोठ-22

कोंदा भैरा के गोठ-22

-आज के वैज्ञानिक युग म भले लोगन दैवीय आस्था अउ चमत्कार ल कमती पतियाथें, तभो एला साक्षात देखे जा सकथे जी भैरा.
   -ए बात ल तो महूं आकब करे हौं जी कोंदा.. कतकों अइसन मंदिर देवाला अउ सिद्ध स्थल हे, जिहां लोगन जाथें अउ श्रद्धा के फल पाथें तब तो पतियाए बर लागथेच.
   -हव जी अइसने सक्ती जिला के जैजैपुर विकासखण्ड म कैथा नॉव के गाँव हे जिहां शेषनाग धारी भगवान शिव के मंदिर हे, एला बिरतिया बबा मंदिर घलो कहिथें. मान्यता हे के ए मंदिर म पूजा करे अउ परसाद खाए ले कइसनो जहरीला साॅंप के जहर ह उतर जाथे.
   -महूं अपन एक संगी ले इहाँ के महिमा सुने रेहेंव संगी.. वो बतावत रिहिसे के बिरतिया बबा मंदिर के प्रभाव के सेती ए गाँव वाले मनला कभू सॉंप बिच्छी नइ चाबय.
   -सही आय.. आने गाँव के मन घलो सॉंप के चाबे म कैथा गाँव जाथें अउ उहाँ के सरहद म प्रवेश करते माटी ल खवा देथें.. वो गाँव के माटी के खाए ले ही सॉंप के जहर उतर जाथे.
   -हव जी..नाग देवता के ए जगा बिराजे अउ आशीष दे के संबंध म बड़का कहानी बताथें... जिहाँ हर बछर नागपंचमी के दिन जबर मेला भराथे.
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-अभी हमर इहाँ ए देखे म आवत हे जी भैरा के कोनो मनखे कहूँ धरम परिवर्तन कर लेथे त वोकर गाँव वाले मन वो मनखे के मरे के बाद वोकर मृत देंह ल अपन गाँव म अंतिम संस्कार करे ले मना करथें.
   -हव जी कोंदा अभी बस्तर क्षेत्र म अइसन घटना बनेच देखे म आवत हे.. कोनो कोनो गाँव म तो अइसन घटना के चलत जबर मार-काट घलो देखे म आवत हे.
   -हव जी.. अइसन घटना के संबंध म अभी बिलासपुर हाईकोर्ट ह अपन निर्णय दिए हे के वो मरे मनखे ल अपन जन्मभूमि वाले गाँव म अंतिम संस्कार करे के संवैधानिक अधिकार होथे. हमर देश के संविधान के अनुच्छेद 21 म ए बात के स्पष्ट उल्लेख हे के मनखे ल सम्मान के साथ जीए के जेन अधिकार हे, वो ह वोकर मरे के बाद घलो लागू रहिथे, तेकर सेती वोकर मृत शरीर के अंतिम संस्कार वोकर गाँव म करे ले कोनो नइ रोक सकय.
   -अच्छा.. बने बात तो ए होही जी संगी के हमन मरे मनखे के अंतिम संस्कार खातिर झंझट करे के बलदा कुछू अइसन रद्दा निकालन तेमा लोगन ल धर्म परिवर्तन करे के जरूरते झन परय.. वो अपन मूल धर्म म ही मगन राहय.
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-अभी छत्तीसगढ़ सरकार ह अयोध्या जाके भगवान राम के दरस सेवा कर के आए हे जी भैरा.
   -ए तो निक बात आय जी कोंदा.. हमर मन के तो वोकर संग ममा-भॉंचा के नता हे, अइसन म दरस सेवा, मया-दुलार करना ही चाही.. फेर माता शबरी के धाम के नॉव म शिवरीनारायण के बोइर आदि उहाँ भेंट करे गिस तेने ह मोला थोरिक अनफभिक जनाइस.
   -अइसे काबर? 
   -मोला लागथे के हमर इहाँ के इतिहास लेखन म थोरिक अतिशयोक्ति के भाव चढ़गे हे. रामायण म उल्लेखित माता शबरी के ठउर तो कर्नाटक राज्य के पंपा नदिया के तीर म हे, जिहां राम ह भाई लक्ष्मण संग सीताहरण के बाद गे रिहिसे. हमर छत्तीसगढ़ म तो माता सीता ह इहाँ ले उहाँ तक राम अउ लक्ष्मण के संगे म रेहे हे. महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिला के पंचवटी ले सीताहरण होए रिहिसे, त फेर तहीं बता सीताहरण के बाद राम लक्ष्मण ह वापस छत्तीसगढ़ आए रिहिसे ते आगू सुग्रीव के राज डहार गे रिहिसे? 
   -सही आय जी महूं ल कतकों अकन बात ह तर्क संगत नइ जनावय, अइसने वाल्मीकि आश्रम के बात घलो हे, हमन तुरतुरिया ल कहिथन, जबकि असल म ए ह उत्तर प्रदेश म हे.
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-संघर्षशील जनकवि अउ लेखक मन खातिर आम लोगन के मन म सम्मान के भाव तो होबेच करथे जी भैरा फेर चोरी चकारी कर के जिनगी जीयइया मन के मन म घलो उंकर मन खातिर श्रद्धा के भाव देखे म आ जाथे.
   -जनता के दुख-पीरा अउ अधिकार ल अपन लेखनी के माध्यम ले लोगन तक अमराने वाला मन बर तो सबके मन म सम्मान के भाव होबेच करही जी कोंदा ए तो स्वाभाविक बात आय. 
   -हव जी अभी एदे बीते 14 जुलाई के महाराष्ट्र के रायगढ़ म एक चोर ह मराठी के मयारुक कवि अउ लेखक रहे नारायण सुर्वे जी के घर ले चोरी कर के कुछ जिनिस मनला लेगे रिहिसे, दूसर दिन जब वोला गम मिलिस के वो तो कवि सुर्वे जी के घर खुसरगे रिहिसे त वो चोर ह वापस सबो जिनिस ल वोकर घर म मढ़ा के आगे अउ संग म एक पाती लिख के उहाँ छोड़ दे रिहिसे जेमा लिखाय रिहिसे के महान लेखक के घर म चोरी करे खातिर वो ह शर्मिंदा हे.
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-पौधारोपण के नॉव म फोटो खिंचवइया मन के भीड़ म अभी अइसनो देखे म आय हे जी भैरा के लोगन अपन रिश्ता नता मन के नॉव म पौधा लगा के वोकर सग रिश्तादार बरोबर ही देखभाल करत हें.
   -होना तो अइसने चाही, फेर जादा करके 'बो दे गहूं अउ चल दे कहूँ' कस उदिम चलत हे जी कोंदा.
   -फेर दुरुग जिला के पीसेगाँव म जतन ल सउंहे देख सकथस. 31 जुलाई 2011 ले इहाँ पौधारोपण ल अभियान के रूप म चलावत हें. गाँव के 55 बछर के कुमारी बाई ह अपन पति के नॉव म एक लीम के पौधा बोए हे, वो ह वो पौधा ल ही अपन पति मान के वोकर सेवा जतन करथे, वो ह रोज लीम पौधा के आरती उतारथे, वोला पोटार के मुंहाचाही करथे अउ सुख-दुख जम्मो ल बताथे.
   -वाह भई ए तो वाजिब म अद्भुत आय. 
   -हव जी अइसने अउ कतकों लोगन हें गाँव म जे मन अपन दाई, ददा या आने कुटुंब के नॉव म पौधा लगाए हें, अउ वोकर देखरेख ल वइसने करत हें. ए गाँव के मुक्ति धाम म बांस ल जलाए बर प्रतिबंध हे, वो मन बांस के उपयोग पौधा मन के घेरा बना के रक्षा करे बर करथें. अब तो गाँव म लोगन जनमदिन या बिहाव बछर जइसन बेरा म पौधा भेंट करे के परंपरा बना डारे हें.
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-छत्तीसगढ़ राज्य आन्दोलन म वइसे तो हजारों लोगन के भागीदारी रहे जी भैरा.. फेर मोला लागथे के एकर खातिर जनजागरण करे म साहित्यकार मन के भूमिका सबले जादा पोठ रहे हे.
   -सही आय जी कोंदा.. राजनीति ले जुड़े लोगन तो चुनाव उनाव ल लकठियावत देखय त अलग छत्तीसगढ़ राज्य के गोठ कर देवत रिहिन हें, फेर साहित्यकार मन के तो बारोंमासी इहिच बुता राहय.. अउ ते अउ वो मन तो कवि सम्मेलन अउ साहित्य सम्मेलन के मंच म घलो छत्तीसगढ़ राज्य के गोठ करंय.
   -हव जी सही आय, फेर अभी एक अइसे मनखे हे संगी जे ह अपन नॉव के संग छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के भगीरथ लिखथे त मोला बड़ा ताज्जुब लागथे के हमन तो 28 जनवरी 1956 म राजनांदगाँव म डॉ. खूबचंद बघेल के चिंतन मनन ले होय 'छत्तीसगढ़ी महासभा' के बइठका अउ गठन ले ही राज्य आन्दोलन के शुरुआत मानथन, त ए नवा भगीरथ कहाँ ले जनम गे? 
   -जे मनखे के 28 जनवरी 1956 के जनम नइ होय रिहिस होही वो ह ए आन्दोलन/निर्माण के भगीरथ कइसे हो सकथे.. फेर हमर इहाँ तो अइसने नाखून कटा के शहीद के दर्जा पाए के उदिम करइया मन के संख्या जादा हावय ना!
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-सावन सोम्मारी के जोहार जी भैरा.. यहा कहाँ ले फूल-पान धर के आवत हस जी? 
   - जोहार जी कोंदा.. खोरवा मंडल के बारी के ताय.. बने घमघम ले फूले रिहिसे त आज महादेव म चढ़ा के पूजा करहूं गुन के टोर के ले आएंव जी.
   -अच्छा.. मतलब चोरा के लानत हस? भगवान के पूजा ल चोराय फूल-पान म करबे त वोकर जम्मो पुन्न परसाद अउ आशीर्वाद ल तैं पोगरी कहाँ ले पाबे संगी? 
   -कइसे गोठियाथस जी? 
   -बने गोठियाथौं जी.. अरे भई जेकर बारी के फूल-पान ल चोराय हस तेन ह आधा पुन्न परसाद ल नइ पाही जी? हाँ भई तैं कहूँ ए फूल-पान ल पइसा म बिसा के लाने रहिते या बारी वाले जगा ले अनुमति ले के टोरे रहितेस त भले पूजा के फल ल चुकता पातेस.
   -टार बुजा ल.. त अब मुंदरहा ले एकर-वोकर अंगना-बारी म अग्सी धर के जाथौं तेला छोड़े बर लागही.
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-गुरु पुन्नी परब के जोहार जी भैरा.
   -जोहार संगी कोंदा.
   -तहूं ह कान-उन फूंकवा डारे हावस नहीं जी? 
   -मैं ह पाठ-पिढ़वा वाले औं जी.. कोरी भर बछर होगे हे हरेली के दिन बइगा बबा जगा पाठ-पिढ़वा ले रेहेंव तब ले वोकरे बताए मुताबिक जप-तप चलत रहिथे.
   -महूं गुनत हौं काकरो जगा कान फूंकवा लेतेंव.. मंडल पारा के सियान ह काहत रिहिसे बिन कान फूंकवाय तप-जप साधना के पूरा फल नइ मिलय कहिके.
   -सिरतोन काहत रिहिसे सियान ह.. जम्मो लोगन ल विधिवत गुरु जरूर बनाना चाही, तभे हमर आध्यात्मिक साधना के फल ह पूरा मिलथे, साधना ह सफल होथे.. गुनिक मन बताथें के फल तो हमर अपन ईष्ट ही ह देथे, फेर गुरु के माध्यम ले देथे कहिथें.
   -अच्छा.. तब तो महूं ह गुरु बनाइच लेथौं जी, फेर का कोनो विशेष पदवी म बिराजे मनखे ल ही गुरु बनाए म ही साधना ह सिध परथे.
   -अइसन नइहे संगी.. जेन कोनो सिद्ध लोगन ल तैं जानत होबे, जेकर ऊपर तैं भरोसा करत होबे.. वोला गुरु बना ले.. जेन ह तोला सत् साधना के रद्दा धरा देवय.. उही ह तोर बर सतगुरु आय.
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-बरखा के दिन बादर आए के संग सॉंप चाबे ले लोगन के मरे के खबर घलो आए लगे हे जी भैरा.
   -हव जी कोंदा.. जंगल-झाड़ी वाले क्षेत्र मन ले हर बछर अइसन खबर आवत रहिथे.
   -सही आय जी.. चिकित्सा विज्ञानी मन के संगे-संग कतकों समाजसेवी किसम के लोगन झाड़फूंक म बेरा पहवाए के बलदा अपन तीर के अस्पताल म जाए के अपील करत रहिथें तभो लोगन एकर अनदेखी करथें अउ मौत के मुंह म समा जाथें.
   -अभी एक झन जानकर ह काहत रिहिसे के ए बछर पानी कम गिरे के सेती उमस बाढ़गे हवय, तेकर सेती सॉंप मन गरमी ले हलाकान होके अपन बिला ले निकल के तीर-तखार म थोरिक जादच किंजरत-बुलत हावंय, एकरे सेती ए बछर सॉंप चाबे के घटना जादा देखे म आवत हे.
    -हव जी पेपर म रोज अइसन खबर पढ़े म आवत हे.
   -विशेषज्ञ मन के कहना हे के अइसन क्षेत्र के लोगन मनला मच्छरदानी लगा के ही सूतना चाही, आजकाल प्रशिक्षित सॉंप धरइया मन घलो सबो डहार रेहे लगे हें, उंकरो मन के सेवा लेवत रहना चाही, अइसन करे ले सॉंप के चाबे ले बहुत कुछ बचाव हो सकथे.
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-देख जी भैरा हम कांग्रेस भाजपा के झंझट म कभू नइ राहन, फेर जब इहाँ के अस्मिता अउ आस्था ले जुड़े बात आथे, त वोला बिन कहे राहन घलो नहीं.
   -हव जी कोंदा लोगन ल अइसनेच होना चाही, फेर का बात आय तेला बताबे तब तो जी? 
   -काली विधानसभा म नेता प्रतिपक्ष ह भॉंचा राम खातिर शिवरीनारायण के बोइर कहिके अयोध्या लेगे रिहिसे तेन कहाँ ले आइस कहिके सरकार जगा पूछे रिहिसे.. महूं ह ए बात ल जानना चाहथौं संगी के अइसन बरखा के दिन बादर म शिवरीनारायण म कब ले बोइर फरे ले धर लिस.. हमन तो कभू बाप-पुरखा म अइसन नइ सुने रेहेन? 
   -हो सकथे जी सरकार ह बोइर खोइला लेगे रिहिस होही, जइसे हमन ह खोइला बोइर ह ए चम्मास के सीजन म बने कोंवर-कोंवर भाथे कहिके खाथन नहीं, तइसने भगवान घलो खाही कहिके! 
   -त एला फोरिया के गोठियाना चाही ना.. खोइला बोइर लेगे रेहेन कहिके. वइसने मोला ए मौसम म शिवरीनारायण के सीताफल लेगे के बात ह घलो टोटा म उतरे असन नइ जनावत हे संगी!
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-अभी चारों मुड़ा के सरकार मन फोकट म चॉंउर, फोकट म बिजली अउ फोकटेच म फलाना-ढेकाना के चरित्तर म बूड़े हें जी भैरा.
    -हव जी कोंदा.. फोकट म झोंक-झोंक के लोगन कोढ़िया जॉंगरचोट्टा बनत जावत हें, फेर मोला ए ह निक नइ जनावय संगी.. अइसन करे ले कोनो भी देश के गरीबी ल नइ सिरवाय जाय सकय. 
   -ठउका कहे संगी.. मैं कतकों झन फोकट के चॉंउर झोकइया मनला वो चॉंउर ल बेच के जुआ-चित्ती अउ मंद-मउहा म बूड़े देखे हौं.
   -महूं ह अइसन मनला देखे हौं संगी.. श्रम शक्ति के जब तक रचनात्मक अउ न्यायसंगत उपयोग नइ होही तब तक गरीबी अउ भूखमरी दुरिहाय के बात ह बिरथा हे.
    -हव जी दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति अउ रंगभेद आन्दोलन के प्रमुख रहे नेल्सन मंडेला ह एक पइत केहे रिहिसे- गरीबी ल न्याय दे के ही सिरवाए जा सकथे, दान दे के नहीं.
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-पेड़ पौधा मन हमर जिनगी के संगे-संग हमर संस्कृति के घलो महत्वपूर्ण अंग आय जी भैरा.
   -हव आय न जी कोंदा.. तभे तो हमन आने आने पेड़ म आने आने देवी या देवता के बासा या कहिन निवास घलो मानथन अउ उंकर मान-सम्मान घलो करथन. 
   -हव जी.. अब डूमर के पेड़ ल ही देख लेवौ एकर बर-बिहाव म कतका महात्तम हे.. मड़वा छाए ले लेके मंगरोहन बनाय अउ दुल्हा दुल्हीन के तेल-हरदी चघे के बेरा बइठे बर बिन खीला के बनाय पिड़हा म घलो एकरेच उपयोग होथे.
   -हव जी डूमर के डारा-पाना, लकड़ी सब के उपयोग बिहाव म होथे.
   -अइसे लोक मान्यता हे जी संगी के डूमर के पेड़ म दुल्हा देव अउ दुल्हीन देवी के बासा होथे, तेकरे सेती बर-बिहाव म इंकर आशीष छाहित राहय कहिके डूमर के उपयोग करे जाथे.
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-हरेली जोहार जी भैरा.
   -जोहार संगी कोंदा.. ए बछर पानी के पछुवाए के सेती बियासी रोपाई सबो च पछुवागे हे जी नइते आने बखत सबो किसानी के बुता उरक जावय त बने हरहिंछा जम्मो नॉंगर-बक्खर मनला धो-पोंछ के पूजा पैलगी करन त निक जनावय.
   -हव जी सिरतोन कहे.. बइगा के नेवरिया चेला बनइया मन के उछाह घलो देखते बनय. अपन-अपन ले पाठ-पिढ़वा ले बर सब उत्साहित रहंय.
   -मैं तो मंतर-जंतर के फेर म कभू नइ परेंव, तभो अधरतिहा बेरा ए मन बछर भर म एक पइत अपन जम्मो मंत्र के पाठ करंय, चेला-गुरु बनावंय तेमा संघर जावत रेहेंव.
   -एक-दू पइत महूं ह संघरे हावौं संगी.. बुढ़वा बइगा ह बतावय- आजे के दिन भगवान‌ भोलेनाथ ह अपन तिरछुल म बंधाय सिंघिन ल फूंक के मंत्र शक्ति ल परगट करे रिहिसे, तेकरे सेती इहू मन आजे के दिन अपन मंत्र ल बछर भर म फेर जगाथें.. वोकर पुनर्पाठ करथें अउ संग म नेवरिया सीखइया मनला चेला बना के पाठ-पिढ़वा देथें.
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-अभी बुंदेलखंड के हरदौल अखाड़ा के गुरु रामचंद्र पाठक जी के सरग सिधारे म उंकर चेला मन अपन गुरु के शव के आगू म तलवार, फरसा, चक्र जइसन अखाड़ा ले संबंधित जिनिस मन के प्रदर्शन कर के श्रद्धांजलि अर्पित करीन हें जी भैरा.
   -अपन गुरु खातिर श्रद्धांजलि अर्पित करे के सबके अपन परंपरा अउ आस्था होथे जी कोंदा.. अब हमरे इहाँ देख लेना लोककवि अउ परमानंद भजन मंडली के गुरु रहे बद्रीविशाल यदु परमानंद जी के शवयात्रा के बेरा म वोकर भजन मंडली के जम्मो चेला मन परमानंद जी के ही लिखे हुए भजन मनला गावत बजावत घर ले रामकुंड के आमा तरिया तक लेग के उनला श्रद्धांजलि दिए रिहिन हें ना.
   -हव जी.. अइसने महूं ह शब्दभेदी बाण चलइया अउ करमा सम्राट के उपाधि ले सम्मानित कोदूराम वर्मा जी के अंतिम यात्रा म घलो देखे रेहे हौं.. उंकर गाँव भिभौरी म करमा नृत्य मंडली के चेला मन 'हाय रे हाय रे सुवा उड़ागे ना, सोन के पिंजरा खाली होगे सुवा उड़ागे ना.. ' करमा गीत गावत नाचत उनला श्रद्धांजलि दिए रिहिन हें.

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