कोंदा भैरा के गोठ-21
-अब के पढ़इया लइका मनला छत्तीसगढ़ी भाखा अउ संस्कृति के संग छत्तीसगढ़ी साहित्य अउ साहित्यकार मन के जानबा रखना जरूरी होगे हे जी भैरा.
-हव जी कोंदा.. छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग आदि संस्थान मन के परीक्षा म छत्तीसगढ़ी भाषा के अंतर्गत एकर मन ले जुड़े प्रश्न पूछे जाथे. अभी 24 जून ले शुरू होय पीएससी के परीक्षा म ए बछर मयारुक असन प्रश्न पूछे हें.
-अइसे.. ए बछर का-का पूछे हे?
-वइसे तो अबड़ अकन प्रश्न पूछे गे हवय, दू-चार मन ल ओरियावत हौं-
'कल के बासी आज के भात, अपन घर म का के लाज' ए लोकोक्ति के आशय पूछे रिहिसे.
'खुसरा चिरई के बिहाव' काकर रचना आय?
'छत्तीसगढ़ी भाषा के उद्विकास' के रचनाकार के नाम?
'मयारु माटी' पत्रिका के संपादक के नाम का हे?
'छत्तीसगढ़ी गीत के राजा' कोन गीत ल माने जाथे?
'छत्तीसगढ़ी बोली का व्याकरण' काकर रचना आय?
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-भाखा-संस्कृति ल हमर चिन्हारी के दूनों अॉंखी बताथें जी भैरा.
-सिरतो आय जी कोंदा.. इही दूनों के माध्यम ले ही कोनो भी देश, राज या क्षेत्र के चिन्हारी होथे. हमर छत्तीसगढ़ ल अलग राज के जेन दर्जा मिले हे, तेकरो मापदंड हमर भाखा अउ संस्कृति रेहे हे.
-तोर कहना वाजिब आय संगी, फेर हमन ल भाखा अउ संस्कृति के नॉव म भटकाय अउ भरमाय के खेल घलो अबड़ होय हे.
-होय हे का.. आजो होवत हे.. अब देख ले हमर राज के माई भाखा छत्तीसगढ़ी आय, फेर एला भरम जाल म अरझा के हिंदी भाषी राज घोषित कर दिए गे हवय, ठउका अइसने आने हिंदी भाषी राज मन के संस्कृति ल हमर मन ऊपर बरपेली थोपे जावत हे.
-सही आय संगी.. एकर बर लोगन के अॉंखी म राष्ट्रीयता नॉव के जेन अॅंधरौटी अॉंजे गे हे तेला पोंछे बर लागही, तभे लोगन जान पाहीं के छत्तीसगढ़ के तो स्वतंत्र रूप ले भाखा अउ संस्कृति हे.
-सही आय जी, तभे तो मैं गोहराथौं-
जब तक हमर भाखा-संस्कृति हे तभे तक आस हे,
बिन भाखा-संस्कृति के छत्तीसगढ़िया के विनाश हे।
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-लोगन के भीतर ले मानवता धीरे-धीरे नंदावत हे जी भैरा.. अब कभू अपराध होथे त वोला रोके ल छोड़ के देखाए म जादा मगन जनाथें.
-सही आय संगी कोंदा.. अब कतकों जगा अइसन नजारा देखे बर मिल जाथे, जिहां लोगन सामान्य मानवीय व्यवहार के घलो दर्शन नइ करंय.
-हव जी.. अब काली पेंड्रा गौरेला के घटना ल ही देख लेना.. 21 बछर के रंजना नॉव के कॉलेज छात्रा ल एक अतलंगी टूरा ह चाकू मार के हत्या कर दिस अउ बिन काकरो रोक-छेंक के वो जगा ले मोटरसाइकिल म बइठ के भाग गे घलो.
-सही आय संगी.. महूं ह ए घटना के सीसीटीवी फुटेज ल समाचार म देखत रेहेंव.. वो नोनी अउ वोकर भाई अपराधी ले बचाय खातिर कतेक गोहरावत रिहिन हें, फेर एको मनखे तो उनला बचाय के उदिम करतीन!
-हव जी.. अतेक भीड़ भाड़ वाले जगा म दिन दहाड़े होवत घटना ल रोके के चेत कोनोच नइ करीन.. हाँ भई.. लोगन अपन-अपन मोबाइल ल हेर के वोकर विडीयो जरूर बनाइन.
-बहुत दुर्भाग्य के बात आय संगी.. लोगन के अइसन अमानवीय चरित्तर कतकों जगा अब देखे म आवत हे, उन अपराध ल रोके ल छोड़ के वो घटना के विडीयो बनाय म मगन हो जावत हें.
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-एक पढ़े लिखे उच्च शिक्षित माईलोगिन के कहना हे जी भैरा के वो मन जब विधवा हो जाथें तभो पहिली च असन कपड़ा-लत्ता पहिनना चाही..
-अच्छा जी कोंदा.. माने रंग-बिरंगा लुगरा-पोलखा?
-हव.. वोकर कहना हे के दशगात्र के दिन घलो वो विधवा होवइया माईलोगिन ल चकाचक रहना चाही.. वोकर कहना हे के जब हमन आज कतकों अकन जुन्ना परंपरा ल छोड़त नवा-नवा परंपरा अउ विज्ञान के आविष्कार मनला अपनावत हावन त ए मरिया-हरिया के भेद ल घलो काबर नइ मिटाना चाही?
-वोकर तर्क ह बने तो जनावत हावय संगी, फेर उही च पूछे रहिते के जब नोनी मन कुंवारी रहिथें, तेन बखत के पहिनावा अउ सिंगार म ही बिहाव के बाद घलो काबर नइ राहय? आखिर इहू म बदलाव करे के का जरूरत हे? आदमी जात मन के पहिनावा म अउ सिंगार म तो जादा बदलाव नइ देखे जाय, फेर माईलोगिन मन म अइसन काबर आथे? का इहू ह फोकटइहा नोहय?
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-अब के पढ़इया लइका मनला जउंहरहा बस्ता लाद के रेंगत देखबे त पहिली नेवरिया बछवा मन के घेंच म नॉंगर जोते के पहिली लदका लादय नहीं, तेकरे सुरता आथे जी भैरा.
-सिरतोन आय जी कोंदा.. पढ़ई हमू मन करे हन भई फेर अइसन जउंहरहा बस्ता कभू लादे बर नइ लागे रिहिसे, हमन तो बस गिनती के चार ठन कापी किताब मनला झोला म धरन अउ मेंछरावत फुदक्का मारत पल्ला दौंड़त असन स्कूल चल देवत राहन.
-हव जी.. विशेषज्ञ मन के कहना हे के भारी भरकम बस्ता लाद के कोंघरे-कोंघरे रेंगे ले लइका मन के रीढ़ के हांड़ा टेड़गा हो जाथे, एकर ले शारीरिक अउ मानसिक विकास घलो ढेरियाय असन हो जाथे.
-होबेच करही संगी.. भारत सरकार के गाइडलाइन घलो अइसने कहिथे, फेर मोला ए सब खातिर शिक्षा विभाग के अधिकारी मन संग पुस्तक प्रकाशक मन के मेल-जोल ह जादा कारण जनाथे.
-हो सकथे भई.. फेर एमा प्रायवेट स्कूल मन म तो अउ अति दिखथे.. कमीशन के चक्कर म कतकों किताब कापी मन बरपेली पाठ्यक्रम म संघर जाथे तइसे जनाथे.
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-बड़ दिन म भारतीय क्रिकेट टीम ह टी-20 विश्व कप ल जीते हे जी भैरा अउ इही जीत के संग कप्तान रोहित अउ विराट ह संन्यास के घोषणा घलो कर डारे हे.
-जीत ह तो खुशी के बात आय जी कोंदा.. फेर अतेक कम उमर म रोहित अउ विराट के संन्यास ले के बात ह मोला अलकर जनावत हे.
-अरे वाह.. अलकर काबर संगी.. एक उमर के बाद तो खेलकूद म कमी देखेच म आथे.. ए तो बने होगे के ए मन विश्व कप जीते बाद संन्यास खातिर ठउका बेरा ल चुने हे.
-अच्छा त ए मन खेल ले संन्यास ले हवयं जी.. मैं ह हमन जइसे गृहस्थ जीवन ल छोड़ के वानप्रस्थ के रद्दा धर लेथन तइसन संन्यास समझत रेहेंव.
-हत तो बइहा कहीं के.. अरे भई ए मन अब सिरिफ टी-20 क्रिकेट म हमर देश के टीम भर ले नइ खेलय बाकी मनला खेलत रइहीं, जइसे के आईपीएल, टेस्ट अउ वनडे क्रिकेट होथे तइसन मनला.
-ओहो.. मैं आने समझ परे रेहेंव संगी.. मोला लागथे के एकर बर संन्यास के बलदा अउ कुछू आने शब्द के प्रयोग करना चाही, काबर ते संन्यास के भाव तो गृहस्थ जीवन ल चुकता छोड़ के वैराग्य के रद्दा धर लेना होथे, फेर ए मन अइसन कहाँ करथें?
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-अब कोनो परब उत्सव म अपन संगी मनला फूल के गुलदस्ता दे के बलदा मौसमी फल अउ साग-भाजी ल बॉंस के नान्हे टोपली म सुग्घर असन सजा के उपहार के रूप म दे के चलन बाढ़त हे जी भैरा.
-अच्छा.. जइसे काली जुवर तोर जनमदिन के बेरा म लइका मन टोपली ल सुग्घर सजा के दिए रिहिन हें तइसने.
-हव जी हमर रायपुर के समाजसेवी संस्था ह ए नवा अउ सुग्घर उदिम ल शुरू करे हे.. उंकर कहना हे के फूल के गुलदस्ता ह झोंकत अउ फोटू खींचत भर ले बने जनाथे, फेर थोरकेच बेर म वो ह अनुपयोगी हो जाथे, जबकि मौसमी फल अउ साग-भाजी ह हर दृष्टि ले उपयोगी बने रहिथे, एकर ले पइसा के फिजूल खर्ची होय अस घलो नइ जनावय.
-उंकर कहना वाजिब जनावत हे संगी.. एकर ले फल अउ साग-भाजी उत्पादक किसान मन के संग बॉंस के टोपली बना के अपन घर परिवार के जोखा करइया मन के रोजी रोजगार ह घलो बने चल जाही.
-सही आय संगी.. अब महूं ह अइसन बेरा म अपन संगी संगवारी मनला फूल के गुलदस्ता दे के बलदा मौसमी फल ल सुग्घर अस टोपली म सजा के दे के टकर बनाहूं.
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-शिक्षा के अंजोर बगरे के बाद घलो लोगन अभी ले बेटा अउ बेटी म भेद करत अलहन कर डारथें जी भैरा.
-कइसे का होगे जी कोंदा?
-एदे अभी मस्तुरी क्षेत्र के गाँव किरारी ले खबर मिले हे, उहाँ के हसीन गोयल नॉव के माईलोगिन ह अपन चौबीस दिन के बेटी ल कुआँ म फेंक के मार डरिस.. वोकर कहना हे के सरलग तीन झन बेटी के होय ले घर परिवार म सम्मान नइ मिल पाही गुन के वो हाले म जनमे बेटी ल मार डरीस.. वोला असल म बेटा के चाह रिहिसे.
-तीन झन बेटी होगे रिहिसे त का होगे.. भई हमरो तो तीन झन बेटी हे, हमूं कहूँ वोकरे असन गुन के अलहन कर परे रहितेन त आज तो मरे बिहान हो जाए रहितीस.
-हव जी सही आय.. कतकों लोगन हें जेकर मन के तीन झन अउ वोकरो ले उपराहा बेटी हे, अउ देखत हावन के बेटी वाले मन आज के बेरा म जादा सुखी हें.
-मैं ह खुद एकर बड़का उदाहरण हौं.. आज मोर देंह-पॉंव के हालत ल तो देखत हस.. न कहूँ आ सकौं न जा सकौं.. तभो मोर नोनी मन ही मोर सरी जोखा करत हें.. सिरतोन काहत हौं कहूँ बेटा के चक्कर म परे रहितेंव त कोन जनी वो मन अतका करतीन ते नहीं ते?
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-पश्चिम के अंधानुकरण करत एक डहार जिहां हमर इहाँ के पीढ़ी ह संयुक्त परिवार के बंधना टोर के व्यक्तिवाद के रद्दा धरत हे जी भैरा उहें स्वीडन ह अपन इहाँ दाई-बबा मनला नाती-नतनीन के देखभाल खातिर तीन महीना के सवैतनिक छुट्टी दे के नियम पास करे हे, तेमा लइका मनला महतारी-बाप के संग दाई-बबा के घलो मया-दुलार अउ संगत मिल सकय.
-ए तो बहुत बढ़िया बात आय जी कोंदा.. हमन संयुक्त परिवार के महत्व ल तो देखेच हावन, आज भले नवा पीढ़ी ह एकर ले छटके असन करत हे.
-हव जी.. संयुक्त परिवार म रेहे ले लइका मनला नान्हे उमर ले ही अपन परंपरा अउ गौरव के संग इतिहास अउ घर परिवार सबके समझ आवत जाथे, उहें एकलमुंडा होके आत्मकेंद्रित होवत पश्चिम के बिखरत अउ परेशान समाज ल तो घलो देखतेच हावन.
-सही आय.. कोनो 'डे केयर सेंटर' म पलत-बाढ़त लइका ल वो मया-दुलार अउ देखभाल नइ मिल सकय, जेन दाई-बबा के कोरा अउ दुलार म बाढ़त लइका ल मिल पाथे.
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-ले देख ले जी भैरा.. प्रसिद्ध समाजसेवी अउ अभी हाले म राज्यसभा के सांसद बने सुधा मूर्ति जी ह पाछू तीस बछर म एको ठन लुगरा नइ बिसाय हे.. उन बताइन के उंकर बहिनी मन या नता-रिश्तादार मन जे लुगरा ल गिफ्ट के रूप म दे देथें, उहिच ल वो ह पहिरथे.
-वाह भई.. जतका बड़का मनखे ततके बड़का सादगी के बात आय जी कोंदा ए तो..
-हव भई.. अउ हमर इहाँ के सियानीन ल तिहार-बार संग वोकर जनम दिन म कहूँ नवा लुगरा बिसा के नइ देबे त वो तोला बखान-सराप के धुर्रा छंड़ा दिही.
-सिरतोन आय जी हमरो इहाँ के इही हाल हे.
-सुधा मूर्ति जी बताइन के उनला महिला समूह वाली मन हाथ ले कसीदा करे वाला दू ठन लुगरा दिए हें, तेन मन तो सबले जादा निक जनाथे.
-हमर इहाँ उल्टा हे संगी.. गिफ्ट म मिले लुगरा मन संदूक-झॉंपी मन के शोभा बढ़ाय म मगन रहिथें.
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-जैन संत श्री विरागमुनि जी के कहना हे जी भैरा के हमन ला अपन लइका मनला नान्हे उमर ले ही प्रवचन अउ धर्म स्थल म लाना चाही, नइते उंकर अउ हमर बीच के जेनरेशन गैप ह अतेक जादा बाढ़ जाही, ते अवइया बेरा म एला भरना असंभव हो जाही.
-मुनि श्री के कहना ह महूं ल सोला आना जनाथे जी कोंदा.. हमन देखत तो हावन मोबाइल म उलझे नवा पीढ़ी ह अपन संस्कृति संस्कार अउ गौरव ले कतेक दुरिहावत जावत हे.. अउ ए सब बर कोनो न कोनो मेर हमीं मन दोषी हावन, जेन उनला अपन जड़ मूल संग जोड़े ल छोड़ के मोबाइल के माध्यम ले कार्टून अउ गेम म उलझाय परत हावन.. जेमा वोमन संग म एती-तेती ल घलो झॉंक डारथें.
-हव जी.. रायपुर के विवेकानंद नगर म प्रवचन करत मुनि श्री कहिन के अब प्रवचन ठउर म सिरिफ 50-55 बछर के लोगन दिखथें, ए दृश्य ल बलदना चाही. वो मन चिंता जाहिर करत कहिन के आज के बेरा म कोनोच रिश्ता ह पवित्र नइ रहिगे हे, ए सब बिखराव ह अध्यात्म संग जुड़े ले ही सुधर सकथे.
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-जब कभू कोनो मनखे नवा रद्दा गढ़े के कोशिश करथे, त लोगन वोला जकला-बइहा काहत भरमाए अउ भटकाए के उदिम तो करबे करथे जी भैरा.
-हव ए बात तो सिरतोन आय जी कोंदा.. पहिली बात तो ए हे के लोगन वोकर कारज के उद्देश्य ल नइ समझ पावय तभो अंते-तंते गोठियाथें, त कभू कोनो मनखे वोकर ए कारज ल इरखा भाव ले देखत घलो वोकर रद्दा म अटघा डारे के उदिम करथे.
-सही आय जी.. अइसन मनखे के रद्दा म अटघा डरइया मन जादा जनाथें, फेर एक बात तो हे संगी.. नदिया के पानी कस सरलग बोहावत रहिबे, त तोर रद्दा म अइसन जतका अटघा डरइया काड़ी-कचरा बरोबर लोगन आथें, सब अपने अपन तिरिया जाथें.
-अच्छा अइसे?
-हहो.. माउंटेन मेन के नॉव ले प्रसिद्ध दशरथ मॉंझी के नॉव ल सुने हावस नहीं.. वोकर जिनगी अउ ठोस इरादा ले करे बुता ह ए बात के सउंहे उदाहरण आय.
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-छत्तीसगढ़ म पत्रकारिता के पुरोधा पं. स्वराज प्रसाद त्रिवेदी जी के जयंती कार्यक्रम के अध्यक्षता करत रायपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष प्रफुल्ल ठाकुर ह अभिव्यक्ति के आजादी ल आजो खतरा हे काहत रिहिसे जी भैरा.. उन काहत रिहिन हें के सत्ता आजो सवाल पूछई ल पसंद नइ करय.
-ए बात तो सही आय जी कोंदा.. पत्रकार मन जइसन साहित्यकार मन घलो अभिव्यक्ति के आजादी खातिर जूझत अउ खटत हें.. पत्रकार मनला तो सिरिफ सत्ता म बइठे लोगन अॉंखी तरेरे कस करथें, साहित्यकार मनला तो सत्ताधारी दल के चापलूस अउ उंकर आगू पाछू पूछी हलइया मन घलो भूंके-चाबे कस करत रहिथें.
-ए बात ल महूं आकब करे हौं जी संगी.. नेता मनले जादा वोकर पोसवा मन अभिव्यक्ति के आजादी के रद्दा म जादा अटघा डारथें.. साहित्यकार मन के बात ल लबारी अउ मनगढंत होय के भरम-जाल म उलझाए के उदिम करथें... कभू-कभू तो उनला शारीरिक, मानसिक अउ आर्थिक रूप ले नुकसान पहुंचाए के घेक्खरई अउ निर्लज्जता घलो कर डारथें.
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-ए डिजिटल युग ह हमर मन के पढ़ई-लिखई के आदत ल छोड़ा के विडीयो देखई डहार लेगत हावय जी भैरा.
-सिरतोन कहे जी कोंदा.. अब तो हमन चिट्ठी पाती लिखे बर घलो भुलावत जावत हावन.. एकर बलदा म आॅडियो या विडीयो मैसेज भेज डारथन या सउंहे गोठ-बात कर लेथन.
-सही कहे संगी.. नवा पीढ़ी तो एमा एकदमेच रंगगे हावय, फेर एकर ले हमर मन के कल्पना अउ सृजनात्मक शक्ति के बढ़वार म सरलग कमी आवत हे.
-अच्छा.. अइसे?
-हव.. अभी एक शोध रिपोर्ट म बताए गे हवय के विडीयो देखे के बलदा किताब ल पढ़ के कोनो विषय के जानकारी सकेले ले हमर कल्पना शक्ति परिष्कृत होथे, जेकर ले सृजनात्मकता बाढ़थे घलो.
-ठउका बताए संगी.. अब महूं ह जादा विडीयो-फिडीयो ल देखई छोड़ के किताब पढ़े म जादा चेत करहूं.. वइसे मोर एक आदत बढ़िया हावय के मैं अखबार बहुत पढ़थौं.. टीवी म समाचार घलो देखथौं, फेर अखबार ल जादा महत्व देथौं.
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-अभी हमर इहाँ ए देखे म आवत हे जी भैरा के कोनो मनखे कहूँ धरम परिवर्तन कर लेथे त वोकर गाँव वाले मन वो मनखे के मरे के बाद वोकर मृत देंह ल अपन गाँव म अंतिम संस्कार करे ले मना करथें.
-हव जी कोंदा अभी बस्तर क्षेत्र म अइसन घटना बनेच देखे म आवत हे, उहाँ धर्म परिवर्तित लोगन के मृत शरीर के वोकर अपन जनमभूमि म ही अंतिम संस्कार करे ले मना करे जावत हे, कोनो कोनो गाँव म तो अइसन घटना के चलत जबर मार-काट घलो देखे म आवत हे.
-हव जी.. अइसन घटना के संबंध म अभी बिलासपुर हाईकोर्ट ह अपन निर्णय दिए हे के वो मरे मनखे ल अपन जन्मभूमि वाले गाँव म अंतिम संस्कार करे के संवैधानिक अधिकार होथे. हमर देश के संविधान के अनुच्छेद 21 म ए बात के स्पष्ट उल्लेख हे के मनखे ल सम्मान के साथ जीए के जेन अधिकार हे, वो ह वोकर मरे के बाद भी लागू होथे, तेकर सेती वोकर मृत शरीर के अंतिम संस्कार वोकर गाँव म करे ले कोनो नइ रोक सकय.
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-प्राथमिक शिक्षा ल इहाँ के महतारी भाखा म दे के तुंहर जेन माँग रिहिसे तेन पूरा होगे जी भैरा.. अभी राज्य सरकार ह अपन केबिनेट के बइठका म एला मंजूरी दिस हे.
-राज्य सरकार के ए निर्णय ल सुन के गजब निक लागिस हे जी कोंदा.. हमन तो जब ले छत्तीसगढ़ राज्य आन्दोलन म संघरे रेहेन, तभेच ले छत्तीसगढ़ी ल संविधान के आठवीं अनुसूची म शामिल कर के इहाँ के महतारी भाखा म ही शिक्षा दिए अउ इहीच भाखा म राजकाज चलाए के माॅंग करत रेहेन.. चलव अब सरकार ह प्राथमिक शिक्षा ल महतारी भाखा म दिए के निर्णय लिए हे, एकर स्वागत हे, फेर अभी घलो हमर मन के माॅंग ह चुकता पूरा नइ होए हे संगी.
-अच्छा.. अइसे?
-हव.. जब तक छत्तीसगढ़ी आठवीं अनुसूची म नइ संघरही.. इहाँ के संपूर्ण शिक्षा के माध्यम छत्तीसगढ़ी नइ बनही... जब तक राजकाज के भाखा नइ बनही तब तक हमर माँग ह अधूरच जनाही.
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