Sunday, 17 November 2024

आगाज में कविता..

हमरूह प्रकाशन दिल्ली के साझा काव्य संकलन 'आगाज-1' के पृष्ठ 111 एवं 112 पर प्रकाशित मेरी रचना- इतिहास बोल रहा है..

Thursday, 14 November 2024

कविता.. विकास होगे..!

विकास होगे..! 
निच्चट कोलकी म हे
मोर कुँदरा ह. 
ए मुड़ा 
न कार आ सकय
न फटफटी
एकरे सेती
कार म रेंगइया
अउ फटफटी म बुलइया
न तो सरकार
एती आवय
न उँकर कोनो डारा-शाखा.
तभे तो
हमर कोलकी
आज ले अद्दर परे हे.
फेर लोगन बताथें-
सरकार के रिकॉर्ड म
हमर कोलकी ह
पक्का चमचमावत
सिरमिट के
गली म 
लहुट गे हे.
कोनो कोनो बताथें-
बिजली के
डेड़हत्था सादा पोंगरी
घलो ओरमे हे, 
फेर रतिहा 
कभू कुछू जिनिस 
बिसर जाथे त
देशी मंद के बोतल ल
कुलुप के बनाए 
चिमनी के अँजोर म
टमड़ के 
वोला उचा लेथन
आजो ले.
-सुशील भोले

Monday, 28 October 2024

कोंदा भैरा के गोठ-26

कोंदा भैरा के गोठ-26
🌹
-हमर छत्तीसगढ़ के पारंपरिक कला संस्कृति ल लेके अब बने जागरुकता देखे बर मिलत हे जी भैरा.
   -ए तो बने बात आय जी कोंदा.. हमर छत्तीसगढ़ ह काकरो ले कोनोच जिनिस म कमती नइए.. बस लोगन पर के पाछू भटके ल छोड़ के अपन गौरव ल जानयँ.. आत्मसात करयँ.
   -सही आय जी.. राजधानी रायपुर के डीडीनगर गोल चौक म अभी के नवरत म आरुग छत्तीसगढ़ी परंपरा म पंडाल बनाय गे हवय तेला देख के गरब के अनुभव होथे.. इहाँ माता के सुमरनी ल सुवा, करमा अउ पंथी जइसन गीत नृत्य के माध्यम ले करे जाथे.
   -वाह भई..! 
    -हव जी.. ए पंडाल म संघरे बर आरुग छत्तीसगढ़ी सँवाँगा म जाए बर लागथे, नइते उहाँ निंगन नइ देवय.
   -ए तो बहुतेच बढ़िया बात आय संगी.. मैं तो इही किसम इहाँ के आध्यात्मिक संस्कृति, पूजा विधि अउ जीवन पद्धति के घलो बात करथौं.. हमला काकरोच खातिर आने मन के मुंह देखे के जरूरत नइए. 
   -धीर लगा के सब होही संगी.. राजधानी के पंडाल ले अभी जेन सांस्कृतिक गंगा के धारा निकले हे, ए ह पूरा राज भर संचरही अउ कला संस्कृति ले होवत आध्यात्मिक जीवन पद्धति तक जाही.
🌹
-हमर छत्तीसगढ़ म एक अइसन मंदिर घलो हे जी भैरा जिहाँ परसाद के रूप म दहीबड़ा, मिर्चा भजिया अउ समोसा जइसन लसुन गोंदली वाले तामसिक जिनिस ही चघाए जाथे.
   -वाह भई.. हम तो अइसन कभू नइ सुने रेहेन जी कोंदा! 
   -हाँ.. बिलासपुर के चिंगराजपारा म धूमावती माता के मंदिर हे.. इहाँ सिरिफ शनिच्चर भर के अइसन चढ़ाए जाथे.. इहाँ माता धूमावती के माता पार्वती के विधवा रूप म पूजा करे जाथे एकरे सेती उनला लुगरा घलो सादा रंग के ही चढ़ाए जाथे.
   -मोला सुन के ही बड़ा अचरज लागत हे संगी.
   -एमा अचरज के का बात हे जी.. अभी नवरात तो चलतेच हे, जा के माता के दरस कर के आजा.. अउ सँउहे अपन आँखी म देख ले.. वइसे इहाँ खाली हाथ वाली माईलोगिन मन विशेष रूप ले आथें बताथें.. जे मन एक चिट्ठी म लिख के अपन समस्या मनला माता जी ल बताथें अउ फेर माता के आशीष ले वो जम्मो दुख पीरा ले मुक्ति पा जाथें.
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-धोबी समाज ह अब समाज के वो लोगन मनला, जे मन आने समाज के नोनी मन संग बिहाव कर डारे हें उनला  कुछ प्रतिबंध के संग अपन समाज म मिलाए के निर्णय लिए हें जी भैरा.
   -ए तो बहुत बढ़िया बात आय जी कोंदा.. इहाँ के मनवा कुर्मी समाज म तो अइसन अंतर्जातीय बिहाव वाले मनला समाज म संघारे के परंपरा बनेच दिन ले चलत हे.
   -अच्छा.. बनेच दिन ले चलत हे? 
   -हव.. समाज के जागरूक लोगन महाधिवेशन म प्रस्ताव पास करवाए रिहिन हें.. उंकर कहना रिहिसे के वो अंतर्जातीय बिहाव वाले जोड़ा ले जेन संतान के जनम होथे आखिर वोकर मन के का अपराध हे तेमा उनला समाज ले बाहिर रखे जाय? 
  -सिरतोन आय.. लइका मन के का कसूर? 
   -अइसने शासन ह जब आजीवन कारावास के सजा 14 बछर के देथे, त हमूं मनला ए मनला 14 बछर बाद समाज म संघार लेना चाही, ए मान के.. के इंकरो आजीवन कारावास/निष्कासन पूरा होगे.
  -बहुत बढ़िया बात अउ तर्क संगी.. सबो समाज वाले मनला अइसन प्रगतिशील सोच अपनाना चाही.
🌹
-हमर छत्तीसगढ़ के कतकों गाँव के भाँठा म रावन के पुतरा ह बारों महीना हाँसत-खुलखुलावत खड़े रहिथे जी भैरा.
   -हव जी कोंदा.. महूं आकब करे हौं.. अब हमरेच गाँव के भाँठा म देख लेना.. लीला मंडली वाले मन हर बछर नवा रावन बनाय बर लागथे कहिके भाँठा म सिरमिट के रावन ठढ़िया दिए हें.
   -हव जी.. फेर कतकों गाँव मन म तो मैं वो रावन के पूजा होवत घलो देखे हौं.. कुछू परब-तिहार होय या उत्सव-जलसा सबोच पइत रावन के पूजा कर के नरियर चघाए जाथे.
   -हमरे परोसी गाँव मोहदी म घलो तो अइसने होथे.. हमूं मन उहाँ खेलकूद म जावन त भाँठा के रावन म नरियर चघा के घोलंड के पाँव परन. 
  -हव भई.. गुरुजी च मन रावन म नरियर चघा के पाँव परे बर काहय न.. अउ सिरतोन म संगी.. तहाँ ले खेलकूद के पहला इनाम हमरे गाँव ल मिलय.
   -हव जी.. ब्लॉक स्तरीय खेलकूद के चैम्पियन शील्ड हमारे गाँव म आवय‌ हर बछर.
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-आरंग जगा के गाँव कठिया म एक झन शिवदास नॉव के बाबा ह तरिया के पानी ऊपर रेंगत-रेंगत नहाकहूं कहिके गाँव के लोगन मनला काली जुवर सकेल डारे रिहिसे जी भैरा.
   -अच्छा.. त पानी ऊपर रेंगिस हे के नहीं जी कोंदा? 
   -कहाँ पाबे बइहा.. तउंरत तउंरत जावत रिहिसे.. बीच तरिया म थथमराय असन‌ होगे त बचाव दल ह वोला कइसनो कर के तरिया ले बाहिर निकालिस हे.
   -ले बता.. सिद्धी फिद्धी के नॉव म लोगन अइसन अलहन ल काबर नेवता दे डारथें कहिथौं.
   -कतकों सिद्ध मनखे मन अइसन कर डारथें जी संगी, फेर अइसन सिद्धी ह कोनो विशेष बुता बखत काम करथे.. शेखी बघारे असन प्रदर्शन खातिर वोकर उपयोग करहूँ कहिबे त इही मनखे बरोबर हिनमान पाबे.
   -सही आय.. तप सिद्धी ह प्रदर्शन के विषय नोहय.
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-आने भाखा ले आने वाले शब्द मनला छत्तीसगढ़ी म बउरत बेरा एती-तेती ले टोर-भाँज के लमिया देथें जी भैरा.
   -कइसे गढ़न के कहे जी कोंदा? 
   -प्रकृति ल परकरिति, संस्कृति ल संसकरिति अइसने गढ़न के अउ शब्द मनला घलो लमिया डारथें.
   - महूंँ ह कोनो कोनो ल अइसन लिखत देखे हौं.. अउ एकर खातिर वोमन तर्क ए देथें के गाँव-गँवई के सियान मन तो अइसने लमिया के गोठियाथें. असल म का हे ना.. कोनो भी भाखा के मानक उहाँ के पढ़े लिखे शिक्षित लोगन ल माने जाना चाही, जे मन कोनो भी शब्द के शुद्ध अउ आरुग उच्चारण करथें.. वो मनला नहीं, जे मन शब्द के उच्चारण सही नइ कर सकयँ.
   -तोर कहना वाजिब हे, फेर कतकों झन तो उही सियनहा मन के उच्चारण ल मानक माने जाना चाही कहिके मुड़पेलवा करथें.
   -तैं रायपुर के गोल बजार जाबे, उहाँ पसरा म लिमउ बेचत माईलोगिन मनला सुनबे.. वो मन लिमउ ल लीम्बू कहिथें.. काबर जानथस- हिंदी के नींबू अउ छत्तीसगढ़ी के लिमउ ल जोड़-ताड़ के आधा एती के अउ आधा शब्द वोती के कर के 'लीम्बू' कहिथें. अब तहीं बता अइसन मन के शब्द ल मानक माने जा सकथे?
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-तुंहर इहाँ के सियान के अस ल इलाहाबाद नइ लेगे रेहेव कहिके सुने ल मिलिस हे जी भैरा? 
   -ठउका सुने हावस जी कोंदा.. अरे भई जब हमर छत्तीसगढ़ के राजिम म साक्षात त्रिवेणी संगम हे, त फेर एती-तेती भटके के का जरूरत हे.
   -तोरो कहना  वाजिब जनाथे संगी.. मैं तो कहिथौं अइसने गढ़न के पिंडा परवाए खातिर लोगन जेन गया जी लेगथें ना.. वोकरो नेंग ल हमर छत्तीसगढ़ म ही कर लेना चाही.
   -बिल्कुल कर लेना चाही.. राजिम अउ शिवरीनारायण ए दूनों हमर इहाँ अइसन पबरित ठउर हे, जिहाँ अस सरोए अउ पिंडा परवाए दूनों के विकल्प के रूप म विकसित करे जा सकथे.. मैं तो अपन घर के लइका मनला चेता के रखहूँ के मोर दरी तुमन एती-तेती भटके के बलदा राजिम अउ शिवरीनारायण म ही दूनों नेंग ल सिध पार लेहू.
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-अभी कुवाँर अंजोरी दसमीं के हमन विजयदशमी परब मनाए हावन नहीं जी भैरा? 
   -हव मनाए तो हावन जी कोंदा.. गाँव के भाँठा म रावन के पुतरा म आगी ढीले रेहेन.
   -हव.. इहिच ह तो मोला थोकिन अनफभिक बानी के जनाथे.. एक डहार किष्किन्धा काण्ड के चौपाई 11 ले 18 म 'गत ग्रीषम बरषा रितु आई'.. ले लेके 'बरषा गई निर्मल रितु आई' काहत ए बताए गे हवय के भगवान राम ह असाढ़, सावन, भादो अउ कुवांँर के शरदपुन्नी तक के चौमासा ल प्रबरषण पहाड़ के गुफा म रहिन हें कहिके, त फेर वो गुफा म राहत बेरा ही रावन ल कइसे मार डारिन? 
   -तोरो प्रश्न ह वाजिब जनाथे संगी.. एक डहार हम पढ़थन के चौमासा म तो भगवान गुफा म रहिन हें, त फेर चौमासा के सिराय बिन.. वो गुफा ले निकले अउ लंका पहुँचे बिन रावन ल मार कइसे डारिन होहीं? 
   -मोला लागथे संगी के राम ह चौमासा के पूरा चार महीना उहाँ नइ रिहिन होहीं. जेकर पत्नी के हरण होय हे, वो चार महीना हाथ गोड़ सकेल के कइसे बइठे सकही? 
   -कोन जनी भई.. फेर पोथी म तो वइसने पढ़े बर मिलथे..!
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-शरदपुन्नी के दिन सक्ती जिला के गाँव तांदुलाडीह म गोंड़ परिवार के जेन दू भाई मनला गुरु भक्ति म ब्रह्मलीन साधना करत मरगें कहिके सुनाय रिहिसे, तेन ह तो वोकर बहिनी अमरिका के टोटा ल मसक के मारे के सेती मरे रिहिसे कहिथें जी भैरा.
   -तभे तो मोला साधना करत मरे के बात ह अनभरोसिल कस जनाय रिहिसे जी कोंदा.. कभू कोनो साधना करत मरहीं गा.. भई हमूंँ मन कतकों साधक मनला देखे हावन, फेर अइसन कभू सुने नइ रेहेन.
   -हव जी.. असल म वो लइका मन के बहिनी अमरिका ल ए भरम रिहिसे के वो ह मरे मनखे मनला अपन मंत्र साधना ले जीया डारही, इही बात ल सिद्ध करे खातिर वो अपन महतारी बहिनी अउ एक भाई ल अपन डहार संघार के  वोकर ए साधना के बात ल अंधविश्वास कहइया दूनों भाई मनला पहिली तो जहरीला धुँगिया सूँघा के बेहोश करीस तेकर पाछू दूनों के टोटा ल मसक के मार डारिस.
   -अइसन साधना के बात ह मोला आरुग अंधविश्वास जनाथे संगी.
   -ए ह अंधविश्वास नहीं.. मूर्खता के पराकाष्ठा आय अउ ए ह दुख के बात आय के चारों मुड़ा अइसन नजारा देखे ले मिलत हे.
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-इहाँ के मूलनिवासी मन के देवी देवता मन के अपमान करे के उदिम अभी घलो चलतेच हे जी भैरा.
   -ए तो जब ले अनगँइहा मन इहाँ आए हें तब ले चलत हे जी कोंदा.. डॉ. दयाशंकर शुक्ल के शोधग्रंथ छत्तीसगढ़ी लोक साहित्य का अध्ययन  के प्रथम संस्करण ल पढ़बे वोमा लिखाय हे- इहाँ के आदिवासी मन के जंगली देवता ऊपर आर्य देवता मनला स्थापित करे के काम तेज गति ले चलत हे.'
   -वाह भई.. जंगली देवता..! 
   -हव दूसरा संस्करण म महीं ह वोला संपादित करे रेहेंव तेकर सेती सुरता हे.. अब गरियाबंद ले खबर आय हे- उहाँ दसेरा परब के आदिवासी परंपरा के अनुसार सिरहा (पुजारी) ह देवी के अवतार धर के पहुंचिस, तेला युवराज पांडेय ह डंडा म मार के देवी ल अपमान जनक गारी घलो दिस.
   -वाह भई.. वोला इहाँ के देवी देवता अउ परंपरा के समझ नइए का जी? 
   -कोन जनी भई.. ए घटना के सेती आदिवासी मन भारी रोसियाइन.. धरना प्रदर्शन घलो करिन त कहूँ जाके युवराज पांडेय अउ तुषार मिश्रा के खिलाफ पुलिस ह अपराध दर्ज करे हे.
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-हमर इहाँ के हर समाज के अपन परंपरा अउ नेंग होथे जी भैरा.
   -हव जी कोंदा सही आय.. एकदम अलगे जेन अउ दूसर समाज म देखे सुने म नइ आवय. 
   -हव जी सही आय.. अब हमर इहाँ के बिरहोर जनजाति ल ही देख लेना.. वो मन बर-बिहाव म टिकावन के रूप म दुल्हा बाबू ल टुकना, टँगिया, हँसिया अउ बेंदरा धरे के फाँदा देथें.
   -वाह भई.. बेंदरा धरे के फाँदा! 
   -हव.. अभी रविशंकर विश्वविद्यालय म होय एक विशेष उद्बोधन म बिरहोर जनजाति मन बर बुता करत पद्मश्री जागेश्वर राम यादव ह ए बात के जानकारी दिस हे.
   -वो समाज ह तइहा बेरा ले जंगल झाड़ी म राहत आवत हे, वो दृष्टि ले उहाँ रेहे खातिर अइसन टिकावन ह वाजिब घलो तो जनाथे.
   -सही आय, फेर अब जागेश्वर राम यादव के सरलग बुता के सेती उहू मन म थोर बहुत बदलाव के आरो मिले लगे हे.
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-असल म हमर छत्तीसगढ़ म देवारी तो तीनेच दिन के होथे जी भैरा.. कातिक अमावस के सुरहुत्ती, गौरा-ईसरदेव बिहाव, वोकर बिहान भर गोवर्धन पूजा अउ तेकर बिहान भर मातर, फेर इहाँ एक अइसनो गाँव हे जिहाँ ए देवारी परब ल एक हफ्ता पहिलीच ले मना लिए जाथे.
   -एक हफ्ता पहिली जी कोंदा? 
   -हव.. राजधानी रायपुर ले करीब 55 किमी दुरिहा बसे गाँव सेमरा जेन धमतरी, दुर्ग अउ बालोद जिला के सीमा म हे. 
   -अच्छा..! 
   -हव.. गाँव के मन बताथें के पहिली इहाँ कटाकट जंगल रिहिसे तब गाँव म एक पेड़ के खाल्हे म एक बाबा बइठे रिहिन हें, उही बेरा जंगल ले एक बघवा आइस अउ बाबा संग लड़े लगिस. शेर ह बाबा के मुड़ी अउ देंह ल अलग कर दिस, जेमा के मुड़ी ह हमर गाँव सेमरा म अउ देंह ह परोसी गाँव बोरझरा म गिरिस. पाछू बाबा ह हमर गाँव के लोगन ल सपना दिस के मोर हिसाब ले तुमन इहाँ तिहार बार ल मानहू त ए गाँव म सुख समृद्धि बने रइही. वोकर बाद बाबा सिरदार देव के मंदिर बनाए गिस अउ फेर उही ल गाँव के ईष्टदेव मानत हर बछर हफ्ता भर पहिली इहाँ देवरी मनाना शुरू होइस, जेन ह अभी घलो सरलग चलत हे.
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-पलंग सुपेती म सूतइया.. स्पंज वाले कोंवर सोफा म बइठइया शहरिया मन घलो अब हमर गाँव के गाँथे-तीरे खटिया के महात्तम ल समझे लगे हें जी भैरा.
   -समझबे करहीं जी कोंदा.. तइहा बेरा ले चलत हमर खटिया ह शरीर खातिर बड़ उपयोगी अउ मयारुक होथे.. ए ह प्राकृतिक रूप ले एक्यूप्रेशर के बुता करथे.
   -हव जी एकरे सेती अब रायपुर जइसन शहर म जुन्ना बेरा के खटिया के माँग अउ चलन बाढ़त हे.. न्यूरो थैरेपिस्ट अउ फिजियो थैरेपिस्ट मन के कहना हे- पारंपरिक तरीका ले आँटे गे बगई डोरी म गँथाय खटिया हमर देंह के हवा ल संतुलित राखथे.. ए ह पीठ पीरा अउ देंह के पीरा सबो ले बँचाथे, जेन ह आजकाल बेड, तख्त अउ स्पंज वाले गद्दा म सूते बइठे के सेती होवत हे.
   -हव जी फेर खटिया के अँचावन ल बने टाँठ तिराय रहना चाही, इहू चेत करना जरूरी हे.. नइते पीठ पीरा ह बाढ़ घलो सकथे.
   -सही आय.. हमर इहाँ सूते खातिर खटिया त बइठे खातिर मचोली घलो गाँथे राहय हमर बबा ह.
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-हमर मन के बेरा म तिहार बार म जेन फटाका फोरन तेन ह कतकों बाजय धुँगिया उड़ावय फेर कोनो ल नुकसान नइ करत रिहिसे जी भैरा फेर अब तो अइसन रोसहा रोसहा फटाका आगे हवय ते तोर कान-नाक के छेदरा बोजा जाही तइसे जनाथे.
   -हव जी कोंदा.. अभी रायपुर के बजार म 130 डेसिबल तक के आवाज वाला फटाका आय हे बताथें.. कहूँ ए फटाका के फूटत बेरा तैं भोरहा म कान-नाक ल तोपे बर भूला जाबे त जउँहर हो जाही.
   -हव भई.. अइसन मनला पूरा प्रतिबंधित करना चाही.. हमन अपन लइकई म कइसे बढ़िया कुधरी मनला सकेल के वोमा छोटे छोटे दनाका मनला गड़िया के फोरन. फटाका के फूटते कुधरी मन छटकय अउ धुर्रा उड़ियावय त कतका निक लागय.
   -हव जी संगी.. हमन कहूँ बस्ती ले बाहिर भाँठा म जावन त उहाँ गोबर चोता मन म सुतरी बम ल खोंच के फोर देवत रेहेन.. भारी आनंद आवय संगी.
   -अब वो दिन बेरा गय.. नवा जमाना के नवा उदिम आगे, फेर एमा मनोरंजन कम अउ खतरा जादा होगे हे.
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-सुनत हस भैरा.. काली एक झन मोला डाॅक्टर के उपाधि देबोन कहिके लुढ़ारत रिहिसे.
   -भाग भइगे.. तैं ह कब ले लोगन के नरी टमड़े ले सीख गेस जी अउ कब ले सुजी बेधे के बुता करत हस.. हमला तो गमे नइए? 
‌‌  -अरे वइसनहा डाॅक्टर थोरहे बइहा.. साहित्य के काहत रिहिसे.
   -टार बुजा ल.. अइसनो ह मोला फदित्ता बरोबर जनाथे.. भई हमन कोंदा लेड़गा मनखे.. अपन नॉव के आगू डाॅक्टर लिखई फबही गा? 
   -उही ल तो महूंँ कहेंव- हमन जइसन पाथन तइसन जतर-कतर लिख बइठथन.. त फेर वो ह साहित्य कहाँ ले होगे.. मोला डाॅक्टर फॉक्टर के पदवी झन देहू ददा.. उल्टा जी के काल हो जही.
   -बने कहेस.
   -तभो ले वो काहत रिहिसे- आजकाल अइसने तो चलत हे गा.. एकाद ठन फर्जी बानी के संस्था के नॉव धर ले अउ तहाँ ले मटमटहा किसम के लिखइया पढ़इया मनला किसम किसम के प्रमाण पत्र बाँटत राह.
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मयारु माटी देवारी अंक 1988

छत्तीसगढ़ी भाखा के पहला संपूर्ण मासिक पत्रिका "मयारु माटी" के बछर 1988 के देवारी अंक के पीडीएफ ह रायगढ़ के साहित्यकार भाई बसंत राघव के सद्प्रयास ले मिले हे. बहुत झन संगी मन 'मयारु माटी' वो बखत कइसन निकलत रिहिसे कहिके पूछत रहिथें, वोकर मन के जिज्ञासा शांत करे खातिर ए अंक के पीडीएफ। अवइया बेरा म एकर साफ प्रति बनाय अउ पोस्ट करे के कोशिश करबोन, अभी एहा सिरिफ जिज्ञासा शांत करे खातिर..
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Thursday, 24 October 2024

मयारु माटी के चित्रकार मोहन गोस्वामी..

सुरता//
मयारु माटी के चित्रकार भाई मोहन गोस्वामी
    छत्तीसगढ़ी भाखा के पहला संपूर्ण मासिक पत्रिका 'मयारु माटी' संग चित्रकार के रूप म जुड़े रहे मोहन गोस्वामी के चिन्हारी चित्रकार के रूप म ही जादा रिहिसे. वइसे मोहन भाई जतका मयारुक चित्रकार रिहिन हें, वतकेच सुंदर फोटोग्राफर, डिजाइनर अउ गुरतुर आवाज के गायक घलो रिहिसे, जेन खुद हारमोनियम बजा के गावय.
   मोहन गोस्वामी संग मोर चिन्हारी अखबार जगत म बुता करे के सेती होय रिहिसे, तब वो ह दैनिक 'नव भास्कर' म प्रेस फोटोग्राफर रिहिसे अउ मैं दैनिक तरुण छत्तीसगढ़ म सहायक संपादक. हम दूनों के कार्यालय आसपास रिहिसे, तेकर सेती चिन्हारी रिहिसे गोठबात घलो होवत राहय.
   एक दिन मैं छत्तीसगढ़ी के लोकप्रिय कवि अउ गायक लक्ष्मण मस्तुरिया जी के ब्रम्हपुरी वाले घर म बइठे रेहेंव उही बेरा मोहन गोस्वामी घलो उहाँ आइस. तब हमर मन के उहाँ होय गोठबात म जानबा होइस के लक्ष्मण मस्तुरिया जी अउ मोहन गोस्वामी सग भाई आयँ. बातेबात म मोहन बताइस के भइया महूं तो इही जगा रहिथौं. तब मस्तुरिया जी बिरंची मंदिर के चाल म राहत रिहिन हें, अउ ठीक वोकर पाछू म वर्मा परिवार के घर म मोहन. तब मोहन मोला चलना भइया मोर घर कहिके अपन घर लेगे रिहिसे. आगू जब हमर मन के घनिष्ठता बाढ़त गिस त फेर संगे म घूमना फिरना, उठना बइठना सब होए लागिस.
    बछर 1961 के 8 अक्टूबर के गाँव मस्तूरी म जनमे मोहन गोस्वामी गजब मयारुक मनखे रिहिसे हमन वोकरे घर म बइठ के गीत संगीत के रिहर्सल घलो करन. तब बी.एस. अखिलेश, मोहन गोस्वामी, लक्ष्मण दीवान, मस्तुरिया जी के बड़े बेटा दिनेश अउ मैं जादा कर के बइठन. कभू कभार एक दू अउ संगी उहाँ आ जावत रिहिन हें. हमर मन के रिहर्सल ल देख के एक पइत मस्तुरिया जी मजाक करत केहे रिहिन हें- तुमन तो मोर ले बड़े गायक बन जाहू तइसे लागथे. ए बइठकी म मोरो गीत मनला अखिलेश भाई ह स्वरबद्ध करे रिहिसे, जेन आगू चल के 'फूलबगिया' के नॉव ले कैसेट के रूप म निकले रिहिसे.
    वो बखत रायपुर के चित्रकार जगत म बीएस अखिलेश अउ मोहन गोस्वामी ए दूनों के जबर नाम रिहिसे. दूनों ही चित्रकार अउ डिजाइनर होय के संग स्क्रीन प्रिंटिंग के बुता घलो कर देवत रिहिन हें. छत्तीसगढ़ी मासिक पत्रिका मयारु माटी के टाइटल ले लेके पत्रिका के सबो अंक के आवरण अउ भीतर के पृष्ठ मन म छपे सबो चित्र मन मोहन गोस्वामी के ही बनाय आय, त मोर पहला काव्य संकलन 'छितका कुरिया' के आवरण अउ प्रिंटिंग बीएस अखिलेश के हाथ ले सिरजे हे.
    मोहन, मोर, अखिलेश अउ लक्ष्मण दीवान के बइठकी मोहन घर तब तक बने चलत रिहिसे जब तक मोहन के बिहाव नइ होय रिहिसे, मोहन के बिहाव होय के बाद एमा कमी आइस अउ फेर जब मोहन ह टिकरापारा के भगत चौक म खुद के मकान बिसा के रेहे लागिस, तेकर बाद तो फेर हमर मन के बइठकी पूरा बंद होगे. ए बीच कभू कभार मिले के मन होवय त मैं मोहन के फूल चौक वाले दूकान मोगो क्रियेशन म चले जावत रेहेंव या फेर वो मन मोर रिकार्डिंग स्टूडियो म आ जावत रिहिन हें.
  ए बीच हमर मन के मिलई जुलई बनेच कम होगे रिहिसे. कुछू सुख- दुख के संदेशा लक्ष्मण दीवान के माध्यम ले मिलय. इही बीच खबर आइस के मोहन के मयारुक सुपुत्र के देवलोक गमन होगे हे. जवान बेटा के अबेरहा जवई ह मोहन ल भीतरी ले टोर डारे रिहिसे, एकरे सेती मोहन बीमार‌ परे अस दिखे लागय. 22 अक्टूबर 2017 के ए दुनिया के बिदागरी ले के पहिली मोहन संग मोर सिरिफ एके पइत भेंट होय रिहिसे, जब वो ह हमर घर के तीर म ही हीरा बेकरी के डिजाइन के बुता के देखरेख करत रिहिसे.
  मोहन के जाए के बाद तो फेर महूंँ खटिया के रखवार होगेंव. आज बहुत दिन बाद मोहन के सुरता आइस त उनला श्रद्धा के फूल चढ़ावत  ए चार डाँड़ के सिरजन होगे. मोर जबर मयारुक संगी ल जोहार.
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811

Sunday, 6 October 2024

कोंदा भैरा के गोठ-25

कोंदा भैरा के गोठ-25
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-हमन अपन-अपन धर्म ल लेके कुआँ के मेचका बरोबर होगे हावन जी भैरा.
   -अइसे का जी कोंदा.. तोला ए बात ह सिरतोन जनाथे‌ का? 
   -विवेकानंद मानव प्रकर्ष संस्थान म 'विश्व भातृत्व दिवस' के अवसर म आयोजित परिसंवाद म डॉ. सुभाष चंद्राकर ह अइसने काहत रिहिसे.
   -असल म का हे ना.. धर्म ह आज पर उपदेश कुशल बहुतेरे वाले गोठ बनके रहिगे हे.. मोला बता अपन धरम संस्कृति के प्रचार करना ह कहूँ कुआँ के मेचका हो जाना होथे, त इहू मन आज खुद कुआँ के मेचका बरोबर कारज करत हें नहीं? 
   -कइसे गढ़न के जी? 
   -ए मन रामकृष्ण परमहंस अउ विवेकानंद के छोड़े कोनो अउ आने देवता ल अपन मंदिर मन म ठउर देथें का? अरे ठउर देवई तो दुरिहा जाय, जेन विवेकानंद ल रायपुर के बूढ़ा तरिया म नहाय म बूढ़ादेव के आशीर्वाद ले पहिली बेर भाव समाधि मिले रिहिसे उही बूढ़ादेव के नॉव म स्थापित बूढ़ा तरिया के नॉव ल विवेकानंद के नॉव म धर दिन.. बूढ़ादेव के आशीष ल अनदेखा करत वोला एक कोन्टा म तिरिया दिन.. अब तहीं बता अइसन बात ल विश्व भातृत्व के श्रेणी के माने जाही या कुआँ के मेचका के?
   -जे मन बूढ़ादेव के महत्व नइ समझिन वो मन कुआँ के मेचका नहीं त अउ का आय?
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-आज राजभाषा हिंदी दिवस के बेरा म मैं ए जानना चाहत हौं जी भैरा के तुंहर महतारी भाखा छत्तीसगढ़ी ल एकर ले का फायदा होइस? 
   -हम अपन देश के संविधान के सम्मान करथन जी कोंदा, तेकर सेती हमर देश के राजभाषा हिंदी के घलो सम्मान करथन, तभो ए करू अनुभव ल घलो कहे बर नइ घेपन, के हमर संग हिंदी के नॉव म अन्याय जादा होय हे.
    - तुंहला अइसे काबर जनाथे संगी? 
   -अब देख- छत्तीसगढ़ म छत्तीसगढ़ी मातृभाषा बोलइया मन के संख्या 66 प्रतिशत हे, अउ हिंदी मातृभाषा वाले मन के संख्या मात्र 5 प्रतिशत, तभो ले षड्यंत्र पूर्वक हमर ए राज ल हिंदी भाषी घोषित कर दिए गिस.. एकर दुष्परिणाम ए होइस के हमला हिंदी के नॉव म आने हिंदी भाषी राज मन के इतिहास, संस्कृति अउ गौरव मनला बरपेली पढ़ाए गिस, हमर ऊपर लादे गिस.. अउ हमर छत्तीसगढ़ के असली संस्कृति, इतिहास अउ गौरव ल हमर ले दुरिहा राखे खातिर तोपे अउ लुकाए गिस.. एकर दुखद परिणाम ए होइस के हम अपन गौरव ल भुला के आने मन के गौरव अउ संस्कृति ल मुड़ म लादे किंजरे लागेन.. उंकर गुलामी भोगे बरोबर उंकर पिछलग्गू बनत गेन.. परिणाम तुंहर आगू म हे.. बाहिर के लोगन इहाँ अगुवा बनत गिन अउ हम उंकर बनिहार.
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-अभी केंद्र सरकार ह पाकिस्तान, बंगलादेश अउ अफगानिस्तान ले बछर 2014 के पहिली ले आए हिंदू, सिख, पारसी अउ जैन ईसाई जइसन धरम के मनइया लोगन ल हमर देश के नागरिकता दे के नियम (सीएए) चालू करे हवय न जी भैरा.. एमा हमर छत्तीसगढ़ ले घलो 100 झन अइसने लोगन मन आवेदन करे हावंय.
   -अच्छा जी कोंदा.. मतलब हमर छत्तीसगढ़ म घलो आने देश ले आए लोगन अभी तक बिना नागरिकता के राहत हावंय कहिदे.
   -हव जी ए तो आवेदन करे हें ते मन यें.. लुकाचोरी तो अउ कतकों होहीं... अब सरकार के नवा नियम म जरूरी कागजात मनला देखा के ए मन इहाँ के नागरिक बन जाही.
   -2014 ले पहिली माने 10 बछर ले आगर बेरा ले इहाँ राहत लोगन मन हमर छत्तीसगढ़ के भाखा संस्कृति ल आत्मसात करे पाइन होहीं के नहीं जी? अउ कहूँ दस बछर म घलो ए मन इहाँ के भाखा संस्कृति ल आत्मसात नइ करे होहीं त फेर इनला इहाँ के नागरिकता काबर दिए जाना चाही? 
‌    -तोरो कहना ह वाजिब जनाथे संगी.. सरकार के ए मनला जेन नागरिकता दे के नियम हे, तेमा इहू बात ल जोड़ना चाही, के अभी तक अइसन लोगन जिहां राहत हें, उहाँ के भाखा संस्कृति ल अपन मान के वोला आत्मसात करत हें के नहीं?
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-विज्ञान अउ शिक्षा के नॉव म हर किसम के देशी परंपरा अउ ठुआॅं टोटका ल अंधविश्वास कहि देना ह कभू कभू मोला अलकर जनाथे जी भैरा.
   -अलकर लागे के लाइक बातेच ए जी कोंदा.. महूं कई पइत अटकरे हौं.. अब हमर डोकरी दाई के ही बात ले ले वोला उल्टा जनमे हे कहिके कतकों झन जुन्ना सियान मन वोकर जगा कनिहा पीठ के पीरा म बड़े बिहन्चे ले लात म मरवाए बर आवय अउ सिरतोन काहत हौं संगी.. वो मन डोकरी दाई के पॉंच या सात पइत हुलू-हुलू लात मारे म ही बने हो जावत रिहिन हें. कतकों झनला हॅंसिया ल गोरसी म मार लाल-लाल तीपो के अॉंक घलो देवय.
   -हहो.. एदे अइसने अभी दमोह ले खबर आय हे- उहाँ के लोगन कुकुर बिलई मन के गंदगी करे ले हलाकान होगे रिहिन हें, त फेर एक सियान के सुझाय म पॉंव म लगाय के माहुर ल बने लाली असन घोर के शीशी बाटल मन म भर के घर के बाहिर म टॉंगे लागिन. बताथें के अइसन करे ले कुकुर मन अब वोती गंदगी नइ करंय.
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-लोगन के आस्था अउ वोला माने-जाने के परंपरा घलो अद्भुत हे जी भैरा.
   -हाँ ए बात तो हे जी कोंदा.. सबके अपन परंपरा अउ आस्था हे.
   -अभी मोर एक संगी के बबा मरगे त वोकर तीज नाहवन के रतिहा वोला जेन कुरिया म राखे रिहिन हें, उहें चॉंउर पिसान के कुढ़ा मढ़ा के वो मेर कलशा मढ़ा के जोत बारिन अउ वोकर खाए बर दू अलग चुकिया म उरिद के बरा, अइरसा अउ चाय पानी घलो मढ़ाए रिहिन.
   -हाँ इहाँ के बहुत अकन समाज म अइसन करथें.. कोनो चॉंउर पिसान के कुढ़ेना मढ़ाथें, त कोनो पिसान ल छींच के वोला झेंझरी/टुकनी म तोप देथें, तहाँ ले बिहनिया देखथें के वो चॉंउर पिसान म का जिनिस के चिनहा बने हे.
   -हव जी एकर माध्यम ले वो देंह छोड़े मनखे ह अगला जनम म कहाँ अवतरही, का जोनी पाही तेकर गम कराथे कहिथें. वोकर मुक्ति पाए म कोनो चिनहा नइ बनय बताथें.
   -कतकों झन मरिया हरिया म अइसन कुढ़ा मढ़ाए के नेंग तो करबेच करथें.. अपन घर के देवी-देवता या कुल देवता मन जागृत हावय ते नहीं, तेनो ल परखे खातिर अइसन कुढ़ेना मढ़ाथें.
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-आजकाल कोनो नानमुन काम-बुता ल सिध पार डारथें तहाँ ले लोगन फूल के फुग्गा बरोबर हो जाथें जी भैरा.
   -हाँ ए बात देखे म आजकाल तो बनेच आवत हे जी कोंदा, फेर इहू देखे म आथे के कोनो काँटा-खूँटी म पाँव पर जाथे त ए अइसन फोकटइहा फूले मन मार सोक-सोक ले ओसक घलो जाथें.
   -ठउका कहे संगी.. कोनो काम-बुता या पद-पाॅवर के अहंकार म नइ फुदकना चाही, एला तो परमात्मा के कृपा मानना चाही के उन हमला अइसन बुता खातिर चिनहिन अउ वो बुता ल सिध घलो पारिन.
   -सिरतोन कहे जी.. परमात्मा तो जे मनखे जगा जइसन बुता करवाना चाहथे, करवाइच लेथे, हम न तो एकर ले कोनो महान हो जावन अउ न खास.. हम होथन त सिरिफ उँकर दास.
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-दुनिया के सबले लम्हरी भाँटा हमर छत्तीसगढ़ म पाए जाथे जी भैरा.
   -अइसे का जी कोंदा? 
   -हव.. धमतरी जिला के गाँव धुमा (कुरूद) के किसान लीलाराम साहू ह पुरखौती बेरा ले एकर खेती करत हे.. लीलाराम ह बताइस के वोकर सियान निरंजन साहू ह पारंपरिक देशी तरीका ले ए 'निरंजन भाँटा' के खेती करय, उही परंपरा ले अब तक एकर खेती होवत हे. ए भाँटा ह 2.5 फीट तक लंबा हो जाथे.. अउ एमा बीजा घलो जादा नइ राहय.. गुरतुर स्वाद वाले ए निरंजन भाँटा, जेकर नॉव ल वोकर सियान के नॉव म ही रखे गे हवय अभी पौध किस्म संरक्षण एवं कृषक अधिकार के अंतर्गत पेटेंट होए‌ हे.
   -वाह भई..! 
   -कृषि विश्वविद्यालय के अधिकारी मन एला महत्वपूर्ण उपलब्धि बतावत छत्तीसगढ़ खातिर गौरव के बात कहे हे.. अवइया बेरा म छत्तीसगढ़ के किसान मनला एकर ले जबर लाभ होही.
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-अब तो मंदिर देवाला मन म नवरात के जोत जलाए बर ताँबा के नाँदी बउरे ले धर लिए हें जी भैरा.
   -हव जी कोंदा.. हमरो गाँव के शीतला अउ महामाया दूनों च जगा बर ए बछर ताँबा के नाँदी बिसा के लाने हें काहत रिहिन हें.
   -फेर ए ह मोला वाजिब नइ जनावय संगी.. माटी के नाँदी ल हमर पुरखा म जादा शुद्ध अउ पवित्र मानंँय.
   -माटी ले बढ़के तो अउ कोनो ह होइच नइ सकय, फेर आजकाल माटी के नाँदी अउ कलश बनाए बर कुम्हार मन ढेरियाए असन करे लगे हें.. बने असन माटी मिले ले नइ धरय कहिथें, तेकर सेती ताँबा के नाँदी बउरत हें, फेर ताँबा के नाँदी ल बने धो-माँज के कतकों बछर ले बउरे घलो तो जा सकथे जी.
   -इहीच ह तो अनफभिक हे संगी.. जोत के विसर्जन ल पूरा नाँदी समेत करे के चलन हे हमर इहाँ, फेर ताँबा के नाँदी ल अइसन कहाँ करे जाथे.. अउ जब ताँबा के नाँदी ल जोत संग सरोए नइ जाय त फेर वोकर विसर्जन ल परंपरा के मुताबिक पूरा कइसे माने जाही?
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-वाराणसी के मंदिर मन ले साईं बाबा के मूर्ति मनला हटाए के सेती महाराष्ट्र म भारी निंदा अउ विरोध होवत हे जी भैरा.
   -होना च हे जी भैरा.. भई कोनो भी संत महात्मा ह जाति धरम अउ पंथ ले ऊपर होथे.. एकर मन खातिर हर किसम के संकीर्णता ले ऊपर उठ के सोचना चाही.
   -हव जी महाराष्ट्र भाजपा प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले ह घलो अइसने कहे हे, वोकर कहना हे- साईं बाबा श्रद्धेय हें, कोनो ल भी वोकर अपमान करे के अधिकार नइए, उंकर मूर्ति ल हटा के उंकर अपमान करे के बुता ल तुरते रोकना चाही. कांग्रेस नेता बालासाहेब थोराट ह घलो भाजपा प्रमुख के बात ल पँदोली दे हवय.
   -अच्छा.. माने भाजपा अउ कांग्रेस दूनों ह ए मामला म एक होगे हे.. चलव बनेच हे अइसन होना घलो चाही.
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-छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस म इहाँ के विभिन्न क्षेत्र के प्रतिभा मनला राज्य अलंकरण ले सम्मानित करे खातिर विज्ञापन निकलगे हे जी भैरा.. तहूं ल एकर खातिर आवेदन देना चाही.
   -राज्य अलंकरण खातिर जब कभू आवेदन मँगवाए जाथे, त मोला संगीतकार स्व. खुमान साव जी के वो बात के सुरता आथे जी कोंदा जब उन काहयँ- अरे कोनो स्वाभिमानी कलाकार या साहित्यकार ह मोला सम्मानित कर दे कहिके आवेदन करही का जी? मैं तो अइसन कभू नइ करेंव.
   -उंकर कहना महूं ल वाजिब जनाथे संगी.. सरकार ल ए डहार चेत करना चाही.
   -बिल्कुल चेत करना चाही.. सोज्झे कलाकार, साहित्यकार या आने विधा के लोगन ले आवेदन मँगवाए के बलदा संबंधित विभाग मन म पंजीकृत संस्था मन ले सुझाव मँगवाना चाही, के उंकर विचार म कोन मनखे ल राज्य अलंकरण ले सम्मानित करे जाना चाही? 
   -हव जी.. सबो संस्था मन ले मिले सुझाव ल फेर चयन समिति के आगू म मढ़ा के वोमा ले वरिष्ठता, योग्यता अउ वोकर द्वारा करे गे काम के आधार म राज्य अलंकरण खातिर योग्य पात्र के चयन करे जाना चाही.
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-अब तो सोशलमीडिया म देवी देवता अउ गुरु महात्मा मन के फोटो ल पोस्ट करई ह पाप करे बरोबर जनाय लगे हे जी भैरा.
   -कइसे अंते-तंते गोठियाथस जी कोंदा.. कहूँ देवता-धामी मन के सोर-संदेशा भेजई ह पाप हो सकथे.
   -एदे अभी हमर रायपुर के श्री जैन दादाबाड़ी म सोशलमीडिया संस्कृति ल लेके श्री विराग मुनि जी ह अपन प्रवचन म कहिन हें- हम रोज संझा बिहनिया मोबाइल म भगवान के अपन गुरु के फोटो भेजत रहिथन.. अब कोनो वो फोटो मनला जिनगी भर तो सहेज के राखय नहीं.. डिलीट करीच देथे, जेन ह रिसाइकल बिन म चल देथे.. एकर मतलब ए होइस के हमन सोज्झेच परमात्मा अउ अपन गुरु महात्मा मनला कचरा के घुरुवा म फटिक देथन.. न जाने अइसन कतकों पाप हम जाने अनजाने कर डारथन.
   -अरे ददा रे.. अतेक गहिर गोठ ल तो मैं कभू सोचेच नइ रेहेंव.. का सिरतोन म अइसन करई ह पाप करम म गिने जाही जी?
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