आज बड़ा अलकरहा होगे, कोंदा टूरा लपरहा होगे
रिंंगी-चिंगी मन हीरा-मोती, टन्नक माल बजरहा होगे....
हमर गांव म देवता-धामी, अउ सरग बरोबर डेरा हे
तभो ले कइसे सूत-उठके, दरुहा मन के फेरा हे
ज्ञानी-ध्यानी जकला-भकला, पोथी पढ़इया अड़हा होगे.....
आज देश के हवा बदलगे, धरती के जम्मो पेड़ उजरगे
एसी-फ्रीज के चक्कर म, तन म कतकों रोग संचरगे
बड़े बिहनिया ले दंड-पेलइया, पहलवान बीमरहा होगे....
धरम-करम के साफा बांधे, अब तो भोगी, जोगी हे
सतयुग के आभा देखाथे, फेर मन के बिल्कुल रोगी हे
झकझक ले कपड़ा चमकाये, उज्जर रूप कजरहा होगे...
सुशील भोले
संजय नगर (टिकरापारा) रायपुर (छ.ग.)
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