भाद्रपद शुक्लपक्ष तृतीया को पूरे छत्तीसगढ़ में तीजा का पर्व मनाया जाता है। यह भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए हिमालय पुत्री पार्वती द्वारा जो कठोर तपस्या की गई थी, का प्रतीक स्वरूप है।
यह बात स्मरणीय है कि छत्तीसगढ़ में इस पर्व को संपन्न करने के लिए विवाहित महिलाएं अपने पिता के घर (मायका) आती हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि पार्वती इस तप को कुंवारी अवस्था में अर्थात अपने पिता के यहां रहकर पूर्ण की थीं, इसीलिए इस पर्व को संपन्न करने के लिए यहां की विवाहित महिलाएं भी अपने पिता के घर आती हैं।
मुझे ऐसा लगता है कि केवल छत्तीसगढ़ में ही यह एक ऐसी परंपरा है, जिसमें विवाहित महिलाएं अपने पिता के घर आकर किसी पर्व को संपन्न करती हैं। शायद इस देश के किसी अन्य क्षेत्र में ऐसी कोई प्रथा नहीं है।
आप सभी माताओं को... बहनों को... तीजा पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं.....
सुशील भोले
संस्थापक, आदि धर्म सभा
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