**ज्ञान-सार**
* ज्ञान और आशीर्वाद चाहे जहाँ से भी मिले उसे अवश्य ग्रहण करना चाहिए।
* दुनिया का कोई भी ग्रंथ न तो पूर्ण है, और न ही पूर्ण सत्य है। इसलिए सत्य को
जानने के लिए साधना के माध्यम से आत्मज्ञान प्राप्त करें। केवल तप, साधना और
अनुभव के द्वारा प्राप्त ज्ञान ही सत्य तक पहुंचने का एकमात्र उत्तम रास्ता है।
* जहाँ तक सम्मान की बात है, तो दुनिया के हर धर्म और संस्कृति का सम्मान करना
चाहिए, लेकिन जीएं सिर्फ अपनी ही संस्कृति को, क्योंकि अपनी ही संस्कृति
व्यक्ति को आत्म गौरव का बोध कराती है, जबकि दूसरों की संस्कृति गुलामी का
रास्ता दिखाती है।
* भारत संस्कृतियों का देश है। यहाँ हर राज्य की अलग संस्कृति है। हर क्षेत्र की
अलग संस्कृति है। हर समूह की अलग संस्कृति है। इसके बावजूद मैं छत्तीसगढ़ के
संदर्भ में जिस मूल संस्कृति की बात करता हूं, वह केवल एक संस्कृति ही नहीं,
अपितु एक संपूर्ण जीवन पद्धति है, एक संपूर्ण धर्म है, जिसे मैं आदिधर्म कहता हूं।
-सुशील भोले
आदि धर्म जागृति संस्थान
54/191, कस्टम कालोनी के सामने वाली गली, संजय नगर
(टिकरापारा) रायपुर-492010
मो/व्हा. 9826992811
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