पोरा : नंदीश्वर जन्मोत्सव..
भाद्रपद अमावस्या को भगवान शिव के सबसे प्रिय भक्त, सेवक और सवारी नंदीश्वर का जन्मोत्सव पूरे छत्तीसगढ़ में पोरा पर्व के रूप में धूम-धाम के साथ मनाया जाता है।
पोरा पर्व के अवसर पर मिट्टी से बने नंदी की पारंपरिक व्यंजनों का भोग लगाकर पूजा की जाती है। बच्चे इस दिन मिट्टी से बने नंदी (बैल) को खिलौनों के रूप में खेलते भी हैं। इस अवसर पर बैल दौड़ का आयोजन भी किया जाता है।
ज्ञात रहे कि छत्तीसगढ़ की मूल संस्कृति, जिसे मैं आदि धर्म कहता हूं, वह सृष्टिकाल की संस्कृति है। युग निर्धारण की दृष्टि से कहें तो सतयुग की संस्कृति है, और यह किसी न किसी दृष्टि से अध्यात्म पर आधारित है। इसकी अपनी स्वयं की पूजा और उपासना की विधि है, जुवन पद्धती है, जिसे उसके मूल रूप में लोगों को समझाने और सिखाने के लिए हमें फिर से सामूहिक प्रयास करने की आवश्यकता है, क्योंकि कुछ लोग यहां के मूल धर्म और संस्कृति को अन्य प्रदेशों से लाये गये ग्रंथों और संस्कृति के साथ घालमेल कर लिखने और हमारी मूल पहचान को समाप्त करने की कोशिश कर रहे हैं।
मित्रों, सतयुग की यह गौरवशाली संस्कृति आज की तारीख में केवल छत्तीसगढ़ में ही जीवित रह गई है, उसे भी गलत-सलत व्याख्याओं के साथ जोड़कर भ्रमित किया जा रहा। मैं चाहता हूं कि मेरे इसे इसके मूल रूप में पुर्नप्रचारित करने के इस सद्प्रयास में आप सब सहभागी बनें...।
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 098269-92811
Wednesday, 1 May 2019
पोरा: नंदीश्वर जन्मोत्सव
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment