हाना : जिनगी के गाना
छत्तीसगढ़ी भाखा म अभी बड़ मयारुक अउ सहेज के रखे के लाइक किताब छपत हे, अउ पढ़े बर मिलत घलो हे. अभीच्चे एदे जांजगीर-चांपा के मयारुक साहित्यकार डा. रमाकांत सोनी जी के बड़का किताब "हाना : जिनगी के गाना" ल डकहार बाबू के हाथ ले झोंकेंव अउ पढ़ेंव.
एला एक पइत तो सरसरी बानी के तुरतेच देख डारेंव. एला देखते एकर पहिली हाना के दू अउ किताब पढ़े रेहेंव तेकर मन के सुरता आगे.
डॉ. मन्नू लाल यदु जी तो एकरेच ऊपर पीएचडी घलो करे रिहिन हें. उंकर शोध ग्रंथ "लोकोक्तियों का भाषावैज्ञानिक अध्ययन" ल बने च पढ़े रेहेंव. एकर पाछू मगरलोड के साहित्यकार पुनूराम साहू 'राज' जी के घलो एक किताब "छत्तीसगढ़ी हाना" नांव ले आए रिहिसे, उहू ल बनेच पढ़े रेहेंव. एकर पाछू एदे सोनी जी "हाना : जिनगी के गाना" ल पढ़ेंव.
तीनों झन के अपन-अपन खोज अउ मेहनत हे. तीनों के किताब म बहुत अकन नवा-नवा अउ अलग-अलग हाना संग्रहित हे. ए ह हमर छत्तीसगढ़ी के चारों मुड़ा बगरे धरोहर मनला गठिया के राखे खातिर संहराए के लाइक बुता आय.
ए मन अपन कथ्य म लिखे हावव, के ए 11 सौ ले आगर जम्मो हाना मनला सकेले, उंकर अरथ बताए अउ वइसनेच आने भाखा मन के हाना मनला एमा संघारे म आपला दस बछर असन लागगे. ए किताब ल पढ़े के बाद मोला जनाइस के सिरतोन म लागिस होही, ए जबड़ बुता ल सिध पारे म. एकर खातिर मैं सोनी जी के बड़ई करत हंव.
इंकर ए हाना पोथी ह हमर नवा पीढ़ी के अपन महतारी भाखा म लिखइया पढ़इया मयारुक मन बर बड़ उपयोगी साबित होही. उनला अपन लोक साहित्य अउ सांस्कृतिक स्वरूप ऊपर गरब होही.
वइसे ए कहना तो वाजिब नइए के मोला हाना ले संबंधित ए तीनों झन के हाना पोथी मन म कोन म जादा अउ कोन म कमती आनंद आइसे. फेर अतका जरूर कइहूं के ए मन जेन बुता करे हावंय वो ह पीएचडी वाले शोधार्थी ले बढ़ के हे.
ए जबड़ बुता खातिर सोनी जी ल फेर बधाई अउ जोहार.
छत्तीसगढ़ी लोक साहित्य म रुचि रखइया मन ए किताब ल डा. रमाकांत सोनी ले उंकर मोबाइल नंबर 9009061151 म संपर्क कर के प्राप्त कर सकथें.
सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811
Wednesday, 4 August 2021
हाना जिनगी के गाना..
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