कोंदा भैरा के गोठ-18
-पहिली अक्ती के दिन ले नवा करसी ल बउरे के शुरूआत करत रेहेन जी भैरा, फेर अब तो फागुन चइत म ही मुंह चपियाए ले धर लेथे.
-हव जी कोंदा.. गरमी ह दिन के दिन लाहो लेवत हे.. अब तो लगते फागुन ले ही जुड़ पानी बर टोटा के आस बाढ़ जाथे, फेर ए बछर तो अउ अतलंग होही काहत हें.
-अच्छा.. अइसे का?
-हव.. देश के मौसम वैज्ञानिक मन के कहना हे के ए बछर अप्रैल ले जून तक सरलग तीन महीना नंगतेच दंदोरही गरमी ह.. अउ जानत हस..?
-बताना भई.
-लू जेला हमन झॉंझ-बड़ोरा कहिथन ते ह पहिली असन सिरिफ दू-चार दिन के नहीं, भलुक ए बछर बीस दिन तक गदर मचा देही काहत हें.
-जउंहर होगे.. ए सब ह पर्यावरण के अनदेखी अउ ग्लोबल वार्मिंग के नतीजा आय संगी जे ह अउ बाढ़ते जाही, तइसे जनाथे मोला.
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-पहिली के चुनाव म मुहर-ठप्पा लगाय के नियम नइ रिहिसे जी भैरा.
-त कइसन चुनाव होवय जी कोंदा?
-हमर देश के शुरूआती दू आम चुनाव म प्रत्याशी मन के नॉव अउ ओकर चुनाव चिन्ह के छप्पा लगे वाला अलग अलग मतपेटी रख दिए जावय. मतदाता ह अपन मतपत्र ल अपन पसंद के उम्मीदवार के मतपेटी म डार देवय.
-अच्छा..!
-हव.. दू चुनाव के बाद जब मतपत्र म मुहर-ठप्पा लगाय के शुरुआत होइस, त कतकों झन तो ए नवा पद्धति के विरोध घलो करीन.
-हाँ.. फेर अब तो इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन आगे हवय ना.
-हाँ सही आय.. अउ हो सकथे अवइया बेरा म वोट डारे के अउ कुछू नवा आविष्कार हो सकथे, फेर शुरूआती दू चुनाव के ऐतिहासिक महत्व हे.. वो बखत के बिना मुहर-ठप्पा वाले मतदान ल "मुहर न ठप्पा, जीत गए कक्का" वाले दौर कहिके आज तक सुरता करे जाथे.
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-ए बछर के नवरात म निरई माता के दरस करे बर चलबो नहीं जी भैरा.
-मोला नइ ओसरही तइसे जनाथे जी कोंदा.. फेर उहाँ तो बछर म एके दिन भर दरस कर सकथन आने दिन तो बंद रहिथे कहिथें.
-हव.. चैत नवरात के पहला इतवार के माता के जात्रा लगथे. ए दिन दुरिहा-दुरिहा लोगन अपन मनोकामना पूरा होय के सेती आथें अउ बोकरा के पूजवन देथें. ए बछर अवइया इतवार के मुंदरहा 4 बजे ले बिहनिया 9 तक दरस कर सकथन.
-अब मोर भाग म एसो माता के दरस के जोंग नइहे तइसे जनाथे जी संगी.. उहाँ के जोत ह माता के किरपा ले अपने अपन नौ दिन ले बिन तेल के बरथे कइथें ना?
-हव सही आय.. फेर गरियाबंद जिला के मोहेरा गाँव के डोंगरी म बिराजे निरई माता के मंदिर म माईलोगिन मन के जवई प्रतिबंधित हे. वो मन उहाँ के परसाद तको नइ खावंय.
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-पहिली नवरात आवय तहाँ ले नौ दिन के सोवा हमर मन के माता गुड़ी या चौंरा म ही होवय जी भैरा.
-सही आय जी कोंदा.. बियारी कर के घर ले निकलन तहाँ ले माता देवाला के जस-सेवा म संघर जावत रेहेन. अधरतिहा के होवत ले माता के सेवा म गावत बजावत मगन राहन, तहाँ ले चार पहर रतिहा ल गुड़ी चौंरा म ही ढलंग के बीता देवन.
-हव जी.. फेर अब वो लइकुसहा उमर के जोश संग हमर बोली भाखा के शब्द मन घलो नंदावत जावत हावय न.. अब कोनो माता के ठउर ल गुड़ी या देवाला कहाँ कहिथें, सब के सब मंदिर कहि देथें.
-हव जी हमर परंपरा मन म आने ठउर ले आए नेंग-जोंग संग शब्द मन घलो साॅंझर-मिंझर होवत जावत हे.
-एकर सबले बड़का कारण ए आय संगी, के हम अपन गुड़ी देवाला के पूजा उपासना ल खुद करे ले छोड़ के अंते-अंते ले आए लोगन मनला सउंपत जावत हावन, तेकरे सेती उन हमर परंपरा म अपन संग लाने शब्द संग परंपरा मनला संघारत जावत हें. हमला अपन परंपरा के आरुग रूप के रक्षा करना हे, त जम्मो पूजा सेवा ल अपन खुद के हाथ ले ही करे बर लागही.
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-अभी चैत अंजोरी एकम के जशपुर के वनवासी कल्याण आश्रम म आदिवासी मन के सबले बड़का परब सरहुल सरना पूजा महोत्सव म इहाँ के मुखिया ह कहिस हे जी भैरा के आदिवासी मन ले बड़का हिंदू अउ कोनो नइए. वो मन कहिन के हमन शिव अउ पार्वती के पूजा करथन, जे मन आदिवासी मनला हिंदू नोहय कहिथें, वो मन विधर्मी आय.. अउ अइसन विधर्मी मन ले हमला बॉंच के रहना चाही.
-एक पइत महूं ल जशपुर जिला के बगीचा क्षेत्र म जाए के अवसर मिले हे जी कोंदा.. मैं जब उहाँ के सरना पूजा स्थल म गे रेहेंव त उहाँ के पहाड़ी कोरवा आदिवासी समाज के अध्यक्ष ह घलो मोला अइसने बताय रिहिसे.
-अच्छा.. अइसे?
-हव.. मोला राजपुरी नामक गाँव के सरना पूजा स्थल के संगे-संग उहाँ के पहाड़ी म स्थापित जम्मो देवी देवता मनला देखाए रिहिन हें.
-फेर हमर ए मैदानी भाग के आदिवासी विद्वान मन ए बात ल नइ मानंय, उंकर कहना हे के सांस्कृतिक अउ संवैधानिक दूनों रूप ले ही आदिवासी मन हिंदू धर्म या संप्रदाय के अंग नोहय.
-हो सकथे अलग अलग क्षेत्र के आदिवासी मन के पूजा उपासना के प्रतीक अउ मान्यता अलग अलग होही.
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-अभी नवरात म दुर्गा सप्तशती के पाठ तो करत होबे न जी भैरा?
-करथौं न जी कोंदा.. कभू-कभू मन होथे त अइसने आने बखत घलो कर लेथौं.
-ए तो बने बात आय जी संगी, फेर तैं जानथस दुर्गा सप्तशती के रचना हमर छत्तीसगढ़ म ही मार्कंडेय ऋषि ह करे रिहिसे?
-वाह भई.. ए बात ल तो कभू नइ सुने रेहेन संगी!
-हाँ.. हमर बस्तर के जिला मुख्यालय जगदलपुर ले 40 कि.मी. दुरिहा मारकंडी नदिया के तीर चपका नॉव के गाँव हे, इहें ऋषि मार्कंडेय ह राहत रिहिसे, जिहां महादेव के आशीर्वाद ले दुर्गा सप्तशती के संगे-संग मार्कंडेय पुराण के रचना वो मन करे रिहिन हें.
-भारी अचरज के गोठ आय संगी हम अपने तीर-तखार के इतिहास अउ गौरव ले अनचिन्हार बने हावन.
-हव जी.. कतकों दृष्टि ले ऐतिहासिक चपका गाँव म आज घलो मार्कंडेय ऋषि के धुनी अउ प्रतिमा ल प्रत्यक्ष देखे जा सकथे. इहाँ एक प्राकृतिक जलस्रोत घलो हे. संग म देखे के लाइक अउ कतकों देव मूर्ति अउ जगा हें.
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-हमर रायपुर म माता जी के एक अइसे मंदिर हे जी भैरा जिहां यादव समाज के मन ही पुजारी होथें.
-अच्छा.. कोन मंदिर के बात आय जी कोंदा?
-इहाँ के कुशालपुर चौक म दंतेश्वरी माता के मंदिर म. अउ तैं जानथस जी संगी इही जगा के खोखोपारा स्कूल ले मैं ह मिडिल पास करे हौं.
-वाह भई..!
-हव.. चौदहवीं शताब्दी म ए जगा गजब जंगल रिहिसे, तब गरुवा चराय बर एक गणेशिया बाई नॉव के यादव महिला ह जावय. वो देखय के एक ठ गाय ह एक जगा खड़ा होवय तहाँ ले वोकर दूध ह अपने अपन गिरत जावय. जब एकर जानकारी वो बखत के हैहयवंशी राजा म मिलिस त वो जगा ल खनवाइस त उहाँ दंतिका के रूप म एक प्रतिमा मिलिस. तब उहाँ मंदिर बना के वोला दंतेश्वरी नॉव ले चिन्हारी करे गिस. काबर ते गणेशिया बाई के रूप में यादव मन उहाँ माता जी के पहिली सेवा करे रिहिन हें, तेकर सेती आज तक यादव मन ही इहाँ सेवा करथें, अभी राजू यादव ह इहाँ के पुजारी हे.
-ए तो बने बात आय जी जेकर मन के माध्यम ले मंदिर बने हे उही मनला उहाँ के पुजारी होना चाही सबोच जगा.
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-रायपुर के ऐतिहासिक कंकाली मंदिर अउ तरिया हे ना जी भैरा पहिली वो जगा इहाँ के मसानघाट रिहिसे.
-अच्छा.. अइसे का जी कोंदा?
-हव.. करीब सात सौ साल पहिली बद्रीनाथ धाम ले आए नागा साधु मन एला बनवाए रिहिन हें. मोर बचपना इही पारा म बीते हे संगी .
-अच्छा.
-हव.. मसानघाट होय के सेती नागा साधु मन ए जगा तांत्रिक क्रिया करत राहंय. एमा के कृपालु गिरी जी के सपना म कंकाली दाई आइस अउ ए जगा तरिया कोड़वाय बर कहिस. जब ए जगा तरिया कोड़े गिस त वोमा ले माता जी के मूर्ति ह निकलिस, जेला उहाँ स्थापित करे गिस. तरिया के बीच म एक शिव जी के मंदिर घलो हे, जेहा बारों महीना पानी म बूड़े रहिथे. मंदिर के ऊपर के कलश वाले हिस्सा भर ह दिखथे. हमन लइका रेहेन ना त उहाँ अबड़ कूद कूद के नहाए हावन.
-अच्छा.. त वो शिव मंदिर ह कभू नइ दिखय का?
-दिखथे ना.. एक दू पइत जब तरिया के चिखला ल हेरे बर पानी ल अंटवाए गिस तब दिखे रिहिसे. हमन अपन आॅंखी म देखे हावन.
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-हमर देश म हरियाणा एक अइसे राज्य आय जी भैरा जे ह 75 साल ले जादा के जुन्ना पेड़ मनला पेंशन देही.
-वाह भई.. जइसे सियान मनखे मनला सरकार ह पेंशन देथे तइसने सियनहा पेड़ मनला पेंशन जी कोंदा!
-हव संगी.. हर बछर 2,750 रुपिया के पेंशन ह वो मनखे के खाता म जाही, जे ह वो पेड़ के देखरेख करही.
-ए तो बने निक बात आय संगी.. एकर ले पेड़ पौधा मन के संरक्षण डहार लोगन के चेत जाही, जे गरीब मनखे मन पेड़ के सेवा जतन करहीं वो मनला आर्थिक लाभ हो जाही अउ सबले बड़का बात ए के जे मन बिन सोचे गुने जुन्ना रूख मनला काट डारथें वोकरो ले बचाव होही.
-हव सही आय.. अभी 3,810 पेड़ के चिन्हारी करे गे हवय, जेमा बर, पीपर, लीम, आमा, डूमर अउ कदम आदि के पेड़ शामिल हें.
-निश्चित रूप ले एकर ले पर्यावरण संतुलन के दिशा म जबर सफलता मिलही, हमर देश के आने सबो राज्य सरकार मनला घलो अइसने कुछू उदिम करना चाही.
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-हमर इहाँ के जोत जंवारा के विसर्जन म पहिली नान-नान बाबू पिला मन ले लेके जवनहा अउ सियनहा सबोच आदमी जात मनला ही बाना-सांग गोभे, झूमत-नाचत देखे रेहेन जी भैरा, फेर अभी ए बखत तीन झन बेटी मनला घलो बाना सांग धारण करे देखेन भई.
-अच्छा.. ए ह कहाँ के बेटी मन आय जी कोंदा?
-हमर रायपुर के ही आय संगी. एमा के एक नोनी वैभवी निर्मलकर जेन कक्षा 11 वीं म पढ़थे ते ह बताइस के उंकर घर म दूनों नवरात्रि म जोत जंवारा बोवय त वो ह वोकर देख-रेख करे के संग ही नौ दिन के उपास घलो करय. तब पाछू के चैत नवरात्रि म वोकर मन म ए प्रेरणा आइस के उहू ह जंवारा विसर्जन म सांग धारण करय.
-ए तो बने बात आय संगी.. आस्था के प्रदर्शन या कोनो भी धरम के कारज ह सिरिफ पुरुष मन के पोगरौती क्षेत्र नोहय, बेटी महतारी मन घलो अइसन सब कर सकथें.
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-पहिली जब नवा नवा सिनेमा बने के चालू होए रिहिसे न जी भैरा तब माईलोगिन मन के भूमिका ल आदमी च मन निभावय.
-हव जी कोंदा.. जइसे हमर इहाँ के नाचा-गम्मत म परी अउ जनाना सब आदमीच मन बनयं तइसे कहि दे.
-हव.. नाचा अउ गंड़वा बाजा म तो अभी ले आदमी मन ही परी बन के नाचत दिख जाथें, फेर सिनेमा म घलो तब खोजे म घलो माईलोगिन मन नइ मिलत रिहिन हें, आज भले फिलिम म काम करे बर सब लाईन लगे रहिथें, एकरे सेती सिनेमा जगत के भीष्म पितामह के रूप म प्रसिद्ध दादा साहेब फाल्के ह बछर 1917 म अपन फिलिम 'लंका दहन' म अन्ना सालुंके ल सीता के रोल करवाए रिहिसे.. अउ मजेदार बात जानथस संगी.. राम के रोल ल घलो उहिच ह करे रिहिसे.
-वाह भई.. राम अउ सीता दूनों के रोल ल एकेच आदमी ह?
-हव..अन्ना सालुंके ह पहिली आदमी आय जे ह महिला अउ पुरुष के दू भूमिका ल एके संग एके फिलिम म निभाए रिहिसे, ए बात ल इतिहास म सुरता रखे जाही संगी.
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-ए द्वापर त्रेता के गोठ करइया इतिहासकार मन हमर छत्तीसगढ़ के प्राचीनता ल सिरिफ पॉंच हजार बछर जुन्ना बताथें जी भैरा.. फेर अभी मानव विज्ञान सर्वेक्षण विश्वविद्यालय के एंथ्रापाॅलाजी विभाग के शोधकर्ता मन बस्तर के अबूझमाड़ इलाका म जेन शोध कारज करे हें, उंकर मन के कहना हे के अबूझमाड़ क्षेत्र म 30 ले 70 हजार बछर पहिली मानव सभ्यता अस्तित्व म रिहिस.
-वाह भई.. ए तो हमर मन बर गरब करे के लाइक बात आय जी कोंदा.
-हव जी संगी.. मानव विज्ञान सर्वेक्षण के प्रमुख डॉ. पीयुष रंजन साहू के कहना हे के बस्तर के कतकों जगा के पथरा मन के नमूना सकेले गे हवय जेकर ले जनाथे के 70 हजार बछर पहिली इहाँ मानव सभ्यता विकसित होइस. उंकर कहना हे के कार्बन डेटिंग अउ जादा शोध करे म कतकों चौंकाने वाला तथ्य मन के जानकारी मिल सकही.
वो मन बताइन के शोधार्थी मन पॉंच बछर तक अबूझमाड़, बीजापुर, सुकमा, बारसूर अउ दंतेवाड़ा ले गुजरइया प्रमुख नदिया मन के तीर-तखार म खोज अभियान ल फोकस करे रिहिन.
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-दुनिया बर राम ह भगवान होही जी भैरा फेर छत्तीसगढ़ बर तो वो ह सिरिफ भॉंचा ही आय.
-सिरतोन कहे जी कोंदा इहाँ के परंपरा म अइसन कतकों जिनिस दिख जाथे जेकर ले ए बात ह प्रमाणित होथे.
-हव ना.. हमन इहाँ भाॅंचा के पॉंव परे के परंपरा ल तो जानबे करथन के ओकर कारण का आय? ठउका अइसने हमर रायपुर के पुरानी बस्ती म एक मंदिर हे जेला जैतूसाव मठ के रूप म जानथन, इहाँ हर बछर रामनवमी माने राम के जनमतिथि के छै दिन बाद वोकर छट्ठी मनाए के परंपरा हे.
-अच्छा..!
-हव.. ए ह इहाँ के गजब जुन्ना परंपरा आय.. जइसे हमन अपन घर-परिवार म होय लइका के छट्ठी मनाथन न ठउका वइसनेच ए मठ म राम के छट्ठी मनाए जाथे, माईलोगिन मन बने सोहर गाथें अउ तहाँ ले फेर उनला ओसहा लाड़ू अउ कॉंके परोसे जाथे. सिरतोन संगी गजब निक जनाथे.
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