सुशील भोले जनकवि बिसंभर यादव 'मरहा' सम्मान' से सम्मानित
रायपुर. साहित्य एवं पत्रकारिता के साथ ही छत्तीसगढ़ की पारंपरिक संस्कृति के उन्नयन में अविस्मरणीय योगदान के लिए राजधानी रायपुर के वरिष्ठ साहित्यकार, पत्रकार एवं संस्कृति मर्मज्ञ सुशील भोले को जनकवि बिसंभर यादव 'मरहा' सम्मान 2024 से सम्मानित किया गया.
माँ कल्याणी शीतला मंदिर मरौदा टैंक रिसाली भिलाई द्वारा विगत बारह वर्षों से चैत्र नवरात्रि के अवसर पर षष्ठमी तिथि को प्रतिवर्ष यह प्रतिष्ठित सम्मान छत्तीसगढ़ी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले व्यक्ति को प्रदान किया जाता है. इसी श्रृंखला में इस वर्ष सुशील भोले को प्रतिष्ठित बिसंभर यादव मरहा सम्मान से सम्मानित किया गया.
अंचल के प्रतिष्ठित साहित्यकार डॉ. परदेशी राम वर्मा कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे. उन्होंने इस अवसर पर अपने उद्बोधन में बिसंभर यादव 'मरहा' को स्मरण करते हुए कहा कि मरहा जी जनकवि तो थे ही साथ ही वे महाकवि भी थे. वे बड़े बड़े कवि सम्मेलन के मंच के साथ ही गाँव गाँव में आयोजित होने वाले रामायण कार्यक्रम के मंचों पर भी अपनी कविता की प्रस्तुति देते थे और उसके माध्यम से जनजागरण का कार्य करते थे. मरहा जी कोई पूंजीपति या धन्नासेठ नहीं थे, उसके बावजूद उनके नाम पर प्रतिवर्ष सम्मान समारोह आयोजित करने के लिए मैं माँ कल्याणी शीतला मंदिर समिति को हृदय से बधाई देता हूँ.
'मरहा' सम्मान से इस वर्ष सम्मानित होने वाले साहित्यकार सुशील भोले ने मरहा जी को स्मरण करते हुए कहा कि वे जब छत्तीसगढ़ी भाषा की प्रथम मासिक पत्रिका 'मयारु माटी' के विमोचन कार्यक्रम के सिलसिले में 'चंदैनी गोंदा' के सर्जक दाऊ रामचंद्र देशमुख के ग्राम बघेरा स्थित निवास पर गये थे, तब दाऊ जी ने ही पहली बार बिसंभर यादव मरहा जी से उनका परिचय कराया था. उसके पश्चात तो मरहा जी के साथ विभिन्न कार्यक्रमों में नियमित रूप से मुलाकात होती थी. उन्होंने कहा कि मरहा जी की कविता जितनी सहज और सरल होती थी, वे स्वयं भी उतने ही सरल और मयारुक व्यक्ति थे. उनके साथ
कविता पाठ करने का अनेकों बार अवसर मिला. उन्होंने मरहा जी स्मृति में प्रतिवर्ष सम्मान समारोह आयोजित करने के लिए माँ कल्याणी शीतला मंदिर के सदस्यों को साधुवाद दिया.
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