Sunday, 7 April 2024

मित्र मिलन में स्मरण हो आया फिर छात्र जीवन

आर.डी.तिवारी मित्र मिलन में फिर स्मरण हो आया हमारा छात्र जीवन
    साठ वर्ष से ऊपर के लोग जब मिलते हैं, तो बेटा-बहू, रिटायर पेंशन और विभिन्न बीमारियों से होते हुए घर का बंटवारा और भाई भाई की लड़ाई तक पहुँच जाते हैं. अक्सर इस वर्ग के लोगों की चर्चा का विषय ऐसा ही कुछ होता है, लेकिन हम आर. डी. तिवारी स्कूल के छात्र लगभग पैतालीस वर्ष के अंतराल के पश्चात् एक साथ मिले तो फिर से उसी स्कूली जीवन की याद में खो गये.
   जैसा कि मुझे लग ही रहा था, कि इतने वर्षों के बाद मिल रहे बाल सखाओं में से कुछ को तो शायद पहचान ही नहीं पाऊंगा और हुआ भी ऐसा ही. हम जब उस समय पढ़ रहे थे, तो हमारी कक्षा में लगभग 38 छात्र थे. रविवार 7 अप्रैल को जब चंगोरा भाठा स्थित अभिनंदन पैलेस में मिले तो कुल 23 मित्र ही उपस्थित हो पाए. वहाँ ज्ञात हुआ कि कुछ मित्र तो अब इस दुनिया में ही नहीं रहे और कुछ किसी कारण से आ नही पाए.
   वहाँ उपस्थित मित्रों में से तीन को पहचानने में मुझे थोड़ा समय लगा. एक जिसे देवीदीन कहकर परिचित कराया जा रहा था, मुझे बिल्कुल भी याद नहीं आ रहा था. उसका भारी भरकम शरीर.. लगता था कहीं का धन्नासेठ हमारे सामने आकर बैठ गया है. 
   तब त्रिलोचन में मुझे बताया- अबे.. इसको हम लोग चकरा नहीं कहते थे. 'चकरा' शब्द मेरे मष्तिष्क पर कौंधा.. तभी स्मरण हो आया कि यह तो वही है, जब हम लोग फुटबॉल खेलते थे, तो यह शख्स फुटबॉल को आउट लाईन के किनारे किनारे लेकर भागता था. बीच मैदान में कभी खेलता ही नहीं था.
   दूसरा मित्र जिसने अपना नाम झंगलुराम ढीमर बताया. मैं इसे भी नहीं पहचान पाया, तब उसी ने बताया- भैया हम लोग साथ में वॉलीबॉल नहीं खेलते थे. तब मुझे धीरे धीरे समझ में आया कि हम पढ़ाई करने के साथ ही वॉलीबॉल भी साथ में खेलते थे.
   तीसरा मित्र जिसे मैं पहचान नहीं पाया, उसका नाम है- राजू महावादी. महावादी सरनेम सुनकर मुझे साधना महावादी का स्मरण हो आया, जिसे हम लोग टिकेन्द्रनाथ टिकरिहा लिखित नाटक 'गंवइहा' में गायिका रूप में गाना गवाए थे. तब राजू ने बताया कि साधना उसकी चचेरी बहन है, और हम लोग हांडीपारा में टिकेन्द्रनाथ टिकरिहा जी के घर के सामने ही रहते थे. तब मैं राजू महावादी को भी पहचान पाया.
   वर्ष 1978-79 में पढ़कर निकले हमारे मित्रों में से कुछ तो अब सेवानिवृत्त हो गये हैं. ज्ञानेश शर्मा छत्तीसगढ़ योग आयोग के अध्यक्ष पद को सुशोभित कर चुके हैं. नरेंद्र बंछोर एंटी करप्शन ब्यूरो के डीएसपी पद से सेवानिवृत्त हुए हैं. डॉ. ध्रुव कुमार पाण्डेय महाविद्यालय के प्राध्यापक पद से तो अशोक शर्मा बैंक अधिकारी के पद से. 
    ऐसे ही शत्रुहन यादव आरडीए से, राजू शर्मा और मनोज सोनी नगर निगम से. हरीश अवधिया और दीपक ब्राहा शिक्षा विभाग से. लेकिन प्यारेलाल सेन अभी जे.आर.दानी में व्याख्याता के पद पर तो डॉ. अशोक शर्मा छत्तीसगढ़ महाविद्यालय में प्राध्यापक के पद पर कार्यरत हैं. इसी तरह योगेन्द्र यदु भी शासकीय सेवा में सक्रिय हैं.
   त्रिलोचन सिंह, गगन पंजवानी, मुश्ताक अहमद और प्रधान सिंह होरा, लीलाधर महोबिया, जीतेन्द्र अग्रवाल, नंदकिशोर श्रीवास अपने अपने पुराने व्यवसाय में ही मगन हैं.
   आमतौर पर यह माना जाता है कि किसी भी व्यक्ति का साठ वर्ष से ऊपर का जीवन बोनस का जीवन होता है, इसलिए इस बोनस के जीवन को हम सभी को हंसते हुए सक्रिय रहकर व्यतीत करना चाहिए. इसी बात को ध्यान में रखकर हम सभी मित्रों ने निर्णय लिया कि इस तरह का मिलन कार्यक्रम अब नियमित रूप से किया करेंगे. वर्ष में कम से कम दो बार दीपावली और होली मिलन के बहाने तो जरूर मिलेंगे.
-सुशील वर्मा भोले

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